भारतीय पुरुषों में पैंक्रियाटिक कैंसर के मामले बीते कुछ सालों से बढ़ रहे हैं। पिछले 5-10 सालों में ये ग्राफ तेजी से ऊपर बढ़ा है, जिसे लेकर भारत सरकार और डॉक्टर्स फिक्रमंद हैं। इसके लिए मुख्य तौर पर खराब खानपान को जिम्मेदार माना गया है। सबसे ज्यादा नुकसान पिज्जा, बर्गर जैसी हाई फैट अल्ट्रा प्रॉसेस्ड डाइट और शुगरी ड्रिंक्स ने किया है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में पैंक्रियाटिक कैंसर विकसित होने की आशंका लगभग दोगुनी होती है। इसके पीछे जेनेटिक कारणों के अलावा पुरुषों में सिगरेट और शराब का ज्यादा कंजंप्शन भी बड़ी वजह है। पैंक्रियाटिक कैंसर के मामले गांव की अपेक्षा शहरों में ज्यादा हैं। शहर में फास्ट फूड और अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड का ज्यादा इस्तेमाल और आबोहवा में ज्यादा प्रदूषण इसकी संभावित वजह हैं। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण 4 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत होती है। भारत में हर साल 12 हजार, 700 से ज्यादा लोगों की मौत होती है। इनमें 8 हजार से ज्यादा पुरुष होते हैं। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में पैंक्रियाटिक कैंसर के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- पैंक्रियाटिक कैंसर क्या है? हमारे पेट के पिछले हिस्से में एक मछली जैसा ऑर्गन होता है। कमाल की बात ये है कि यह ऑर्गन और ग्लैंड दोनों है। यह ऐसे एंजाइम और हॉर्मोन रिलीज करता है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। पैंक्रियाज की सेल्स शरीर की सभी सेल्स की तरह एक निश्चित पैटर्न में बढ़ती और नष्ट होती हैं। डेड सेल्स को हेल्दी कोशिकाएं खाकर खत्म कर देती हैं। कैंसर होने पर ये पैटर्न को तोड़कर कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ने लगती हैं और मल्टीप्लाई होने लगती हैं। यही पैंक्रियाटिक कैंसर है। पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण क्या हैं? पैंक्रियाटिक कैंसर का सबसे खतरनाक पक्ष ये है कि इसमें शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नजर नहीं आता है। इसके लक्षण आमतौर पर तब सामने आते हैं, जब ट्यूमर पाचन तंत्र के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करना शुरू कर देता है। अगर किसी व्यक्ति को बहुत थोड़े से अंतराल में या एक साथ डायबिटीज और पैंक्रियाटाइटिस (pancreatitis) हुआ है तो ये पैंक्रियाटिक कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से कंसल्ट करके तुरंत कैंसर की जांच करवानी चाहिए। पैंक्रियाटिक कैंसर से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और उनके जवाब सवाल: भारतीय पुरुषों में पैंक्रियाटिक कैंसर क्यों बढ़ रहा है? जवाब: बेंगलुरु के जाने-माने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. विक्रम बेलियप्पा कहते हैं कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसमें भारतीय पुरुषों की खराब लाइफस्टाइल के साथ सिगरेट और शराब का ज्यादा सेवन बड़ी वजह है। इसके अलावा भारत में अभी भी पैट्रिआर्कल सोच बड़े स्तर पर हावी है। इसलिए महिलाओं की तुलना में पुरुष किसी काम या नौकरी के लिए घर से ज्यादा बाहर निकलते हैं। इस दौरान वे पॉल्यूशन और पेट्रोकेमिकल्स के संपर्क में भी अधिक आते हैं। ये पैंक्रियाटिक कैंसर के लिए बड़े रिस्क फैक्टर हैं। सवाल: किन लोगों को पैंक्रियाटिक कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है? जवाब: इन स्थितियों में किसी को पैंक्रियाटिक कैंसर का ज्यादा रिस्क होता है: सवाल: क्या पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज संभव है? जवाब: हां, एकदम संभव है। ये सच है कि पैंक्रियाटिक कैंसर में सर्वाइवल रेट बहुत कम होता है, लेकिन अगर शुरुआती स्टेज में इसका पता लगा लिया जाए तो ट्रीटमेंट से इससे निजात मिल सकती है। पैंक्रियाटिक कैंसर पूरी तरह से ठीक करने का मतलब है कि इसका सर्जिकल रिमूवल करना होगा। सवाल: पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज क्या है? जवाब: किसी व्यक्ति को किस तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत है, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसेकि– पैंक्रियाटिक कैंसर में दिए जाते हैं ये ट्रीटमेंट सर्जरी: अगर कैंसर पैंक्रियाज के अलावा किसी अंग में नहीं फैला है और कैंसर को पूरी तरह बाहर निकालना संभव है। व्हिपल प्रोसीजर: अगर पैंक्रियाज के ऊपरी सिरे पर कैंसरस ट्यूमर है तो पैंक्रियाज का ऊपरी सिरा निकाल दिया जाता है। डिस्टल पैंक्रियाटेक्टोमी: अगर पैंक्रियाज के निचले हिल्ले में कैंसरस ट्यूमर है तो पैंक्रियाज का निचला हिस्सा निकाल दिया जाता है। टोटल पैंक्रियाटेक्टोमी: अगर पूरे पैंक्रियाज में कैंसर फैल गया है तो पूरा पैंक्रियाज निकाला जा सकता है। हालांकि ऐसा रेयर मामले में होता है। कीमोथेरेपी: कैंसर सेल्स को मारने के लिए, कम करने के लिए और कंट्रोल करने के लिए यह थेरेपी दी जा सकती है। रेडिएशन थेरेपी: कैंसर बहुत बढ़ने पर कीमोथेरेपी के साथ रेडिएशन थेरेपी दी जा सकती है। सवाल: क्या पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव संभव है? जवाब: पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव नहीं किया जा सकता है। हालांकि, लाइफस्टाइल में थोड़े से बदलाव करके इसके रिस्क कम जरूर किया जा सकता है। सेहत से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए 1. सर्दियों के सुपरफूड- सरसों-मेथी के साग में 186% आयरन: मिनरल्स का खजाना, किसे नहीं खाना चाहिए सिर्फ 100 ग्राम मेथी के साग में रोजाना जरूरत का 186% आयरन मिल जाता है। मात्र एक कप सरसों के साग में 120% विटामिन K मिल जाता है। पूरी खबर पढ़िए…