13 मार्च की रात होगा होलिका दहन:होली की राख शिव पूजा में भस्म के रूप में कर सकते हैं इस्तेमाल, इस राख से जुड़ी मान्यताएं

गुरुवार, 13 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा है, इस तिथि पर रात में होलिका दहन किया जाता है। ये पर्व रात्रि जागरण का है, यानी इस पर्व पर रात में जागरण किया जाता है और अपने इष्टदेव की विशेष पूजा की जाती है। होलिका दहन की रात भक्त मंत्र जप करते हैं। माना जाता है कि इस रात में की गई पूजा-पाठ जल्दी सिद्ध होती है। फाल्गुन पूर्णिमा की रात का धार्मिक महत्व दीपावली, नवरात्रि और शिवरात्रि की रात के समान ही है। इन पर्वों पर रात में पूजा करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होली की रात मंत्र जप करने पर पूजा जल्दी सफल हो सकती है, इस पूजा से शुभ असर से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संयम रखकर गुरु मंत्र का जप करना चाहिए। मान्यता है कि होली की रात किया गया मंत्र जप का पूरे साल शुभ असर बना रहता है। इसलिए होलिका दहन की रात में अपने इष्ट देव की पूजा करने और मंत्र जप करने की परंपरा है। होली की राख होती है बहुत पवित्र पं. शर्मा कहते हैं कि होलिका दहन के बाद जो राख हमें मिलती है, वह सामान्य नहीं होती है। होली की राख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि होली की राख को पानी में मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोषों का असर कम होता है। होली की राख का इस्तेमाल शिव पूजा में भस्म के रूप में किया जा सकता है। शिवलिंग पर होली राख से भस्म चढ़ा सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर करें ये शुभ काम भी