वास्तुशास्त्र में कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा गया है। जैसे घर या कामकाज की जगह पर खिड़कियों और दरवाजों की संख्या और उनके खुलने का तरीका बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही खिड़कियां और दरवाजे किस दिशा में हो, इसका खासतौर से ध्यान रखा जाता है। जिससे नुकसान और परेशानियों से बचा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में खिड़कियों से ही नेगेटिव एनर्जी बाहर निकलती है और पॉजिटिव एनर्जी घर में आती है। खिड़कियों से घर की सुंदरता भी बढ़ती है। हवा और सूर्य का प्रकाश भी खिड़कियों के जरिये ही कमरों में आता है। घर में खिड़कियां बनवाते समय वास्तु के कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के अनुसार खिड़कियों से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
1. खिड़कियां खोलते और बंद करते समय आवाज नहीं आनी चाहिए। इसका प्रभाव घर की सुख-शांति पर पड़ता है। इससे कारण परिवार के सदस्यों का ध्यान भंग होता है।
2. घर में खिड़कियों की संख्या सम यानी 2, 4 या 6 होनी चाहिए।
3. खिड़की की साइज दीवार के अनुपात में ही होनी चाहिए, न ज्यादा बड़ी न छोटी।
4. कमरे की एक दीवार पर एक से ज्यादा खिड़की नहीं बनवानी चाहिए।
5. संभव हो तो घर की पूर्व दिशा की ओर खिड़की जरूर बनवानी चाहिए। जिससे रोज सुबह सूरज की किरणें सीधे कमरे में आ सके।
6. अगर पूर्व दिशा में खिड़की बनवाना संभव न हो तो रोशनदान भी बनवा सकते हैं।
7. समय-समय पर खिड़कियों की मरम्मत और रंग-रोगन जरूर करवाएं।