अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास पूरे वर्ल्ड मीडिया की सुर्खियों में है। सीएनएन, द गार्जियन, बीबीसी, अलजजीरा और डॉन ने इस घटना को प्रमुखता से कवर किया। सीएनएन ने कहा कि देश में फैले कोरोनावायरस के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया। पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने लिखा कि राम मंदिर का शिलान्यास दरअसल, भारत के बदल रहे संविधान का शिलान्यास है।
कोरोनावायरस के बावजूद शिलान्यास: सीएनएन
अमेरिकी मीडिया संस्थान सीएनएन ने लिखा कि मोदी ने हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थान पर राम मंदिर का भूमि पूजन किया। यह जगह सालों से हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाद का जड़ रही है। बुधवार को भूमि पूजन कार्यक्रम ऐसे समय हो रहा है, जब भारत में लगातार पांच दिनों से 50 हजार से ज्यादा संक्रमण के नए मामले आ रहे हैं। संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर है। गृहमंत्री अमित शाह और अयोध्या में मंदिर के पुजारी समेत चार सिक्युरिटी गार्ड भी संक्रमित हुए हैं।
तीन महीने पहले ही अयोध्या में दिवाली: द गार्जियन
ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा कि अयोध्या में दिवाली तीन महीने पहले ही आ गई है। शहर में राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है। दशकों से यह भारतीय इतिहास का सबसे भावनात्मक और विभाजनकारी मुद्दा रहा है। भगवान राम हिंदुओं में सबसे अधिक पूजनीय हैं। उनका मंदिर बनना बहुत से हिंदुओं के लिए गर्व का क्षण है। लेकिन, भारतीय मुसलमानों के मन में दो तरह की भावनाएं हैं। एक तो उनकी मस्जिद के जाने का दु:ख है जो 400 सालों से वहां खड़ी थी। दूसरी उन्होंने मंदिर निर्माण पर अपनी मौन सहमति भी दे दी है।
नए तरह के भारतीय संविधान का शिलान्यास: डॉन
पाकिस्तान के मीडिया संस्थान डॉन ने लिखा कि बाबरी मस्जिद की जगह पर हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया गया। इस जगह पर करीब 500 सालों से बाबरी मस्जिद थी। मोदी के आलोचक मानते हैं कि यह सेक्युलर भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने का एक और कदम है। भारत के सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) के पूर्व अध्यक्ष प्रताप भानु मेहता के हवाले से डॉन ने लिखा – राम मंदिर का शिलान्यास एक तरह से अलग प्रकार के भारतीय संविधान का शिलान्यास है। यह इस बात को बताता है कि भारत का मौलिक संवैधानिक ढांचा बदल रहा है।
भारत की सेक्युलर विचारधारा से समझौता: अलजजीरा
खाड़ी देशों के प्रमुख मीडिया संस्थान अलजजीरा ने लिखा कि मंदिर मस्जिद की जगह पर बनाया जा रहा है। भारत की सेक्युलर विचार धारा से समझौता किया गया है। भारत की सत्ता में मौजूद हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने 1980 के दशक से मंदिर आंदोलन छेड़ा था। 1992 में हिंदू कट्टरपंथियों ने मस्जिद गिरा दी। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं को भी मस्जिद की जगह दे दी। इस फैसले की बड़ी आलोचना हुई थी। विडंबना यह है कि मंदिर की नींव रखी जा रही और बाबरी विध्वंस मामले की कानूनी सुनवाई तक अभी पूरी नहीं हुई है।
भारत के हिंदू खुश हैं: एबीसी न्यूज
एबीसी न्यूज ने अपनी वेबसाइट पर लिखा- कोरोनावायरस जैसी महामारी की वजह से भारी भीड़ नहीं हुई, लेकिन भारत के हिंदू खुश हैं। प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर का भूमि पूजन किया। यहां पहले कथित तौर पर मस्जिद थी। राम मंदिर के निर्माण में तीन से साढ़े तीन साल लगेंगे। यह दुनिया के सबसे भव्य मंदिरों में से एक होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था मंदिर निर्माण का रास्ता: बीबीसी
बीबीसी ने भूमि पूजन के साथ ही राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद का भी जिक्र किया। लिखा- प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर का भूमि पूजन किया। 1992 तक यहां मस्जिद थी। जिसे भीड़ ने गिरा दिया था। दावा किया जाता है कि यहां मस्जिद से पहले मंदिर था। इसलिए दोनों समुदाय इस जगह पर दावा करते रहे। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया। मुस्लिमों को मस्जिद के लिए अलग जगह दी गई है।