आज (सोमवार, 10 मार्च) फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसका नाम आमलकी एकादशी और रंगभरी ग्यारस है। ये हिंदी वर्ष की अंतिम एकादशी है। इस एकादशी पर व्रत-उपवास करने के साथ ही पर आंवले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है। इसके अलावा भक्त रंगभरी ग्यारस पर अपने इष्टदेव को रंग चढ़ाकर होली पर्व की शुरुआत करते हैं। दान-पुण्य भी करते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अब से चार दिन बाद होली खेली जाएगी। होली से पहले इस एकादशी पर काशी में बाबा विश्वनाथ को अबीर-गुलाल चढ़ाया जाता है। इसी दिन से होली पर्व की शुरुआत मानी जाती है। काशी, मथुरा, वृंदावन, गोकुल के आसपास के क्षेत्रों में लोग रंगभरी ग्यासर से होली खेलना शुरू कर देते हैं। जानिए सोमवार और एकादशी के योग में कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं…