अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने से रोक दिया है। अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार देर रात हार्वर्ड को एक लेटर भेजा है। उसमें लिखा है कि हार्वर्ड का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) का सर्टिफिकेशन तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा रहा है। क्रिस्टी नोएम ने कहा है कि अगर हार्वर्ड विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का मौका फिर से पाना चाहती है, तो उसे 72 घंटों के भीतर बाहरी देशों के स्टूडेंट्स की जानकारी देनी होगी। नोएम ने लेटर के साथ कैप्शन में लिखा, ‘विदेशी छात्रों को एडमिशन देना और उनसे मोटी फीस लेकर मल्टी-अरब डॉलर कमाना एक विशेषाधिकार है, न कि अधिकार। उन्होंने आगे लिखा- ट्रंप सरकार हार्वर्ड को हिंसा, यहूदी-विरोधी सोच को बढ़ावा देने और कैंपस में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कोऑर्डिनेट करने के लिए जिम्मेदार मानती है। कानून का पालन न करने के कारण उसने अपना सर्टिफिकेशन खो दिया है। यह देश भर के सभी यूनिवर्सिटी और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी है। बीते कुछ दिनों से हार्वर्ड और सरकार के बीच विदेशी छात्रों से जुड़े रिकॉर्ड को लेकर खींचतान चल रही थी। DHS ने अप्रैल में कहा था कि अगर हार्वर्ड ने 30 अप्रैल तक विदेशी स्टूडेंट्स के अवैध और हिंसक हरकतों का पूरा रिकॉर्ड नहीं दिया, तो उसका SEVP सर्टिफिकेशन छीन लिया जाएगा। ट्रम्प ने 20 दिन पहले कहा था- हार्वर्ड का टैक्स फ्री दर्जा खत्म करेंगे
इससे पहले 2 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स फ्री संस्थान का दर्जा खत्म करने जा रहे हैं। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वे इसी के हकदार हैं। वे हार्वर्ड की 2.2 अरब डॉलर फंडिंग पर रोक लगा चुके हैं। दरअसल, ट्रम्प प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से यह मांग की है कि वह अक्टूबर 2023 के बाद कैंपस में हुई यहूदी विरोधी घटनाओं पर बनी सभी रिपोर्ट और ड्राफ्ट सरकार को सौंपे। प्रशासन चाहता है कि इन रिपोर्टों को तैयार करने वाले सभी लोगों के नाम भी बताए जाएं और उन्हें संघीय अधिकारियों के इंटरव्यू के लिए उपलब्ध कराया जाए। यूनिवर्सिटी ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में केस भी किया है। यूनिवर्सिटी का आरोप है कि ट्रम्प सरकार राजनीतिक दबाव बनाकर शैक्षणिक कामकाज पर कंट्रोल करना चाहती है। हार्वर्ड ने इसे यूनिवर्सिटी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया है। प्रोफेसर्स के दो ग्रुप भी केस कर चुके हैं
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स ने भी 12 अप्रैल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के खिलाफ मैसाचुसेट्स की फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट केस दायर किया था। प्रोफेसर्स के दो ग्रुप ने यूनिवर्सिटी फंड को रोकनी की धमकी के खिलाफ यह केस दर्ज किया था। दरअसल उस दौरान ट्रम्प प्रशासन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाले 9 अरब डॉलर के फंड की समीक्षा कर रहा था। हार्वर्ड के प्रोफेसर्स ने हवाला दिया कि ट्रम्प का यह फैसला अमेरिकी संविधान के फर्स्ट अमेंडमेंट (प्रथम संशोधन) का उल्लंघन करता है। प्रोफेसर्स का आरोप है कि यूनिवर्सिटी फंड में कटौती करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। कोर्ट में दायर याचिका में ट्रम्प प्रशासन के फैसले पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। यूनिवर्सिटी पर आरोप- यहूदियों के खिलाफ नफरत को रोकने में नाकाम
हाल ही में ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड को एक चिट्ठी भेजी थी। इस चिट्ठी में यूनिवर्सिटी को कुछ शर्तें पूरी करने के लिए कहा गया था। ऐसा न करने पर यूनिवर्सिटी की संघीय फंडिंग पर रोक लगाने की धमकी दी गई। इस कदम के पीछे ट्रम्प प्रशासन का दावा था कि हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान एंटी-सेमिटिज्म (यहूदियों के खिलाफ नफरत) को रोकने में नाकाम रहे हैं। प्रशासन ने आरोप लगाया कि कैंपस में यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव हो रहा है। यूनिवर्सिटी को मिलने वाली फंडिंग सर्च, स्टूडेंट स्कॉलरशिप, और कई साइंस और मेडिकल प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद जरूरी है। यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीनी झंडा फहराया था
गाजा में जारी इजराइल-हमास जंग के खिलाफ पिछले साल अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में हजारों छात्रों ने हिस्सा लिया था। AP की रिपोर्ट के मुताबिक 1000 से ज्यादा छात्र गिरफ्तार भी हुए। इस दौरान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों ने फिलिस्तीनी झंडा फहराया था। यूनिवर्सिटी ने इसे पॉलिसी के खिलाफ बताते हुए छात्रों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही थी। ट्रम्प प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी को 33 अरब रुपए की मदद रोकी
