10 रुपए में चार डोसे बेचने वाली 61 साल की शारदा चोरगाडे़ को लोग कहते हैं ‘डोसा अज्जी’, सात साल पहले गरीबी और भूखमरी से तंग आकर शुरू किया था ये काम

नागपुर की शारदा चौरगाड़े जब भी किसी मुश्किल में होती हैं तो खुद को बस ये कहकर समझाती हैं कि सब अच्छा ही होगा। उनकी सोच सकारात्मक उस वक्त भी बनी रही जब उन्होंने शादी के बाद पति के अत्याचार सहे, मां के गुजर जाने के बाद अकेलापन देखा और कई दिन भूखे रहकर गुजारे।

61 साल की शारदा ने सात साल पहले अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए डोसे बनाकर बेचने की शुरुआत की थी। लोग उन्हें प्यार से डोसा अज्जी कहते हैं। जब उन्होंने अपना काम शुरू किया था तभी से वे दो रुपए में एक डोसा बेचती थीं। जब लोग उनसे इतनी कम कीमत में डोसे बेचने ने की वजह पूछते तो वह हंसने लगतीं।

वे कहतीं मैंने इतनी गरीबी देखी है कि कई बार मैं और मेरा बेटा दोनों भूखे सोते थे। मैं जानती हूं कि भूख क्या होती है। जब हमें भूखे रहना पड़ता है तो दिमाग और शरीर पर क्या असर होता है।

वे अपना घर खुद अपने दम पर चलाती हैं। लेकिन फिर भी उन्हें लगता है कि वे अन्य लोगों की तुलना में अच्छा कमा लेती हैं। इसलिए दूसरों की मदद के तौर पर वे उन्हें कम पैसों में डोसा खिलाना पसंद करती हैं। शारदा अपने डोसा स्टॉल के जरिये मजदूरों और स्कूल के बच्चों को ताजा और गर्म डोसा खिलाना चाहती हैं।

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People say 61-year-old Sarada Chorgade, who sells four dosas for 10 rupees, started this job seven years ago, fed up with poverty and hunger.