सेहतनामा– चेहरे पर हैं दाग–धब्बे या झाइयां:ये हो सकता है मेलाज्मा का संकेत, डर्मेटोलॉजिस्ट से जानें इसका कारण, इलाज और बचाव

आपने कई बार लोगों के चेहरे पर दाग–धब्बे और झाइयां देखी होंगी। यह एक स्किन कंडीशन है, जिसे मेलाज्मा कहते हैं। इसमें चेहरे पर नीले या भूरे रंग के छोटे-छोटे चकत्ते पड़ने लगते हैं। ये चकत्ते आमतौर पर गाल, माथे, नाक और ठोड़ी पर होते देते हैं। महिलाओं में प्रेंग्नेसी के दौरान मेलाज्मा की समस्या ज्यादा देखी जाती है। हालांकि, यह स्किन कंडीशन खतरनाक नहीं है, लेकिन इससे चेहरे की खूबसूरती और आत्मविश्वास को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में आज हम सेहतनामा में जानेंगे कि- मेलाज्मा क्या है? मेलाज्मा एक स्किन डिसऑर्डर है, जिसमें चेहरे पर दाग–धब्बे होते हैं। समय के साथ ये कभी हल्के और कभी गहरे होते रहते हैं। गर्मियों में धूप तेज होने के कारण इनका रंग ज्यादा गहरा भी हो सकता है। वहीं सर्दियों में धूप कम होने पर ये हल्के पड़ जाते हैं। धूप में मौजूद अल्ट्रावॉयलेट किरणों की वजह से धब्बों का रंग गहरा हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान 15% से 50% महिलाओं को मेलाज्मा होता है। इसे ‘प्रेग्नेंसी का मास्क’ भी कहा जाता है। मेलाज्मा महिलाओं को ज्यादा होता है। इसके कुल मामलों में 90% महिलाएं हैं, जबकि पुरुषों की संख्या सिर्फ 10% है। आमतौर पर यह समस्या समय के साथ खत्म हो जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में लंबे समय तक भी रह सकती है। मेलाज्मा कितने प्रकार का होता है? मेलाज्मा तीन प्रकार का होता है। इसे स्किन में चकत्ते की गहराई के आधार पर तय किया जाता है। डॉक्टर इसकी गहराई जानने के लिए ब्लैक लाइट का इस्तेमाल करते हैं। इससे पता चलता है कि पिगमेंटेशन स्किन में कितने अंदर तक है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। एपिडर्मल मेलाज्मा- इसमें स्किन पर गहरे भूरे रंग के चकत्ते होते हैं। ये आसपास की स्किन से बिल्कुल अलग दिखता है। ऐसे में इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। दवाओं के जरिए यह जल्दी ठीक हो जाता है। डर्मल- इसमें स्किन पर हल्के भूरे या नीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। इन धब्बों का किनारा नॉर्मल स्किन से मिला होता है। ऐसे में इसकी पहचान करना मुश्किल होता है। इसे ब्लैक लाइट में भी देखने में मुश्किल होती है। इसे दवाओं और थेरेपी से ठीक करना थोड़ा मुश्किल है। मिक्स मेलाज्मा- यह इन तीनों में सबसे कॉमन है। इसमें नीले और भूरे दोनों तरह के चकत्ते होते हैं। इस पर दवाओं का असर धीमा होता है। मेलाज्मा के शुरुआती लक्षण क्या हैं? त्वचा के किसी भी हिस्से के रंग में अगर अचानक बदलाव दिखे तो सचेत हो जाएं। मेलाज्मा की शुरुआती पहचान यही है कि इसमें त्वचा पर भूरे, नीले चकत्ते उभरने लगते हैं। यह छोटा–बड़ा किसी भी आकार का हो सकता है। कई बार यह पूरे चेहरे पर फैल जाता है या किसी एक खास हिस्से तक ही सीमित रहता है। नीचे ग्राफिक में देखिए मेलाज्मा के लक्षण– मेलाज्मा क्यों होता है? मेलाज्मा लंबे समय तक धूप में रहने से होता है। यह गर्मियों के समय में ज्यादा होता है। गर्मी के मौसम में चेहरे पर मिलेनिन पिगमेंट बढ़ जाता है और चेहरे पर दाग ज्यादा दिखाई देने लगते हैं। गर्भनिरोधक दवाइयां ज्यादा खाने से महिलाओं के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होने लगते हैं, जो मेलाज्मा का कारण बनते हैं। साथ ही हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, स्टेरॉयड का इस्तेमाल और अधिक एंटी बायोटिक दवाओं के सेवन से भी मेलाज्मा हो सकता है। शरीर के किस हिस्से में मेलाज्मा होने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं? मेलाज्मा आमतौर पर भले ही चेहरे पर अधिक होता है, लेकिन यह गर्दन या कंधे पर भी हो सकता है। यहां तक