ट्रम्प प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 33 अरब रुपए) के अनुदान को रद्द कर दिया था। प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी पर भी यहूदी छात्रों के हो रहे उत्पीड़न को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया था। अमेरिकी शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग, न्याय विभाग और सामान्य सेवा प्रशासन की जॉइंट टास्क फोर्स टु कॉम्बैट एंटी-सेमिटिज्म ने यह कार्रवाई की। कोलंबिया यूनिवर्सिटी ज्यूडिशियल बोर्ड ने गाजा को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान हैमिल्टन हॉल पर कब्जे में शामिल छात्रों पर सख्त कार्रवाई भी की है। ———————— ट्रम्प के फैसले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ट्रम्प का शिक्षा विभाग को बंद करने का ऑर्डर:व्हाइट हाउस की रिपोर्ट- 8वीं क्लास के 70% स्टूडेंट ठीक से पढ़ नहीं पाते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मार्च में शिक्षा विभाग बंद करने से जुड़े आदेश (एग्जीक्यूटिव ऑर्डर) पर दस्तखत कर दिया। ट्रम्प ने दस्तखत करने के बाद कहा कि अमेरिका लंबे समय से छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे रहा है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
इससे पहले 2 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स फ्री संस्थान का दर्जा खत्म करने जा रहे हैं। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वे इसी के हकदार हैं। वे हार्वर्ड की 2.2 अरब डॉलर फंडिंग पर रोक लगा चुके हैं। दरअसल, ट्रम्प प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से यह मांग की है कि वह अक्टूबर 2023 के बाद कैंपस में हुई यहूदी विरोधी घटनाओं पर बनी सभी रिपोर्ट और ड्राफ्ट सरकार को सौंपे। प्रशासन चाहता है कि इन रिपोर्टों को तैयार करने वाले सभी लोगों के नाम भी बताए जाएं और उन्हें संघीय अधिकारियों के इंटरव्यू के लिए उपलब्ध कराया जाए। यूनिवर्सिटी ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में केस भी किया है। यूनिवर्सिटी का आरोप है कि ट्रम्प सरकार राजनीतिक दबाव बनाकर शैक्षणिक कामकाज पर कंट्रोल करना चाहती है। हार्वर्ड ने इसे यूनिवर्सिटी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया है। प्रोफेसर्स के दो ग्रुप भी केस कर चुके हैं
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स ने भी 12 अप्रैल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के खिलाफ मैसाचुसेट्स की फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट केस दायर किया था। प्रोफेसर्स के दो ग्रुप ने यूनिवर्सिटी फंड को रोकनी की धमकी के खिलाफ यह केस दर्ज किया था। दरअसल उस दौरान ट्रम्प प्रशासन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाले 9 अरब डॉलर के फंड की समीक्षा कर रहा था। हार्वर्ड के प्रोफेसर्स ने हवाला दिया कि ट्रम्प का यह फैसला अमेरिकी संविधान के फर्स्ट अमेंडमेंट (प्रथम संशोधन) का उल्लंघन करता है। प्रोफेसर्स का आरोप है कि यूनिवर्सिटी फंड में कटौती करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। कोर्ट में दायर याचिका में ट्रम्प प्रशासन के फैसले पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। यूनिवर्सिटी पर आरोप- यहूदियों के खिलाफ नफरत को रोकने में नाकाम
हाल ही में ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड को एक चिट्ठी भेजी थी। इस चिट्ठी में यूनिवर्सिटी को कुछ शर्तें पूरी करने के लिए कहा गया था। ऐसा न करने पर यूनिवर्सिटी की संघीय फंडिंग पर रोक लगाने की धमकी दी गई। इस कदम के पीछे ट्रम्प प्रशासन का दावा था कि हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान एंटी-सेमिटिज्म (यहूदियों के खिलाफ नफरत) को रोकने में नाकाम रहे हैं। प्रशासन ने आरोप लगाया कि कैंपस में यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव हो रहा है। यूनिवर्सिटी को मिलने वाली फंडिंग सर्च, स्टूडेंट स्कॉलरशिप, और कई साइंस और मेडिकल प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद जरूरी है। यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीनी झंडा फहराया था
गाजा में जारी इजराइल-हमास जंग के खिलाफ पिछले साल अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में हजारों छात्रों ने हिस्सा लिया था। AP की रिपोर्ट के मुताबिक 1000 से ज्यादा छात्र गिरफ्तार भी हुए। इस दौरान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों ने फिलिस्तीनी झंडा फहराया था। यूनिवर्सिटी ने इसे पॉलिसी के खिलाफ बताते हुए छात्रों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही थी। ट्रम्प प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी को 33 अरब रुपए की मदद रोकी
ट्रम्प प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 33 अरब रुपए) के अनुदान को रद्द कर दिया था। प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी पर भी यहूदी छात्रों के हो रहे उत्पीड़न को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया था। अमेरिकी शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग, न्याय विभाग और सामान्य सेवा प्रशासन की जॉइंट टास्क फोर्स टु कॉम्बैट एंटी-सेमिटिज्म ने यह कार्रवाई की। कोलंबिया यूनिवर्सिटी ज्यूडिशियल बोर्ड ने गाजा को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान हैमिल्टन हॉल पर कब्जे में शामिल छात्रों पर सख्त कार्रवाई भी की है। ———————— ट्रम्प के फैसले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ट्रम्प का शिक्षा विभाग को बंद करने का ऑर्डर:व्हाइट हाउस की रिपोर्ट- 8वीं क्लास के 70% स्टूडेंट ठीक से पढ़ नहीं पाते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मार्च में शिक्षा विभाग बंद करने से जुड़े आदेश (एग्जीक्यूटिव ऑर्डर) पर दस्तखत कर दिया। ट्रम्प ने दस्तखत करने के बाद कहा कि अमेरिका लंबे समय से छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे रहा है। पूरी खबर यहां पढ़ें…