कोविड-19 से देश का कोई भी सेक्टर अछूता नहीं रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर भी इस महामारी की मार झेल रहा है। मांग और लोगों की खरीदारी क्षमता घटने के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वार्षिक आधार पर आवासीय प्रॉपर्टी की कीमत में 1.9 फीसदी की कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी नाइट फ्रैंक की ओर से मंगलवार को जारी 2020 की दूसरी तिमाही के ग्लोबल हाउस प्राइस इंडेक्स में यह बात कही गई है।
तीन महीने में 11 स्थान लुढ़का भारत
नाइट फ्रैंक ने 56 देशों में आवासीय प्रॉपर्टी की कीमतों में हुए बदलाव के आधार पर यह इंडेक्स जारी किया है। इस तिमाही में भारत इंडेक्स में 11 स्थान फिसलकर 54वें स्थान पर पहुंच गया है। 2020 की पहली तिमाही में भारत इस इंडेक्स में 43वें स्थान पर था। इंडेक्स के मुताबिक, 2019 की चौथी तिमाही के मुकाबले 2020 की दूसरी तिमाही में आवासीय प्रॉपर्टी की कीमतों 2.3 फीसदी की कमी आई है। 2020 की पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में 1.6 फीसदी की कमी आई है।
तुर्की में कीमतें सबसे ज्यादा बढ़ीं
ग्लोबल हाउस प्राइस इंडेक्स के मुताबिक, वार्षिक आधार पर आवासीय प्रॉपर्टी की कीमतों में तुर्की में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। 2019 की दूसरी तिमाही के मुकाबले 2020 की दूसरी तिमाही में कीमतों में 25.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2019 की चौथी तिमाही के मुकाबले 2020 की दूसरी तिमाही में कीमतों में 17.4 फीसदी का उछाल आया है। दूसरी तिमाही में सभी 56 देशों में वार्षिक रेट में औसतन 4.7 फीसदी का बदलाव हुआ है। जबकि पहली तिमाही में औसतन 4.4 फीसदी का बदलाव हुआ था। दूसरी तिमाही में टॉप-10 इंडेक्स में 8 देश यूरोपियन यूनियन के शामिल हैं।
भारत के सभी बाजारों में मांग की कमी
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल का कहना है कि भारत के सभी बाजार आवासीय प्रॉपर्टी की कम मांग से प्रभावित हैं। कोविड-19 के कारण ग्लोबल इकोनॉमी में आए स्लोडाउन के चलते रियल एस्टेट सेक्टर और लोगों की घर खरीदने की क्षमता प्रभावित हुई है। कीमतों में आई यह कमी एंड यूजर्स के लिए लाभदायक हो सकती है और वे खरीदारी का फैसला कर सकते हैं। होम लोन पर ब्याज की कमी दरें भी घर खरीदने के लिए सही प्रेरणा दे सकती हैं।