कि यह धूप के संपर्क में आने वाले शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। क्या मेलाज्मा का कोई घरेलू इलाज भी है? मेलाज्मा के इलाज के लिए आप कई सारे घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं। मेलाज्मा से निजात दिलाने में नींबू का रस, हल्दी और एलोवेरा जेल जैसे कई घरेलू नुस्खे मदद कर सकते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। नींबू- नींबू एसिडिक होता है, जो दाग–धब्बों को कम करने में मदद करता है। इसे मेलाज्मा के दाग पर लगाएं और थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। इसके बाद गुनगुने पानी से धुल लें। एप्पल साइडर विनेगर- एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर में थोड़ा सा पानी मिलाकर मेलाज्मा से प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इसके बाद थोड़ी देर सूखने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। हल्दी- हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। एक चम्मच हल्दी में दो चम्मच दूध मिलाकर, इसे चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें। एलोवेरा- एलोवेरा जेल में पॉली सैक्राइड होता है, जो मेलाज्मा के दाग हटाने में मददगार है। मेलाज्मा के दाग पर फिंगरटिप्स से एलोवेरा जेल की मालिश करें और फिर थोड़ी देर बाद चेहरे को धो लें। पपीता- पके हुए पपीते का पेस्ट बना लें और इससे मेलाज्मा प्रभावित हिस्से की मालिश करें और थोड़ी देर बाद धो लें। नियमित उपयोग से मेलाज्मा के दाग मिट सकते हैं। ग्रीन टी- ग्रीन टी का अर्क पिगमेंटेशन कम कर सकता है। इसे हल्के गुनगुने पानी में मिलाएं, फिर ठंडा होने के बाद चेहरे पर लगाएं। यह मेलाज्मा के धब्बे कम करने में मदद कर सकता है। मेलाज्मा से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब सवाल– किन लोगों को मेलाज्मा का रिस्क ज्यादा होता है? जवाब– मेलाज्मा किसी को भी हो सकता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में इसका रिस्क ज्यादा होता है। सूरज की रोशनी में ज्यादा देर तक काम करने वालों को भी इसका रिस्क ज्यादा होता है। सवाल– प्रेग्नेंसी में मेलाज्मा होने के चांस क्यों बढ़ जाते हैं? जवाब– गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई सारे हॉर्मोनल बदलाव होते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जिससे मेलेनिन का उत्पादन भी बढ़ सकता है। मेलेनिन का अधिक सेक्रेशन मेलाज्मा का कारण बन सकता है। सवाल– क्या मेलाज्मा कैंसरस भी हो सकता है? जवाब– नहीं, मेलाज्मा कैंसरस नहीं है और न ही यह कैंसर का लक्षण है। हालांकि, कुछ कैंसर मेलाज्मा जैसे दिख सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। सवाल– एक बार मेलाज्मा होने पर क्या यह लाइलाज भी हो सकता है या चेहरे पर निशान हमेशा के लिए हो सकते हैं? जवाब– नहीं, यह जरूरी नहीं है। मेलाज्मा अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जब यह लंबे समय तक बना रहता है। ऐसे में इलाज और धूप से बचाव की जरूरत होती है। सवाल– मेलाज्मा जैसे लक्षण दिखने पर कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है? जवाब– मेलाज्मा जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर जांच करके यह बता सकते हैं कि यह मेलाज्मा ही है या कोई और गंभीर बीमारी है।
……
सेहत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें सेहतनामा- साड़ी पहनने से हो रहा रेयर स्किन कैंसर:क्या है पेटीकोट कैंसर, कमर में खुजली, सूजन हो सकता है घातक, डॉक्टर से जानें
क्या आपको पता है कि साड़ी पहनने से कैंसर हो सकता है। हाल ही में जाने-माने मेडिकल जर्नल ‘BMJ’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पारंपरिक साड़ी में बहुत टाइट नाड़े वाले पेटीकोट से स्किन कैंसर का जोखिम हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें