आमतौर पर हर किसी को जीवन में कभी-न-कभी आंख फड़कने का अनुभव होता है। ज्यादातर मामलों में यह बहुत सामान्य होता है। ज्यादा थकान, तनाव या कैफीन की अधिकता के कारण ऐसा हो सकता है। हालांकि, अगर आपकी आंखें लगातार और अनियंत्रित रूप से फड़क रही हैं तो यह ब्लेफरोस्पाज्म (Blepharospasm) में नामक एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल कंडीशन का संकेत हो सकता है। इस कंडीशन में आंखों की मसल्स पर कंट्रोल खत्म हो जाता है। आंखों की मसल्स अपने आप सिकुड़ती है, जिससे बार-बार पलकें बंद होती हैं। यह रेयर कंडीशन है, लेकिन कई बार बहुत परेशानी का कारण बन सकती है। हालांकि, इसका इलाज संभव है और इसे कई तरह से ट्रीट किया जा सकता है। ब्लेफरोस्पाज्म के कारण अगर बार-बार आंख फड़क रही है और आप ड्राइव कर रहे हैं तो एक्सीडेंट का खतरा हो सकता है। इस कंडीशन में ऐसे सभी कामों में बहुत मुश्किल होती है, जिनमें बहुत एकाग्रता की जरूरत होती है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में ब्लेफरोस्पाज्म की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- क्या है ब्लेफरोस्पाज्म? ब्लेफरोस्पाज्म एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसे फोकल डिस्टोनिया कहा जाता है। इसमें आंखों के आसपास की मसल्स अनियंत्रित रूप से सिकुड़ने लगती हैं। इसके कारण व्यक्ति की पलकों के झपकने की गति बढ़ जाती है। कितने रेयर हैं इसके मामले? हर 1 लाख लोगों में सिर्फ 5 लोगों को ब्लेफरोस्पाज्म होता है। भारत में इसका कोई ठोस डेटा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। आमतौर पर 40 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। डॉ. रीना अग्रवाल कहती हैं कि जागरूकता की कमी और गलत डायग्नोसिस के कारण कई मामलों का पता नहीं चल पाता है। ब्लेफरोस्पाज्म के क्या लक्षण हैं? अगर किसी की आंखें बार-बार अनियंत्रित रूप से बंद हो रही हैं तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसमें आमतौर पर तेज हवा, तेज रोशनी या स्ट्रेस के कारण बार-बार पलकें झपकने लगती हैं। इसके कई अन्य लक्षण हो सकते हैं, ग्राफिक में देखिए- ब्लेफरोस्पाज्म क्यों होता है? डॉ. रीना अग्रवाल कहती हैं कि इस बीमारी के सटीक कारण का अभी तक पूरी तरह पता नहीं चला है, लेकिन यह ब्रेन के ‘बेसल गैंग्लिया’ नामक हिस्से में असामान्य एक्टिविटीज के कारण हो सकता है। ब्लेफरोस्पाज्म के रिस्क फैक्टर अगर परिवार में किसी को ब्लेफरोस्पाज्म की समस्या रही है तो अन्य लोगों में भी इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। पार्किंसन जैसी बीमारियों के कारण भी ऐसा हो सकता है। अगर आंखों में लंबे समय तक जलन या इन्फेक्शन है तो भी ब्लेफरोस्पाज्म हो सकता है। ज्यादा स्ट्रेस और थकान के कारण यह समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है। इसके अलावा कुछ एंटी-डिप्रेसेंट और न्यूरोलॉजिकल दवाइयां ब्लेफरोस्पाज्म ट्रिगर हो सकती है। इसके सभी रिस्क फैक्टर ग्राफिक में देखिए- ब्लेफरोस्पाज्म का इलाज क्या है? डॉ. रीना अग्रवाल कहती हैं कि ब्लेफरोस्पाज्म का कोई स्थायी इलाज नहीं होता है। हालांकि इसके लक्षणों को कम करने के लिए कई अच्छे ट्रीटमेंट मौजूद हैं। बोटॉक्स इंजेक्शन: यह ब्लेफरोस्पाज्म में सबसे प्रभावी ट्रीटमेंट माना जाता है। बोटुलिनम टॉक्सिन को आंखों की मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे वे रिलैक्स हो जाती हैं और ऐंठन कम हो जाती है। इसका असर 3-4 महीने तक रहता है और फिर दोबारा इंजेक्शन की जरूरत होती है। मेडिकेशन: कुछ मामलों में डॉक्टर मसल रिलैक्सेंट्स और एंटीकोलिनर्जिक दवाएं देते हैं, लेकिन ये बोटॉक्स की तुलना में कम प्रभावी होती हैं। मायेक्टोमी सर्जरी: जब मामला थोड़ा गंभीर होता है या सामान्य ट्रीटमेंट काम नहीं करते हैं तो सर्जरी के जरिए पलकों की कुछ मसल्स को हटाया जा सकता है, जिससे ऐंठन कम हो जाती है। क्या ब्लेफरोस्पाज्म से बचाव संभव है? डॉ. रीना अग्रवाल कहती हैं कि ब्लेफरोस्पाज्म को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है क्योंकि हमें इसके होने का सटीक कारण नहीं पता है। हालांकि इसके लक्षणों को गंभीर होने से रोक सकते हैं या सामान्य लक्षण दिखने पर जरूरी सावधानियां बरत सकते हैं। इसके लिए ये तरीके अपना सकते हैं: ब्लेफरोस्पाज्म और आंख फड़कने से जुड़े कॉमन सवाल और उनके जवाब सवाल: आंख क्यों फड़कती है? जवाब: आमतौर बहुत थकान के कारण ऐसा होता है। इसके ये कारण हो सकते हैं- सवाल: क्या ब्लेफरोस्पाज्म स्थायी कंडीशन है? जवाब: यह अलग-अलग व्यक्तियों पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलों में ट्रीटमेंट के बाद इसके लक्षण बहुत हल्के हो जाते हैं और यह नियंत्रित हो सकता है। जबकि कुछ कंडीशंस में यह गंभीर हो सकता है जीवनभर बना रह सकता है। सवाल: आंख फड़कने पर क्या करना चाहिए? जवाब: हां, हल्के मामलों में ये उपाय मदद कर सकते हैं: सवाल: आंखें फड़कने पर डॉक्टर को दिखाना कब जरूरी है? जवाब: आमतौर पर थकान या स्ट्रेस के कारण आंखें फड़कने लगती हैं। अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने हुए हैं तो इन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है। सवाल: क्या यह अंधेपन का कारण बन सकती है? जवाब: नहीं, लेकिन गंभीर मामलों में व्यक्ति की दृष्टि अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। सवाल: क्या घरेलू उपाय से इसे ठीक किया जा सकता है? जवाब: घरेलू उपायों से सिर्फ इसके लक्षण कम हो सकते हैं, लेकिन इसका पूरा इलाज डॉक्टर की देखरेख में ही संभव है। …………………….
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