स्टालिन बोले- तमिलनाडु के लोग जल्द बच्चा पैदा करें:वरना हमारे 8 सांसद कम होंगे, फैमिली प्लानिंग पॉलिसी राज्य के लिए नुकसानदायक

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने राज्य के लोगों से जल्द से जल्द बच्चे पैदा करने की अपील की है। उन्होंने कहा- पहले हम कहते थे, आराम से बच्चे पैदा करो, लेकिन अब हालात बदल गए हैं, इसलिए तुरंत बच्चे पैदा करने की जरूरत है। राज्य में जनसंख्या के आधारित परिसीमन होने से राज्य की लोकसभा सीटें घट सकती हैं, जिससे राज्य का पॉलिटिकल रिप्रेजेंटेशन कम हो जाएगा। तमिलनाडु की सफल फैमिली प्लानिंग पॉलिसी अब राज्य के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। स्टालिन ने तमिलनाडु के भविष्य पर चर्चा करने के लिए 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। उन्होंने सभी विपक्षी दलों से इसमें शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हमें एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी होगी। दरअसल, स्टालिन सोमवार को नागपट्टिनम जिले के पार्टी सेक्रेटरी की वेडिंग एनिवर्सरी में शामिल होने पहुंचे थे। यहीं पर उन्होंने राज्य की जनता से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की। फैमिली प्लानिंग पॉलिसी से राज्य को नुकसान
25 फरवरी को कैबिनेट बैठक के बाद बोलते हुए भी स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया था कि तमिलनाडु में फैमिली प्लानिंग पॉलिसी को सफलतापूर्वक लागू करने से राज्य अब नुकसान की स्थिति में है। अगर जनसंख्या जनगणना के आधार पर परिसीमन लागू होता है तो तमिलनाडु को आठ सांसद खोने पड़ेंगे। इससे संसद में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। परिसीमन क्या है?
परिसीमन यानी लोकसभा और विधानसभा सीट की सीमा तय करने की प्रक्रिया। परिसीमन के लिए आयोग बनता है। पहले भी 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं। लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत 2026 से होगी। ऐसे में 2029 के लोकसभा चुनाव में लगभग 78 सीटों के इजाफे की संभावना है। दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध किया है। इसलिए सरकार समानुपातिक परिसीमन की तरफ बढ़ेगी, जिसमें जनसंख्या संतुलन बनाए रखने का फ्रेमवर्क तैयार हो रहा है। परिसीमन का फ्रेमवर्क क्या होगा?
परिसीमन आयोग से पहले सरकार ने फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है। प्रतिनिधित्व को लेकर मौजूदा व्यवस्था से छेड़छाड़ नहीं होगी, बल्कि जनसांख्यिकी संतुलन को ध्यान में रखकर एक ब्रॉडर फ्रेमवर्क पर विचार जा रहा है। सीटों में क्या बदलाव होगा
तमिलनाडु-पुडुचेरी में लोकसभा की 40 सीट है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान की 80 सीटों से 14 सीट बढ़ती हैं तो इसकी आधी यानी 7 सीट तमिलनाडु-पुडुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। अर्थात सीट बढ़ाने के लिए जनसंख्या ही एक मात्र विकल्प नहीं है। आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्‌टी में बढ़ेंगी उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। किसी लोकसभा में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा तो दूसरी जगह 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा। अल्पसंख्यक बहुल सीटों का क्या होगा?
देश के 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20%से 97%तक है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर जनसांख्यिकी संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है। महिला आरक्षण के बाद क्या होगा?
1977 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के बाद इसे डिफ्रीज करना लाजमी है। जनसंख्या वृद्धि दर में प्रभावी नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा। ………………………….. परिसीमन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सिद्धारमैया बोले- गृह मंत्री की बात भरोसे लायक नहीं:भाजपा परिसीमन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही; शाह भ्रम पैदा कर रहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 27 फरवरी को कहा था कि भाजपा दक्षिणी राज्यों को चुप कराने के लिए परिसीमन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह का बयान भरोसे लायक नहीं हैं। दरअसल शाह ने 26 फरवरी को कहा था कि परिसीमन की वजह से दक्षिणी राज्यों की एक भी संसदीय सीट कम नहीं होगी। पूरी खबर पढ़ें…