सेहतनामा- सर्दियों में क्यों बढ़ते हैं विंटर डिप्रेशन के मामले:ये क्यों होता है, इन 7 संकेतों से पहचानें, डॉक्टर की 8 जरूरी सलाह

सर्दी का मौसम आ गया है। ठंड बढ़ने के साथ ही धूप के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं। बहुत से लोगों को ठंड का मौसम खूब रास आता है। वह इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। हालांकि ठंड कई बार उदासी का कारण भी बन सकती है। सर्दियों में ठंडा मौसम और दिन में कम रोशनी के कारण कुछ लोगों को सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) हो सकता है। इसे विंटर डिप्रेशन भी कहा जाता है। आमतौर पर इसके सभी लक्षण डिप्रेशन से मिलते जुलते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, वर्ष 2015 में दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन से पीड़ित थे। ये संख्या दुनिया की आबादी का 4.3% है। वहीं नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक, भारत में लगभग 15% एडल्ट्स को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं थीं। यानी करीब 20 में से एक भारतीय डिप्रेशन से पीड़ित था। तो आज सेहतनामा में हम सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी विंटर डिप्रेशन के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- विंटर डिप्रेशन क्या है? ये एक प्रकार का मेंटल हेल्थ इश्यू है, जो मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम में होता है। इसके कारण व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, आलस और तनाव जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यह ठंड के शुरुआती महीनों से लेेकर आखिर तक बने रह सकते हैं। विंटर डिप्रेशन किसी भी उम्र के लोगों काे हो सकता है। विंटर डिप्रेशन क्यों होता है? सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और तापमान में गिरावट होने के साथ सूरज की रोशनी कम हो जाती है। इसका असर लोगों की लाइफस्टाइल पर भी पड़ता है। इससे कुछ लोगों को विंटर डिप्रेशन हो सकता है। नींद से संबंधित हॉर्मोन मेलाटोनिन का भी विंटर डिप्रेशन से कनेक्शन है। जब दिन में पर्याप्त रोशनी की कमी होती है तो बॉडी में अधिक मेलाटोनिन बनता है। इससे विंटर डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। नीचे दिए ग्राफिक में देखिए कि किन लोगों को इसका खतरा अधिक रहता है। इन लक्षणों से पहचानें विंटर डिप्रेशन अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक, आमतौर पर इसके लक्षणों में उदासी, तनाव, एनर्जी की कमी, अधिक सोना और वजन बढ़ना शामिल है। इसके अलावा भी कुछ संकेतों से आप इसकी पहचान कर सकते हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक में इसे समझिए। विंटर डिप्रेशन से कैसे बचें विंटर डिप्रेशन से बचने के लिए विटामिन D सबसे ज्यादा जरूरी है। ये शरीर में सेरोटॉनिन के लेवल को बढ़ाता है। सेरोटॉनिन एक हैप्पी हॉर्मोन है, जो मूड को संतुलित रखता है। इसके अलावा विंटर डिप्रेशन से बचने के लिए नीचे ग्राफिक में दिए गए टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। आइए, अब ऊपर दिए पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। विंटर डिप्रेशन में फायदेमंद है सूरज की रोशनी विटामिन D हमारी सेहत के लिए एक जरूरी विटामिन है। इसका प्रमुख सोर्स सूरज की रोशनी है। जब सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होती है तो बॉडी की सर्केडियन रिद्म बदल जाती है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब हमारी स्किन सूर्य की किरणों के संपर्क में आती है तो शरीर विटामिन D प्रोड्यूस करता है, जो कि हड्डियों, इम्यून सिस्टम और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। सर्दियों में सूरज की रोशनी का हल्का-सा संपर्क भी महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए अगर संभव हो तो रोजाना 