हिमाचल के कांगड़ा का अनोखा अर्धनारीश्वर शिवलिंग, दो हिस्सों में है शिवलिंग जिनमें अपने आप घटती-बढ़ती हैं दूरियां

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहां पर बहुत से प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। कांगड़ा जिले में एक बहुत ही अनोखा शिवलिंग है। यहां के काठगढ़ महादेव मंदिर में शिवलिंग अर्धनारीश्वर रूप में है। साथ ही शिव-पर्वती के रूप में बंटे यहां के शिवलिंग के दोनो भागों के बीच अपनेआप दूरियां घटती-बढ़ती रहती हैं।

  • ग्रहों और नक्षत्रों के अनुसार घटती-बढ़ती हैं दूरियां

इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुअ है। मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में फिर से एक रूप धारण कर लेता है।

  • सिकंदर ने करवाया था मंदिर का निर्माण

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, काठगढ़ महादेव मंदिर का निर्माण सबसे पहले सिकंदर ने करवाया था। इस शिवलिंग से प्रभावित होकर सिकंदर ने टीले पर मंदिर बनाने के लिए यहां की भूमि को समतल करवा कर, यहां मंदिर बनवाया था।

  • अर्धनारीश्वर शिवलिंग का स्वरूप

दो भागों में विभाजित शिवलिंग का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर शिवलिंग के दोनों भाग मिल जाते हैं। यहां का शिवलिंग काले-भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7-8 फीट है और पार्वती के रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 5-6 फीट है।

  • शिवरात्रि पर लगता हैं खास मेला

शिवरात्रि के त्योहार पर हर साल यहां तीन दिन मेला लगता है। शिव और शक्ति के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप के संगम के दर्शन करने के लिए यहां कई भक्त आते हैं। इसके अलावा सावन के महीने में भी यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती हैं।

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The unique Ardhanarishwar Shivling of Kangra in Himachal Pradesh is a Shivling in two parts, in which distances vary by themselves.