क्या वायरल : वॉट्सएप्प पर न्यूज चैनल की ब्रेकिंग के स्क्रीनशॉट के साथ एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को 31 अगस्त से स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है। दावा है कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को इस संबंध में पत्र भी लिखा है।
दैनिक भास्कर के पाठक ने हमारी फैक्ट चेक टीम के वॉट्सएप्प नंबर पर यह मैसेज भेजकर इसकी सत्यता जांचने को कहा

दो महीने पहले भी यह मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है
फैक्ट चेक पड़ताल
- वायरल मैसेज में दावा है कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को स्कूल खोलने के लिए पत्र भी लिखा है।
- दावे से जुड़े अलग-अलग कीवर्ड्स को सर्च करने पर हमें दिप्रिंट वेबसाइट की एक खबर मिली। इसके अनुसार सभी राज्य के प्रमुख सचिवों को पत्र लिखे जाने वाली बात सहीहै। लेकिन, यह पत्र गृह मंत्रालय ने नहीं एमएचआरडी ने लिखा है। और यह पत्र स्कूल खोलने के लिए नहीं है। बल्कि राज्यों को यह आदेश दिया गया है कि स्कूल खोलने को लेकर पैरेंट्स को राय जानी जाए। पैरेंट्स से पूछा जाएगा कि उनके अनुसार स्कूलों का कब खुलना सही रहेगा? अगस्त, सितंबर या फिर अक्टूबर। पैरेंट्स की राय जानने के बाद सरकार स्कूल खोलने को लेकर निर्णय लेगी। दिप्रिंट की इस खबर से ही काफी हद तक वायरल दावा फर्जी साबित हो गया।

- हमने गृह मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर यह चेक किया कि स्कूल खोलने से जुड़ा कोई आदेश है या नहीं। 20 मई, 2020 का एक आदेश हमें मिला। जिसमें कुछ शर्तों के साथ 10वीं औऱ 12वीं के बोर्ड एग्जाम आयोजित कराने की अनुमति दी गई थी। न की स्कूल खोलने की। हालांकि बाद में जून के महीने तक कोरोना संक्रमण के मामले ज्यादा बढ़ने के चलते CBSE ने खुद ही बचे हुए पेपर न लेने का फैसला कर लिया था।

- गृह मंत्रालय के इसी आदेश का गलत अर्थ निकालकर दो महीने पहले भी यह अफवाह फैलाई गई थी कि स्कूल खोलने की अनुमति दे दी गई है। इस अफवाह की दैनिक भास्कर ने पड़ताल भी की थी। ( यहां पढ़ेंपिछली पड़ताल)

- 26 मई, 2020 को गृह मंत्रालय के ट्विटर हैंडल से इस खबर को फेक बताया जा चुका है। साथ में उस स्क्रीनशॉट को भी शेयर किया गया था, जो अब दोबारा वॉट्सएप पर वायरल हो रहा है।

निष्कर्ष : गृह मंत्रालय ने देश भर के स्कूल खोलने की परमिशन नहीं दी है। अभी एमआचआरडी स्कूल खोलने को लेकर सिर्फ अभिभावकों की राय ले रही है। सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फर्जी है।