सोमवार रात से जारी भारी बारिश की वजह से मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई है। शहर के ज्यादातर निचले इलाके की सड़कें पानी में डूबी हैं। समुद्र से सटे इलाकों में एनडीआरएफ की 5 टीमें लगातार लोगों को रेस्क्यू कर रही हैं। हाई टाइड की वजह से मुंबई के निचले इलाकों में समुद्र का पानी घरों और दुकानों में घुस गया।
एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो मुंबई के कालबादेवी मार्केट का है। इसमें लोग शोर करते नजर आ रहे हैं। गुरुवार को भी इस इलाके में भारी बारिश के बाद सुबह से पानी भरा हुआ है। गुरुवार को हाईटाइड की आशंका को देखते हुए ट्रैफिक को रोक दिया गया है।
26 जुलाई 2005 की बारिश की याद दिलाई
बुधवार को हुई बारिश ने 26 जुलाई 2005 की बरसात की याद दिला दी। 26 जुलाई दोपहर दो बजे शुरू हुई बरसात, अगले दिन 27 जुलाई सुबह 8:30 बजे तक जारी रही थी। इस दौरान मुंबई में 944 मिलीमीटर पानी बरसा था। इस दिन मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में 1100 से ज्यादा लोग मारे गए थे। गांव के गांव बाढ़ में बह गए और पांच लाख लोग बेघर हो गए थे। मुंबई में मीठी नदी ने उफान के चलते मुंबई के उपनगरीय इलाकों को तबाह कर दिया था।
मुंबई में कब-कब हुई सबसे ज्यादा बारिश
दिन | बरसात(मिलीमीटर) |
3 अगस्त 1881 | 287 |
10 सितंबर 1930 | 548.1 |
5 जुलाई 1974 | 575.6 |
10 जून 1991 | 477.6 |
23 सितंबर 1981 | 318.2 |
10 जून 1991 | 399 |
23 अगस्त 1997 | 346.2 |
27 जुलाई 2005 | 944.2 |
6 अगस्त 2020 | 331.8 |





सड़कों पर ही गाड़ियां छोड़ गए लोग
मुंबई में बुधवार को इतनी ज्यादा बारिश हुई कि पिछले 46 साल का रिकॉर्ड टूट गया। बारिश के कारण इतना बुरा हाल हुआ कि कई लोग ईस्टर्न फ्री-वे पर अपनी गाड़ियां ही छोड़कर घर चले गए। ईस्टर्न फ्री-वे दक्षिणी मुंबई को चेंबूर इलाके से जोड़ता है। जाम इतना ज्यादा था कि लोगों को पैदल घर जाना सही लगा।

तेज हवा से रायगढ़ में जेएनपीटी पोर्ट पर क्रेन गिरी
रायगढ़ जिले में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) पर तीन क्रेन बुधवार दोपहर तेज रफ्तार से चली हवाओं से ढह गईं। हालांकि, इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। देश के सबसे बड़े बंदरगाहों में शामिल जेएनपीटी के प्रेसिडेंट संजय सेठी ने बताया कि ये क्रेन टर्मिनल एक पर ढहीं। गनीमत रही कि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ। कामकाज पर असर पड़ा है।

मुंबई में चरनी रोड स्टेशन के पास बुधवार को तेज बारिश में एक पेड़ तारों पर गिर गया। इसमें चिंगारी से पेड़ में आग लग गई। वहीं रेलवे के कुछ उपकरण भी जल गए। इससे कुछ देर के लिए ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा।


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