अगले सप्ताह 15 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव जी की जयंती है। गुरु नानक से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। अगर इन सूत्रों को जीवन में उतार लिया जाए तो हमारी सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। जानिए गुरु नानक का एक ऐसा प्रसंग, जिसमें उन्होंने अच्छाई को फैलाने का संदेश दिया था… गुरु नानक अधिकतर समय यात्रा करते रहते थे। गुरु नानक अपने आचरण से ही सुखी जीवन के संदेश देते थे। आमतौर पर लोग गुरु नानक की बातें आसानी से समझ नहीं पाते थे। जो गुरु नानक के करीबी थे, जो उन्हें जानते थे, सिर्फ वे ही उनकी बातों के अर्थ को समझ पाते थे। गुरु नानक की बातें बहुत गहरी और अर्थपूर्ण होती थीं। एक दिन गुरु नानक अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे गांव में पहुंचे। उस गांव के लोगों को गुरु नानक के बारे में मालूम हुआ तो सभी उन्हें प्रणाम करने पहुंचे। गुरु नानक के सामने कुछ लोगों का समूह पहुंचा तो नानकदेव जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि बस जाओ यानी यहीं रहो। कुछ देर बाद एक दूसरा समूह आया तो गुरु नानक ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उजड़ जाओ यानी बिखर जाओ। ये सुनकर शिष्यों को बहुत हैरानी हुई। लोगों के जाने के बाद सभी शिष्यों ने गुरु नानक से पूछा कि आपने ये कैसा आशीर्वाद दिया है? एक समूह को आप कहते हैं कि बस जाओ और दूसरे को कहते हैं उजड़ जाओ। गुरु नानक की सीख – अच्छी फैलनी चाहिए गुरु नानक बोले कि जो पहला समूह आया था, उसके लोग अच्छे नहीं थे। सभी बुरे कामों में लगे हुए हैं। गलत लोग एक ही जगह रुक जाएं, तो समाज के लिए अच्छा है। ऐसा होने से समाज में बुराई नहीं फैलती है। इसीलिए मैंने उन्हें यहीं बस जाने का आशीर्वाद दिया। दूसरे समूह के लोग बहुत अच्छे थे, इसलिए मैंने उन्हें उजड़ जाने का आशीर्वाद दिया, ताकि वे जहां जाएंगे अच्छाई फैलाएंगे और समाज का भला करेंगे।