जेम एंड ज्वेलरी के क्षेत्र में भारत 35 बिलियन (करीब ढाई लाख करोड़) का माल निर्यात करता है, फिर भी ऑनलाइन बिक्री के लिए देश में एक भी स्वदेशी पोर्टल नहीं है। साल के शुरुआत में ही चीन, जापान समेत दुनिया के अन्य देशों में कोरोना महामारी का संक्रमण फैलने लगा था। इस दौरान अमेरिकन ई-पोर्टल कंपनी रेपा पोर्ट द्वारा मार्च महीने में हीरे की कीमत 8 से 15 प्रतिशत तक घटा दी गई थी। भारतीय हीरा व्यापारियों ने 1,000 करोड़ से अधिक के हीरे पोर्टल से हटा लिए थे।
भारतीय उद्योगपतियों ने कंपनी की डायमंड प्राइसिंग प्रणाली का भी विरोध किया था। भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म न होने की वजह से बिक्री के लिए रखे गए हीरे हटाने वाले सूरत-मुंबई के उद्योगपति अब फिर से इसी अमेरिकी पोर्टल पर बेचने को मजबूर हैं।
कोरोना महामारी के कारण सूरत के उद्योगपतियों का प्रतिमाह 5000 करोड़ रुपए का कारोबार मार्च महीने से ही ठप हो गया था। हर शुक्रवार को पॉलिश्ड डायमंड का रेट तय करने वाली संस्था इजराइली व्यवसायी की अमेरिकन डायमंड कपंनी ने पॉलिश्ड हीरे का भाव 8 से 15 प्रतिशत तक कम कर दिया था।
नतीजतन सूरत-मुंबई की हीरा कंपनियों ने अमेरिकी कंपनी के ई-पोर्टल पर बिक्री के लिए रखे गए 1,050 करोड़ के हीरे वापस ले लिए थे। उद्योगपतियों ने इसका विरोध भी किया था। अब फिर से हीरे का कारोबार तेजी से शुरू हाे गया है। सूरत के उद्योगपतियों
के पास दूसरा कोई विकल्प न होने की वजह से फिर से अमेरिकन पोर्टल पर डायमंड बेचने के लिए रख रहे हैं।
10 फीसदी कारोबार अन्य पोर्टल से होता है
अमेरिकी पोर्टल के अलावा यूएई, हांगकांग, चीन और थाईलैंड के ई-पोर्टल पर भारतीय डायमंड कंपनियां 10 फीसदी पॉलिश्ड डायमंड की बिक्री करती हैं। हालांकि अमरीकी ई-पोर्टल सबसे अच्छा प्लेटफार्म है, इसलिए वापस इसे फिर से अपना रहे हैं।
डायमंड बिक्री के लिए भारतीय कंपनियों में भी चल रहा काम
जीजेईपीसी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नावड़िया ने कहा कि भारतीय कंपनियों द्वारा हीरे की बिक्री और मूल्य निर्धारण के लिए एक मंच बनाने का काम चल रहा है। इजराइली गेट डायमंड की वेबसाइट है जो इस अमेरिकी कंपनी का विकल्प है। उद्योगपतियों को जल्द लाभ मिलेगा।
भारतीय ई-प्लेटफॉर्म पर विदेशी खरीदार ही नहीं
शहर के हीरा उद्योगपतियों का कहना है कि कई भारतीय ई-पोर्टल हैं, लेकिन पर इस पर कोई भी विदेशी खरीदार नहीं हैं। अमेरिकी पोर्टल पर सभी बायर्स आसानी से मिल जाते हैं। यहां रखे हीरे भी आसानी से बिक जाते हैं।
10 से 15% की बढ़ोतरी, विदेश में पाॅलिश्ड की मांग बढ़ी
लॉकडाउन से हीरा उद्योग पर गंभीर असर पड़ा है। अब धीरे-धीरे हीरे के कारोबार में सुधार आने लगा है। हांगकांग, अमेरिका, यूरोपीय देशों के अलावा चीन और पश्चिमी देशों में भी हीरे की मांग बढ़ी है। परिणामस्वरूप सूरत में स्थित 7,000 में से 3000 कंपनियों में 50 फीसदी कारोगरों के साथ कामकाम शुरू हो गया है।
कोरोना में जहां सब कुछ बंद था, वहीं सूरत का हीरा उद्योग वैश्विक पटल पर चमकता रहा है। जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने बताया कि भारतीय निर्यात में जेम एंड ज्वेलरी का 35 बिलियन का हिस्सा है। शुरू में कोरोना ने उद्योग को प्रभावित किया था, लेकिन अमेरिका, हांगकांग और यूरोपीय देशों में पॉलिश्ड हीरे की मांग बढ़ी है।
पश्चिमी देशों में शुरू होने वाले त्योहारी सीजन से डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। जीजेईपीसी के डायमंड पैनल के संयोजक संजय शाह ने बताया कि औसतन निर्यात 50 फीसदी है। जुलाई और सितंबर में अमेरिकी खरीद के कारण हीरे में सुधार हुआ है।
डिमांड: पूराना स्टॉक क्लीयर होने से आर्थिक तंगी भी खत्म
जीजेईपीसी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नावड़िया ने बताया कि जून में कोरोना से हीरा उद्योग की हालत ज्यादा खराब हो गई थी। इस दौरान तेजी से मरीज बढ़ गए थे। हालांकि बाद में कोरोना के नियमों का कड़ाई से पालन करने के बाद इसमें सुधार हुआ है। हांगकांग में धीरे-धीरे हीरे की मांग बढ़ रही है।
जीजेईपीसी द्वारा रफ के आयात पर स्वैच्छिक प्रतिबंध से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। पुराना स्टॉक क्लीयर होने से हीरे उद्योग की आर्थिक तंगी भी खत्म हो गई है। स्टार रेज के दिलीप मेहता ने बताया कि कोरोना से कुछ अंदाज लगाना मुश्किल है। हांमकांग में 30 और अमेरिका में 60 प्रतिशत तक डिमांड गिर सकती है।