अब स्कूलों में 5वीं तक मातृभाषा में होगी पढ़ाई, इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई की अनिवार्यता खत्म, संस्कृत के साथ तीन भारतीय भाषाओं का होगा विकल्प

34 साल बाद शिक्षा नीति में हुए बदलाव में सरकार ने भाषा से जुड़े भी कई अहम बदलाव किए हैं। इसके तहत सरकार ने त्रिभाषा फार्मूला अपनाया है। यानी कि अब बच्चों के लिए पांचवी तक उनकी मातृभाषा क्षेत्रीय या स्थानीय भाषा का उपयोग किया जाएगा। हालांकि किया पर भी यह भाषा थोपी नहीं जाएगी।

किसी पर थोपी नहीं जाएगी भाषा

इस बारे में एजुकेशन पॉलिसी ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन कहते है कि पांचवी तक मातृभाषा में पढ़ाई करना किसी पर भी भाषा थोपना नहीं है। वे कहते हैं कि कक्षा पांचवी तक शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थानीय भाषाओं को अपनाना शिक्षा के शुरुआती चरण में महत्वपूर्ण है। इस उम्र में सिद्धांतों को समझना और रचनात्मकता प्रदर्शित करने में बच्चे की ताकत बेहतर ढंग से प्रदर्शित होती है।

स्कूलों में होगा त्रिभाषा फॉर्मूला

स्कूली शिक्षा में अब त्रिभाषा फॉर्मूला चलेगा। इसमें संस्कृत के साथ अन्य तीन भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा। साथ ही इलेक्टिव में विदेशी भाषा चुनने की भी आजादी होगी। यह पहली बार होगा जब भारतीय भाषाओं को तवज्जो देने के साथ उसे सहेजने और लुप्त होती भाषाओं को बचाने पर जोर दिया जाएगा।

त्रि-भाषा फार्मूला क्या है?

  • नई शिक्षा नीति में कम से कम कक्षा 5 तक बच्चों से बातचीत का माध्यम मातृभाषा/स्थानीय भाषा/ क्षेत्रीय भाषा रहेगी।

  • छात्रों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को विकल्प के रूप में चुनने का अवसर मिलेगा। त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्‍प शामिल होगा।

  • पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प होंगे। कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्‍प के रूप में चुना जा सकेगा।

  • भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज को मानकीकृत किया जाएगा और बधिर छात्रों के इस्तेमाल के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्‍तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी।

केंद्र सरकार ने दी नई शिक्षा नीति को मंजूरी

बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 को मंजूरी दे दी। इसके तहत कई बड़े बदलाव किए गए हैं। स्टूडेंट्स अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी ऑनलाइन कोर्स कर सकेंगे। आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं के अलावा कन्नड़, उड़िया और बंगाली में भी ऑनलाइन कोर्स लॉन्च किए जाएंगे। वहीं, नई शिक्षा नीति में GDP का 6% हिस्सा एजुकेशन सेक्टर पर खर्च किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो वर्तमान में केंद्र और राज्य को मिलाकर कुल 4.43% है।

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New National Education Policy 2020| Now schools education will be done in mother tongue till 5th, students will be able to choose three Indian languages along with Sanskrit