सेहतनामा- क्या थायरॉइड में भी घटा सकते हैं वजन?:वेट लॉस के 9 टिप्स, कभी न करें ये 6 गलतियां, डॉक्टर के जरूरी सुझाव

हाइपोथायरॉइडिज्म एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है। इसमें थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland) में हॉर्मोन का निर्माण कम होता है, जिसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित लोगों का वजन आमतौर पर तेजी से बढ़ता है। हेल्दी डाइट और डेली एक्सरसाइज के बावजूद उनके लिए वेट लॉस करना काफी मुश्किल होता है। हालांकि कुछ सतर्कता और सावधानी के साथ वजन कम किया जा सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 4.2 करोड़ लोग थायरॉइड से पीड़ित हैं। वहीं मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 11% लोग हाइपोथायरॉइडिज्म का शिकार हैं। जबकि यूके में यह संख्या केवल 2% और अमेरिका में 4·6% है। इसका संभावित कारण देश में लंबे समय से चली आ रही आयोडीन की कमी है। समंदर के आसपास रहने वाले लोगों के मुकाबले जमीनी क्षेत्रों में रहने वालों में इसका खतरा अधिक होता है। इसलिए आज सेहतनामा में हम हाइपोथायरॉइडिज्म और वेट लॉस के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- सवाल- हाइपोथायरॉइडिज्म क्या है? जवाब- थायरॉइड की समस्या दो तरह की होती है, एक हाइपोथायरॉइडिज्म और दूसरी हाइपरथायराॅइडिज्म। हाइपोथायरॉइडिज्म में थायरॉइड ग्रंथि में हॉर्मोन कम बनता है और हाइपरथायरॉइडिज्म में हॉर्मोन अधिक बनता है। सही समय पर इसका इलाज न मिलने पर समस्याएं बढ़ जाती हैं। थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो गर्दन के सामने वाले हिस्से में वॉयस बॉक्स के नीचे होती है। ये ग्रंथि हॉर्मोन प्रोड्यूस करने, मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करने और सभी अंगों के ठीक से काम करने के लिए जिम्मेदार है। सवाल- हाइपोथायरॉइडिज्म और वजन बढ़ने के बीच क्या संबंध है? जवाब- थायरॉइड ग्रंथि में बनने वाले आवश्यक हॉर्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करते हैं। जब इनकी कमी होती है तो मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इसके कारण शरीर में अधिक कैलोरी जमा होती है और वजन बढ़ता है। हाइपोथायरॉइडिज्म में थकान और कमजोरी महसूस होती है, जिससे फिजिकल एक्टिविटी में कमी आ जाती है, जो कि वजन बढ़ने का एक कारण है। इसके अलावा हाइपोथायरॉइडिज्म में भूख ज्यादा लगती है, जिससे व्यक्ति ज्यादा खाता है। इसके कारण भी वजन बढ़ सकता है। सवाल- कैसे पता चले कि कोई हाइपोथायरॉइडिज्म की चपेट में आ रहा है? जवाब- आमतौर पर शुरुआती स्टेज में शायद ही हाइपोथायरॉइडिज्म के कोई लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि इसके कुछ सबसे आम लक्षणों में वजन बढ़ना, मसल्स में दर्द होना, ठंड लगना, कमजोरी, स्ट्रेस या एंग्जाइटी होना और चेहरे पर सूजन शामिल है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। हाइपोथायरॉइडिज्म का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराते हैं। सवाल- क्या हाइपोथायरॉइडिज्म में वजन कम किया जा सकता है? जवाब- डॉ. साकेत कांत बताते हैं कि हाइपोथायरॉइडिज्म में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन घटाने में मुश्किल हो सकती है। लेकिन उचित देखभाल और लाइफस्टाइल में बदलाव से वेट लॉस संभव है। इसके लिए हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए- ध्यान रखें कि हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को बहुत तेजी से वजन घटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए धीरे-धीरे और स्थिर तरीके से वजन घटाना चाहिए। हाइपोथायरॉइडिज्म में वजन कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के साथ ही बैलेंस्ड डाइट लेना भी जरूरी है। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- सवाल- हाइपोथायरॉइडिज्म में वेट लॉस के लिए डाइट में क्या शामिल करें? जवाब- इसके लिए अपनी डाइट में आयोडीन वाली चीजें शामिल करें। जैसे आयोडीन युक्त नमक, आलूबुखारा, केला और डेयरी प्रोडक्ट। हाइपोथायरॉइडिज्म में विटामिन D की कमी से भी वजन बढ़ता है। इसलिए विटामिन D से भरपूर फूड्स को डाइट में शामिल करें। इसके अलावा और क्या खा सकते हैं, इसे नीचे पॉइंटर्स में देखिए- सवाल- हाइपोथायरॉइडिज्म में क्या नहीं खाना चाहिए? जवाब- हाइपोथायरॉइडिज्म की वजह से बढ़े वजन को कम करने के लिए सिर्फ ये जानना काफी नहीं है कि क्या खाना है और क्या नहीं। यह भी जानना जरूरी है कि कब और कितना खाना चाहिए। इसके लिए थोड़ा-थोड़ा कई बार में खाएं। सोने से ठीक पहले खाने से बचें और कभी भी ओवर ईटिंग न करें। इसके अलावा हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित लोगों को खाने-पीने में काफी परहेज की जरूरत होती है। हाइपोथायरॉइडिज्म में कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए, इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- सवाल- कितने दिनों में थायरॉइड का टेस्ट कराना चाहिए? जवाब- थायरॉइड की जांच व्यक्ति की स्थिति और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करती है। आमतौर पर डॉक्टर हर 3 से 6 महीने पर टेस्ट की सलाह देते हैं, ताकि थायरॉइड हॉर्मोन की स्थिति पर नजर रखी जा सके और दवाओं में आवश्यक बदलाव किया जा सके। ……………………… सेहतनामा की ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- 188 करोड़ लोगों को नहीं मिल रहा पर्याप्त आयोडीन: भारत में 20 करोड़ लोगों को IDD का खतरा, आयोडीन की कमी कैसे पूरी करें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में लगभग 188 करोड़ लोगों को भोजन में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल पा रहा है। इनमें 24.1 करोड़ स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर (IDD) का खतरा है। पूरी खबर पढ़िए…