रक्षाबंधन पर 558 साल बाद गुरु-शनि अपनी-अपनी राशि में वक्री, रक्षासूत्र बांधने के बाद घर में करें सत्यनारायण भगवान की कथा, पूजा के बाद दान जरूर करें

आज सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन है। सुबह 9.29 बजे तक भद्रा है। भद्रा के बाद ही पूरे दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने बताया रक्षाबंधन पर गुरु अपनी राशि धनु में और शनि मकर में वक्री है। चंद्र-शनि एक साथ मकर में हैं। ऐसा योग 558 साल बाद बना है।

2020 से पहले 1462 में ऐसे योग में रक्षाबंधन मनाया गया था। 1462 में 22 जुलाई को रक्षाबंधन मनाया गया था। इस बार रक्षाबंधन पर राहु मिथुन राशि में, केतु धनु राशि में है। 1462 में भी राहु-केतु की यही स्थिति थी।

सोमवार को देवी-देवताओं की पूजा करें। पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। इन शुभ कामों के बाद पीले रेशमी वस्त्र में सरसों, केसर, चंदन, चावल, दूर्वा और अपने सामर्थ्य के अनुसार सोना या चांदी रख लें और धागा बांधकर रक्षासूत्र बना लें। इसके बाद घर के मंदिर में एक कलश की स्थापना करें। उस पर रक्षासूत्र को रखें, विधिवत पूजन करें। पूजा में हार-फूल चढ़ाएं। वस्त्र अर्पित करें, भोग लगाएं, दीपक जलाकर आरती करें। पूजन के बाद ये रक्षासूत्र को दाहिने हाथ की कलाई पर बंधवा लेना चाहिए।

सावन की अंतिम तिथि पर करें शिवजी की पूजा

शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाएं। मंत्र ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ सांब सदाशिवाय नम:, ऊँ रुद्राय नम: आदि मंत्रों का जाप करें। चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। धूप, दीप, कर्पूर जलाकर आरती करें। शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें। भक्तों को प्रसाद वितरित करें।

पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी

सावन की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करें। पूजा में हलवे का भोग लगाएं। सत्यनारायण विष्णुजी का ही एक स्वरूप है। इनकी पूजा में सत्य बोलने का संकल्प लेना चाहिए।

पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद चंद्र की पूजा करें। दूध से अर्घ्य अर्पित करें। खीर का भोग लगाएं। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।

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