कोरियोग्राफर सरोज खान का 71 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 16 की उम्र मेंकोरियोग्राफी की शुरुआत कर दी थी, जो निधन से पांच महीने पहले तक जारी रही। इसी साल फरवरी मेंउन्होंने रीजनल फिल्म ‘टाइगर ऑफ राजस्थान’ का एक गाना कोरियोग्राफ किया था। फिल्म के डायरेक्टर अरविंद कुमार ने उनके साथ काम करने का अनुभव दैनिकभास्कर के साथ शेयर किया है।
‘जैसे इस घूमर गाने की बात रखी उनके चेहरे का रंग ही बदल गया’
अरविंद कहते हैं, “हमने 22 और 24 फरवरी 2020 के बीच उनके साथ एक गाना शूट किया था, जोकिघूमर पर आधारित था। सरोजजी तकरीबन एक साल पहले ही हमारे घर के पीछे रहने आई थीं। वो वहां उनके भाई के साथ रह रही थीं। उनकी तबियत काफी वक्त से नाजुक थी, लेकिन उन्होंने कभी काम करना बंद नहीं किया था। जब इस फिल्म की बात आई, तब मैंने सरोजजी को प्रोजेक्ट से जोड़ने की बात रखी। जाहिर है किउम्र के इस पड़ाव पर काम करना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए हम असमंजस में थे कि वे इस गाने के लिए हामी भरेंगी या नहीं। चौकाने वाली बात ये हैकि हमने जैसे इस गाने की बात रखी, उनके चेहरे का रंग ही बदल गया। उन्होंने तुरंत इसे करने के लिए हामी भर दी।”

‘वेसिर्फ अपने एक्सप्रेशंस से काम किया करती थी’
वे आगे बताते हैं, “सरोजजी की पूरी टीम थी,जो हमेशा उनके साथ रहती थी। हमने 3 दिन तक इस गाने को शूट किया और सरोजजी हर दिन सेट पर मौजूद रहती थी। वे ज्यादा देर तक खड़ी नहीं रह पाती थीं, लेकिन अपने असिस्टेंट से कह कर आर्टिस्ट से स्टेप्सकरवाती थीं। सेट विजिट, रिहर्सल से लेकर गाने की शूटिंग खत्म होने तक, हर जगह वह मौजूद रहती थीं। वह सिर्फ अपने एक्सप्रेशंस से काम किया करती थीं।

सेट पर बस यही कहती थीं- मैं इस गाने में जान डालना चाहती हूं:
बकौल अरविंद, “2012 में मैंने और मेरी बीवी नीलू वाघेला ने ‘नच बलिए’ में पार्टिसिपेट किया था। उस शो में सरोज जी गेस्ट बनकर आई थीं। उस वक्त से उनके साथ काम करने की ख्वाहिश थी। आज उनके जाने के बाद यही कह सकता हूं कि ख्वाहिश तो पूरी हो गई लेकिन फिर भी कुछ अधूरा लग रहा है। मानो कुछ छूट गया हो। सेट पर वो बस यही कहा करती थी कि ‘मैं इस गाने में जान डालना चाहती हू’ और उनके ये शब्द मुझे हमेशा याद रहेंगे। ये गाना अभिनेत्री दीपशिखा नागपाल पर फिल्माया गया था।