कल (14 मार्च) सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। मीन राशि का स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति है। बृहस्पति सूर्यदेव के भी गुरु हैं। अपने गुरु की मीन राशि में सूर्य प्रवेश करेगा। इस संबंध में ज्योतिष की मान्यता है कि सूर्य देव अब एक माह तक अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहेंगे। इस माह को खरमास कहा जाता है। सूर्य के मीन राशि में आने से सूर्य और गुरु, दोनों ग्रह कमजोर हो जाते हैं। इस वजह से खरमास में विवाह जैसे मांगलिक कर्मों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। खरमास में सूर्य पूजा, मंत्र जप, दान-पुण्य और नदी में स्नान करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक मांगलिक कार्यों में देवी-देवताओं के साथ ही ग्रहों की भी विशेष पूजा की जाती है। किसी भी मांगलिक कार्य में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की शुभ स्थिति देखी जाती है। जब ये ग्रह शुभ स्थिति में होते है, तब ही मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त मिल पाते हैं। खरमास में सूर्य और गुरु, ये दोनों ग्रह कमजोर हो जाते हैं। साल में दो बार खरमास आता है। पहला सूर्य जब धनु राशि में रहता है और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में रहता है। सूर्य 13 अप्रैल को मेष राशि मे प्रवेश करेगा, तब खरमास खत्म होगा। इसके बाद ही मांगलिक कार्यों के लिए फिर से मुहूर्त मिलेंगे। खरमास में कौन-कौन से शुभ कर्म करना चाहिए