पंजाब पुलिस ने 13 महीने से बंद हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर को खाली करा दिया है। यहां आंदोलन कर रहे किसानों को हटा दिया गया। इस दौरान 200 किसानों को हिरासत में लिया गया। जिसके बाद बुलडोजर से किसानों के बनाए शेड तोड़ दिए गए। पंजाब पुलिस की कार्रवाई के बाद आज हरियाणा पुलिस भी दोनों बॉर्डर पर पहुंचेगी, जिसके बाद सीमेंट की बैरिकेडिंग हटाई जाएगी। इसके बाद शंभू बॉर्डर से जीटी रोड को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा। इससे पहले किसानों की केंद्र सरकार के साथ चंडीगढ़ में 7वीं वार्ता बेनतीजा रही। इस मीटिंग से बाहर आए किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवण पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के जगजीत डल्लेवाल समेत कई नेताओं हिरासत में लिया गया। किसान 13 फरवरी 2024 से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे। 13 फरवरी को दिल्ली जाते वक्त हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें वहां रोक लिया था। वह MSP की गारंटी के कानून की मांग कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 4 बार दिल्ली जाने की कोशिश की लेकिन उन्हें शंभू बॉर्डर से आगे नहीं बढ़ने दिया गया। अब सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए पूरा मामला…. चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्र के बीच मीटिंग
बुधवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई। इस मीटिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी शामिल थे। सुबह 11 बजे शुरू हुई मीटिंग 4 घंटे चली, लेकिन कोई हल नहीं निकला। मीटिंग में किसान संगठन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के कानून की मांग पर अड़े रहे। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की ओर से जो लिस्ट शेयर की गई है, उनसे कुछ इश्यू आ सकते हैं। वे किसानी से जुड़े सभी मंत्रालयों से इसके बारे में चर्चा करना चाहते है, तो समय लग सकता है। इस पर वार्ता 4 मई को दोबारा करने पर सहमति बनी। मीटिंग में पंजाब सरकार ने किसानों को बॉर्डर खाली करने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। जिसके बाद मीटिंग में हिस्सा लेकर वापस लौट रहे सरवण पंधेर को मोहाली की एयरपोर्ट रोड पर पुलिस ने घेर लिया। वहीं जगजीत डल्लेवाल एंबुलेंस में खनौरी बॉर्डर लौट रहे थे, पुलिस ने उन्हें संगरूर में घेर लिया। पुलिस और किसानों के बीच हुई धक्कामुक्की
पुलिस डल्लेवाल को एंबुलेंस समेत ही हिरासत में लेकर चली गई। यही नहीं किसान नेता काका सिंह कोटड़ा, अभिमन्यु कोहाड़, मनजीत राय, ओंकार सिंह को भी डिटेन किया गया। किसान नेताओं को हिरासत में लेने पर किसान भड़क गए। संगरूर में पुलिस-किसानों के बीच धक्कामुक्की हुई। किसानों ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। हालांकि पंजाब पुलिस पहले से ही तैयारी में थी और भारी फोर्स की वजह से सभी किसान हिरासत में ले लिए गए। शंभू और खनौरी बॉर्डर खाली करवाए, शेड तोड़े
इसके बाद शाम करीब 8 बजे पंजाब पुलिस ने दोनों बॉर्डरों को खाली करना शुरू कर दिया। बॉर्डरों पर भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई। किसानों को यहां हटाकर उनके शेडों और टेटों पर बुलडोजर चलाया गया। SSP बोले- किसानों ने अच्छा सहयोग किया
पटियाला के SSP नानक सिंह ने कहा कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस ने उन्हें चेतावनी देने के बाद इलाके को खाली करा दिया। कुछ लोगों ने घर जाने की इच्छा जताई। इसलिए उन्हें बस में बैठाकर घर भेज दिया गया। हमें कोई बल प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ी। क्योंकि कोई विरोध नहीं हुआ। किसानों ने अच्छा सहयोग किया। 7वीं दौर की बातचीत भी रही बेनतीजा इससे पहले बुधवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। यह बातचीत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चली, जिसमें किसान नेताओं के अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी मौजूद रहे। किसान संगठन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के कानून की मांग पर अड़े रहे, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई ठोस सहमति नहीं दी है। वार्ता विफल होने के बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाने का फैसला किया और पंजाब पुलिस ने बॉर्डर खाली कराने की प्रक्रिया तेज कर दी। किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया बैठक के बाद किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवण पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में ले लिया गया। यही दोनों नेता इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। किसानों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे आंदोलन को कुचलने की कोशिश बताया। क्यों हो रहा था यह आंदोलन? किसानों ने 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना शुरू किया था, जब वे दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे लेकिन हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें वहीं रोक दिया था। सरकार बंद नहीं रहने देगी बॉर्डर अब जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाना शुरू कर दिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या किसान संगठन दोबारा धरना देंगे या फिर सरकार के साथ बातचीत का नया दौर शुरू होगा। दूसरी तरफ, सरकार ने यह संकेत दिया है कि अब बॉर्डर को बंद नहीं रहने दिया जाएगा और जरूरत पड़ी तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। आने वाले दिनों में पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो सकती है।
बुधवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई। इस मीटिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी शामिल थे। सुबह 11 बजे शुरू हुई मीटिंग 4 घंटे चली, लेकिन कोई हल नहीं निकला। मीटिंग में किसान संगठन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के कानून की मांग पर अड़े रहे। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की ओर से जो लिस्ट शेयर की गई है, उनसे कुछ इश्यू आ सकते हैं। वे किसानी से जुड़े सभी मंत्रालयों से इसके बारे में चर्चा करना चाहते है, तो समय लग सकता है। इस पर वार्ता 4 मई को दोबारा करने पर सहमति बनी। मीटिंग में पंजाब सरकार ने किसानों को बॉर्डर खाली करने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। जिसके बाद मीटिंग में हिस्सा लेकर वापस लौट रहे सरवण पंधेर को मोहाली की एयरपोर्ट रोड पर पुलिस ने घेर लिया। वहीं जगजीत डल्लेवाल एंबुलेंस में खनौरी बॉर्डर लौट रहे थे, पुलिस ने उन्हें संगरूर में घेर लिया। पुलिस और किसानों के बीच हुई धक्कामुक्की
पुलिस डल्लेवाल को एंबुलेंस समेत ही हिरासत में लेकर चली गई। यही नहीं किसान नेता काका सिंह कोटड़ा, अभिमन्यु कोहाड़, मनजीत राय, ओंकार सिंह को भी डिटेन किया गया। किसान नेताओं को हिरासत में लेने पर किसान भड़क गए। संगरूर में पुलिस-किसानों के बीच धक्कामुक्की हुई। किसानों ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। हालांकि पंजाब पुलिस पहले से ही तैयारी में थी और भारी फोर्स की वजह से सभी किसान हिरासत में ले लिए गए। शंभू और खनौरी बॉर्डर खाली करवाए, शेड तोड़े
इसके बाद शाम करीब 8 बजे पंजाब पुलिस ने दोनों बॉर्डरों को खाली करना शुरू कर दिया। बॉर्डरों पर भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई। किसानों को यहां हटाकर उनके शेडों और टेटों पर बुलडोजर चलाया गया। SSP बोले- किसानों ने अच्छा सहयोग किया
पटियाला के SSP नानक सिंह ने कहा कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस ने उन्हें चेतावनी देने के बाद इलाके को खाली करा दिया। कुछ लोगों ने घर जाने की इच्छा जताई। इसलिए उन्हें बस में बैठाकर घर भेज दिया गया। हमें कोई बल प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ी। क्योंकि कोई विरोध नहीं हुआ। किसानों ने अच्छा सहयोग किया। 7वीं दौर की बातचीत भी रही बेनतीजा इससे पहले बुधवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। यह बातचीत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चली, जिसमें किसान नेताओं के अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी मौजूद रहे। किसान संगठन MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के कानून की मांग पर अड़े रहे, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई ठोस सहमति नहीं दी है। वार्ता विफल होने के बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाने का फैसला किया और पंजाब पुलिस ने बॉर्डर खाली कराने की प्रक्रिया तेज कर दी। किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया बैठक के बाद किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवण पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में ले लिया गया। यही दोनों नेता इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। किसानों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे आंदोलन को कुचलने की कोशिश बताया। क्यों हो रहा था यह आंदोलन? किसानों ने 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना शुरू किया था, जब वे दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे लेकिन हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें वहीं रोक दिया था। सरकार बंद नहीं रहने देगी बॉर्डर अब जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाना शुरू कर दिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या किसान संगठन दोबारा धरना देंगे या फिर सरकार के साथ बातचीत का नया दौर शुरू होगा। दूसरी तरफ, सरकार ने यह संकेत दिया है कि अब बॉर्डर को बंद नहीं रहने दिया जाएगा और जरूरत पड़ी तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। आने वाले दिनों में पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो सकती है।