15 से 30 मिनट तक हल्की धूप में बैठें। यदि बाहर जाना संभव न हो तो विटामिन D सप्लीमेंट्स का सेवन भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अपनी डाइट का रखें ख्याल सर्दियों के मौसम में फूड क्रेविंग होती है। इसकी वजह से कई बार कुछ लोग फास्ट फूड और जंक फूड की तरफ रुख करते हैं। ये हमारी फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ पर भी नकारात्मक असर डालते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, फल-सब्जियां और हेल्दी डाइट खाने वालों के मुकाबले फास्ट फूड खाने वाले लोगों को डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। इसलिए हमेशा अपने खानपान काे दुरुस्त रखना बेहद जरूरी है। विंटर डिप्रेशन से बचने के लिए आप अपनी डाइट में डार्क चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स, साबुत अनाज, हरी सब्जियां, दूध, अंडा जैसी चीजों को शामिल कर सकते हैं। वर्कआउट पर ध्यान दें विंटर डिप्रेशन से निपटने के लिए रोजाना 30 मिनट का वर्कआउट करना फायदेमंद है। ठंडे मौसम में जब दिन छोटे होते हैं और सूरज की रोशनी कम मिलती है तो इसका हमारी मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ता है। वर्कआउट से शरीर में एंडोर्फिन हॉर्मोन रिलीज होता है, जो तनाव को कम करता है। अकेले रहने से बचें विंटर डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को अकेले रहने से बचना चाहिए। इससे मानसिक समस्याएं और अधिक बढ़ सकती हैं। भले ही आपको बाहर जाने का मन न हो, फिर भी दोस्तों और प्रियजनों से मिलने-जुलने की कोशिश करें। पूरी नींद लें नींद की गड़बड़ी विंटर डिप्रेशन के लक्षणों को और बढ़ा सकती है। पर्याप्त नींद से शरीर के सर्केडियन रिद्म को संतुलित किया जा सकता है। इसके लिए रोज एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें। रात में 7-8 घंटे की नींद पूरी करें। अच्छी नींद से फिजिकल और मेंटल हेल्थ बेहतर होती है। ये विंटर डिप्रेशन से निपटने में भी मददगार है। सेल्फ केयर पर ध्यान दें जो चीजें आपको खुश करती हैं, उसे जरूर करें। जैसेकि फिल्म देखना, पढ़ना या आउटडोर एक्टिविटीज करना। इसके बाद भी अगर विंटर डिप्रेशन के लक्षण लगातार बने रहते हैं तो साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें। विंटर डिप्रेशन का इलाज मेडिकल में विंटर डिप्रेशन के इलाज के लिए कुछ तरीके हैं। इसे नीचे पॉइंटर्स के जरिए समझिए- लाइट थेरेपी: इसके लिए एक विशेष लैंप का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें बहुत अधिक प्रकाश होता है। ये तेज लाइट वाली थेरेपी विंटर डिप्रेशन के इलाज में मददगार है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT): ये एक प्रकार की टॉक थेरेपी है, जो विंटर डिप्रेशन से उबरने में मदद करती है। मेडिकल ट्रीटमेंट: कई बार डॉक्टर्स SAD से उबरने के लिए लोगों को कुछ दवाएं भी देते हैं। गर्मियों में सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कम होता है जब दिन लंबे होते हैं और धूप अधिक होती है तो सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के मामले बेहद कम हो जाते हैं। हालांकि कुछ लोगों में गर्मियों के दिनों में भी इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसे ‘समर डिप्रेशन’ कहा जाता है। समर डिप्रेशन के ज्यादातर मामले पहले से किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे लोगों में देखे जाते हैं। …………………………… सेहतनामा की ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- भारत में हर 40 सेकेंड में होता एक स्ट्रोक:हर 4 मिनट में इससे एक मौत, बचाव के लिए जरूरी FAST ट्रिक विश्व स्ट्रोक संगठन (WSO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल एक करोड़, 22 लाख से ज्यादा लोगों को पहली बार स्ट्रोक होता है। इनमें से लगभग 65 लाख लोगों की हर साल मौत हो जाती है। पूरी खबर पढ़िए…