भारतीय अर्थव्यवस्था का बुरा दौर अब बीत चुका है। देश का कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था को उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बेहतर मानसून की उम्मीद है। अभी तक मानसून अच्छे तरीके से हुआ है। यह उम्मीद वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में जताई गई है।
भारत अब रिकवरी के रास्ते पर है
आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से जारी जुलाई की मैक्रोइकोनॉमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल के संकट के बाद भारत अब रिकवरी के रास्ते पर है। इसमें सरकार और रिजर्व बैंक की नीतियों से समर्थन मिला है। कृषि क्षेत्र कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने में अहम रोल निभा सकता है। सितंबर, 2019 से व्यापार का रुख कृषि क्षेत्र की ओर हुआ है जिससे ग्रामीण मांग बढ़ाने में मदद मिली है। इससे मार्च से जून, 2020 से ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य महंगाई दर बढ़ी है।
अब अनलॉक चरण शुरू है
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अनलॉक के फेज में है। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था का बुरा समय बीत गया है। कुछ इलाकों में अब शॉपिंग माल और अन्य गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं। जैसे महाराष्ट्र ने मंगलवार से ही शॉपिंग मालों और दुकानों को रोजाना खोलने की अनुमति दे दी है। हालांकि, कोविड-19 के बढ़ते मामलों और विभिन्न राज्यों में बारी-बारी से लग रहे लॉकडाउन से जोखिम कायम है।
कृषि क्षेत्र की भूमिका अहम होगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के झटकों से उबरने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका होगी। रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी और इसकी वजह से राज्यों द्वारा कुछ-कुछ दिनों के लिए लगाए जा रहे लॉकडाउन से सुधार की संभावनाएं कमजोर पड़ रही हैं। ऐसे में इसकी निरंतर मॉनिटरिंग की जरूरत है।
लॉकडाउन में छूट से रबी की फसलों की समय पर कटाई हुई
रिपोर्ट कहती है कि लॉकडाउन से जल्दी और सही समय पर छूट दी गई, जिससे रबी फसलों की कटाई समय पर हो सकी। साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई भी की जा सकी। गेहूं की रिकॉर्ड खरीद से किसानों के हाथों में 75,000 करोड़ रुपए गए हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में निजी खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी। अर्थव्यवस्था में सुधार के कुछ संकेतों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की गतिविधियों तथा 8 बुनियादी उद्योगों यानी कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट अप्रैल की तुलना में मई में कम हुई है।