सेहतनामा- लड़की के पेट से निकले 1 किलो बाल:क्या है ये बीमारी, जिसमें कोई अपने बाल खाने लगता, डॉक्टर से जानें कारण और बचाव

पिछले महीने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 9 साल की एक लड़की के पेट में तेज दर्द के बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। जांच में उसके पेट में बड़े गुच्छे जैसा कुछ दिख रहा था। ऑपरेशन करने पर पता चला कि यह बालों का लगभग 1 किलो का गुच्छा है। पेरेंट्स ने बताया कि बच्ची को 3 साल की उम्र से अपने बाल तोड़कर खाने की आदत थी। घर वालों को लगा कि समझाने पर यह आदत चली जाएगी। जब लड़की डांटने और समझाने पर भी नहीं मानी तो उसके सिर के बाल कटवा दिए गए। इसके बाद बात आई-गई हो गई। कुछ महीने बाद जब लड़की ने पेट दर्द की शिकायत की और 15 दिन तक खाना नहीं खाया तो उसे अस्पताल ले जाया गया। वहां पर पता चला कि उसके पेट में एक किलो के करीब बाल था। यह एक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है, जिसमें इंसान अपने सिर और भौंह के बाल नोचने और खाने लगता है। विज्ञान की भाषा में इसे ट्राइकोटिलोमेनिया (Trichotillomania) कहते हैं। इसका एक नाम ‘हेयर पुलिंग डिसऑर्डर’ भी हैं। अगर कोई बाल नोचकर खा रहा है तो इस कंडीशन को पीका (PICA) कहते हैं। इसमें लोग ऐसी चीजें खाने लगते हैं, जो नॉन न्यूट्रिटिव हैं यानी जिनमें कोई पोषण नहीं हैं और जो मनुष्य का भोजन नहीं हैं। PICA में लोग सिर्फ बाल ही नहीं, बल्कि मिट्‌टी, चॉक, चूना जैसी चीजें भी खाने लगते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में करीब 12% बच्चे कभी–न–कभी PICA से ग्रसित होते हैं। इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज ट्राइकोटिलोमेनिया और PICA की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- बच्ची को दो मानसिक बीमारियां ट्राइकोटिलोमेनिया और PICA दो अलग मेंटल हेल्थ कंडीशन हैं। ओसीडी (ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर), डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्या होने पर इसका जोखिम अधिक होता है। जबकि, PICA आमतौर पर छोटे बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को होता है। कुछ लोगों को ये दोनों मेंटल हेल्थ कंडीशन एक साथ हो सकती हैं। जिस बच्ची के पेट में बालों का गुच्छा मिला है, उसे दोनों बीमारियां एक साथ थीं। इन बीमारियों के लक्षण क्या हैं? ट्राइकोटिलोमेनिया और PICA, दोनों बीमारियों के लक्षण अलग होते हैं। पहले ट्राइकोटिलोमेनिया के लक्षण देखिए- PICA के लक्षण आमतौर पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने पर PICA डेवलप होता है। इसलिए PICA होने पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी की जांच की जाती है। ज्यादातर लोगों में PICA की कंडीशन में एनीमिया जैसे लक्षण ही दिखते हैं। अन्य लक्षण ग्राफिक में देखिए- ट्राइकोटिलोमेनिया और PICA से क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं? ट्राइकोटिलोमेनिया होने पर खुद के बाल नोचने की आदत को रोक न पाने की वजह से आत्मग्लानि और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। इससे शर्मिंदगी बढ़ती है और आत्मविश्वास कम हो जाता है। लोग समाज में मिलने-जुलने से बचने लगते हैं और अकेलापन बढ़ता जाता है। इसके अलावा बाल नोचने से गंजापन और इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ता है। PICA के जोखिम PICA होने पर पत्थर, मिट्टी, प्लास्टिक या मेटल्स जैसी असामान्य चीजें खाने से पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं। इसमें लोगों को अक्सर कब्ज और डायरिया जैसी दिक्कतें होती हैं। लंबे समय तक मिट्टी या कागज जैसी चीजें खाने से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, ग्राफिक में देखिए- ट्राइकोटिलोमेनिया और PICA का इलाज क्या है? ट्राइकोटिलोमेनिया एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है। इसलिए इसके इलाज में आमतौर पर कुछ थेरेपी की मदद ली जाती है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT)- यह सबसे अच्छा ट्रीटमेंट माना जाता है। इसमें शख्स की आदतों और सोचने के तरीके में बदलाव की कोशिश की जाती है। हैबिट रिवर्सल थेरेपी (HRT)- इसमें शख्स को बाल नोचने की जगह कोई दूसरी सुरक्षित आदत अपनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है, जैसे स्पंज बॉल दबाना या रबर बैंड खींचना। माइंडफुलनेस ट्रेनिंग (Meditation)- इसमें स्ट्रेस मैनेजमेंट की कई टेक्निक सिखाई जाती हैं, जिनमें मेडिटेशन और योग की सलाह भी दी जाती है। PICA का इलाज क्या है? PICA का ट्रीटमेंट जितनी जल्दी शुरू होता है, इसे ठीक करना उतना ही आसान होता है। मान लीजिए, किसी ने पेंट खाया है और इससे पेट में इन्फेक्शन हुआ है तो डॉक्टर चीलेशन थेरेपी देकर इसे पेशाब के रास्ते बाहर निकाल सकते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में जितनी देरी होगी, समस्या उतनी ही बढ़ती जाएगी। अगर डॉक्टर को आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी या असंतुलन दिख रहा है तो वह ट्रीटमेंट में विटामिन, आयरन या दूसरे सप्लीमेंट्स दे सकते हैं। अगर इसके पीछे की वजह कोई मेंटल डिसऑर्डर है तो डॉक्टर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से थेरेपी लेने को कह सकते हैं। कई मामलों में पेशेंट्स को थेरेपी और दवा एक साथ दी जाती हैं। ट्राइकोटिलोमेनिया और PICA से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: क्या ट्राइकोटिलोमेनिया पूरी तरह ठीक हो सकता है? जवाब: हां, सही इलाज और थेरेपी की मदद से इसे पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है। इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू होता है, रिजल्ट्स भी उतने अच्छे मिलते हैं। इसके लिए अच्छे मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए। सवाल: क्या PICA अपने आप ठीक हो सकता है? जवाब: 2 से 6 साल की उम्र में अक्सर बच्चों को PICA की समस्या होती है। ज्यादातर मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाती है। इस उम्र में बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से हो रहा होता है। इसलिए उन्हें ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है। बैलेंस्ड डाइट न मिलने पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और PICA की समस्या होती है। पर्याप्त डाइट मिलने पर सबकुछ सामान्य हो जाता है। प्रेग्नेंसी के समय भी कई महिलाओं को यह समस्या होती है, लेकिन पर्याप्त डाइट मिलने पर कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है। सवाल: PICA का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं? जवाब: इसका पता लगाने का कोई निश्चित टेस्ट नहीं होता है। आमतौर पर ब्लड टेस्ट के जरिए यह देखा जाता है कि शरीर में किन जरूरी पोषक तत्वों की कमी है। डॉक्टर आमतौर पर पेशेंट के बिहेवियर हिस्ट्री पर गौर करते हैं। इसके अलावा यह पूछते हैं कि वह कौन सी नॉन न्यूट्रिटिव चीजें खा रहा है। इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि ईटिंग डिसऑर्डर किस लेवल तक पहुंच गया है। सवाल: बाल खाने पर पेट में इसका गुच्छा क्यों बन जाता है? जवाब: बाल को हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम पचा नहीं सकता है। इसलिए बाल पेट की दीवार में जाकर चिपकते रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति लगातार बाल खा रहा है तो ये चिपकते-चिपकते गुच्छे का आकार ले लेते हैं। सवाल: किन लोगों को PICA का जोखिम ज्यादा है? जवाब: इन लोगों को PICA का जोखिम ज्यादा है- सवाल: ट्राइकोटिलोमेनिया का जोखिम किन लोगों को ज्यादा है? जवाब: इन लोगों को ट्राइकोटिलोमेनिया का जोखिम ज्यादा है- …………………….
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