बैंकों के राष्ट्र्रीयकरण की 51वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने शनिवार को 17 सरकारी बैंकों के 2,426 विलफुल डिफॉल्टर्स की एक सूची जारी की। इनके ऊपर 1.47 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में इन 17 सरकारी बैंकों में टॉप पर है भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)।
एसबीआई के 685 विलफुल डिफॉल्टर्स पर कुल 43,887 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, किंगफिशर एयरलाइंस, रुचि सोया इंडस्ट्र्रीज लिमिटेड, विंसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड, स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड जैसी कंपनियों के नाम भी शामिल हैं।
विलफुल डिफॉल्ट के मामले में पीएनबी दूसरे नंबर पर
एसबीआई के बाद सबसे ज्यादा विलफुल डिफॉल्ट पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) का ह। पीएनबी के 325 डिफॉल्टर्स पर 22,370 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के 355 डिफॉल्टर्स पर 14,661 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। बैंक ऑफ इंडिया के 184 डिफॉल्टर्स पर 11,250 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 69 डिफॉल्टर्स पर 9,663 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। पंजाब एंड सिंध बैंक के पास सिर्फ 6 विलफुल डिफॉल्टर्स हैं। इनके ऊपर 255 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।
सबसे बड़े 33 डिफॉल्टर्स के ऊपर 32,737 करोड़ का कर्ज बकाया
एआईबीईए ने कहा कि सबसे बड़े 33 डिफॉल्टर्स के ऊपर कुल 32,737 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। सूची जारी करते हुए एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने एक बयान में कहा कि हमारे बैंकों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्राइवेट कंपनियों और कॉरपोरेट्स के बैड लोन में भारी बढ़ोतरी हो रही है। यदि उनपर सख्त कार्रवाई कर लोन की वसूली की जाए, तो हमारे बैंक देश के विकास में और बड़ी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि डिफॉल्टर्स को छूट देने और इसका भार साधारण ग्राहकों पर डालने, उनके लिए ब्याज दर घटाने और सर्विस चार्ज बढ़ाने की परिपाटी बंद की जानी चाहिए।
19 जुलाई 1969 को 14 बड़े प्राइवेटबैंकों का हुआ था राष्ट्र्रीयकरण
सरकार ने 19 जुलाई 1969 को 14 बड़े प्राइवेटट बैंकों को राष्ट्रीयकृत कर दिया था। तब से अब तक इन बैंकों की शाखाओं की संख्या 8,200 से बढ़कर 1,56,349 पर पहुंच गई। प्रयोरिटी सेक्टर लेंडिंग शून्य से बढ़कर वर्तमान 40 फीसदी तक पहुंच गई है। डिपॉजिट्स 5,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 138.50 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। कर्ज 3,500 करोड़ रुपए से बढ़कर 101.83 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है।