492 साल बाद राम काज पूरा, मोदी ने 31 साल पुरानी 9 शिलाओं से राम मंदिर की नींव रखी; भूमि पूजन से पहले चांदी की भेंट कार में भूल गए थे

492 साल बाद अयोध्याजी ने अपने इतिहास का पन्ना फिर से पलट दिया है। साल 1528- तब राम मंदिर को ढेर करके यहां बाबरी मस्जिद बना दी गई थी। आजादी के बाद लंबा मुकदमा चला। नौ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। झगड़े की जमीन रामलला की हुई और आज राम काज शुरू हो गया।

मंदिर आंदोलन लालकृष्ण आडवाणी ने चलाया था, लेकिन प्रधानमंत्री होने के नाते मंदिर निर्माण की नींव रखने का मौका नरेंद्र मोदी को मिला। दिन भी अहम है। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा था। 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई है। दोनों भाजपा के वादे थे। 5 अगस्त 2021 को क्या होगा, ये किसी को पता नहीं। शायद मोदी ही बता पाएं।

…तो लौटते हैं अयोध्या की ओर। मोदी बुधवार सुबह यहां पहुंचे। हनुमान गढ़ी में पूजा करने वाले और रामलला के दर्शन करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री बन गए। उनसे पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी अयोध्या पहुंचे, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं कर पाए थे।

मोदी 29 साल बाद अयोध्या आए। इससे पहले वे 1991 में अयोध्या आए थे। तब भाजपा अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे और यात्रा में मोदी उनके साथ रहते थे। मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त फैजाबाद-अंबेडकर नगर में एक रैली को संबोधित किया था, लेकिन अयोध्या नहीं गए थे।

अयोध्या से शिलान्यास कार्यक्रम का वीडियो

रामलला को साष्टांग प्रणाम
हनुमान गढ़ी में पूजा के बाद मोदी जब राम जन्मभूमि पहुंचे तो सबसे पहले रामलला के दर्शन किए। इसके बाद रामलला को साष्टांग प्रणाम किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वे मंदिर के भूमि पूजन स्थल पर पहुंचे। वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और बाकी अतिथि पहले से मौजूद थे। 17 लोगों के लिए बैठक व्यवस्था भी तय थी।

2000 पवित्र जगहों की मिट्टी, 100 से ज्यादा नदियों का पानी
मोदी के पहुंचते ही पूजन शुरू हुआ। यहां 2000 पवित्र जगहों से लाई गई मिट्टी और 100 से ज्यादा नदियों से लाया गया पानी रखा गया था। 1989 में दुनियाभर से 2 लाख 75 हजार ईंटें जन्मभूमि भेजी गई थीं। इनमें से 9 ईंटों यानी शिलाओं को पूजन में रखा गया। पूजन के बाद मोदी को संकल्प दिलाया गया।

अपनी भेंट कार में भूल गए थे मोदी
मोदी जब रामलला के दर्शन के बाद भूमि पूजन स्थल पर पहुंचे तो उन्होंने याद आया कि वे एक चीज कार में भूल गए हैं। वे आसन पर बैठने से पहले ही लौटे और अपनी कार की तरफ गए। कुछ ही सेकंड में वे लौटकर आसन पर बैठे। उनके हाथ में चांदी की कलशनुमा भेंट थी। यह पूरे समय उनकी पूजा की थाली में रखी थी। पूजा के दौरान मोदी ने इसे ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव जी को दिया। स्वामी जी ने उसे पूजन के लिए बने गड्‌ढे में रख दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन के बाद राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया।

पूजन सामग्री में बकुल की लकड़ी से बना पात्र
पूजन सामग्री में बकुल की लकड़ी से बना पात्र था, जिसे शंकु कहते हैं। इस लंबे से पात्र में सोना-चांदी समेत नौ रत्न भरे गए। भूमि पूजन के लिए जमीन में जो गड्ढा किया गया, उसके मूल में इसी बकुल के शंकु को रखा गया।

यह पूजन विधि कांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने बताई थी। इसी के साथ नाग-नागिन का जोड़ा, चांदी की ईंट और पावन जल रखा गया। 32 सेकंड के मुहूर्त में प्रधानमंत्री से पूर्णाहुति करवाई गई, जो ‘करिष्यामि’ कहने के साथ पूरी हुई। पूजन विधि 40 मिनट चली।

प्रधानमंत्री मोदी ने 31 साल पुरानी शिलाओं का पूजन किया। इसके बाद मंदिर की नींव रखी गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने शिलान्यास से पहले हनुमान गढ़ी में पूजा-आरती की।
हनुमान गढ़ी में प्रधानमंत्री मोदी का अभिवादन चांदी का मुकुट पहनाकर किया गया।
अयोध्या पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का हेलिपेड पर सीएम योगी ने अभिवादन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से अयोध्या रवाना होते हुए।
पूजा स्थल पर बाबा रामदेव और साधु-संतों का अभिवादन करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

शिलान्यास पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती पहुंचीं।
भूमि पूजन के बाद राम मंदिर पर विशेष डाक टिकट जारी किया गया।

अयोध्या को खास तरीके से सजाया गया

भारतीय समुदाय ने वॉशिंगटन स्थित कैपिटॉल हॉल के सामने राम मंदिर शिलान्यास को लेकर रैली निकाली।

श्रीराम जन्मभूमि परिसर में यह होंगे निर्माण।

175 मेहमानों में 135 संत, सभी को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया गया
कोरोना की वजह से भूमि पूजन समारोह में सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया गया। इनमें देश की कुल 36 आध्यात्मिक परंपराओं के 135 संत शामिल हुए। बाकी कारसेवकों के परिवार और अन्य लोगों को निमंत्रण दिया गया था। भूमि पूजन में शामिल होने वाले हर अतिथि को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया गया। सिक्का मंदिर ट्रस्ट ने दिया।

आडवाणी, जोशी, राजनाथ कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए

  • राम मंदिर आंदोलन से जुड़े भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भूमि पूजन में शामिल नहीं हुए। वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन की अगुआई की थी और रथ यात्रा निकाली थी। मुरली मनोहर और उमा भी इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
  • गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव हैं, इसलिए वे भी अयोध्या नहीं पहुंचे। उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अयोध्या आने का कार्यक्रम कोरोना के चलते रद्द कर दिया। जब बाबरी ढांचा गिराया गया था, तब कल्याण सिंह ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
  • योग गुरु बाबा रामदेव, रामभद्राचार्य, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज, मथुरा से मूलक-पीठ के राजेंद्र देवाचार्य, कांची मठ के गोविंद देवा गिरि महाराज, रेवसा डौंडिया के राघवाचार्य, चिदानंद मुनि, सुधीर दहिया कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
साकेत महाविद्यालय से राम जन्मभूमि तक सड़क को फूलों से सजाया गया।

अयोध्या को थाइलैंड से आए ऑर्किड और बेंगलुरु के अपराजिता फूलों से सजाया
अयोध्या को 400 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। थाईलैंड से ऑर्किड तो बेंगलुरु से अपराजिता के फूल मंगाए गए। वहीं, नारंगी और लाल रंग के डबल टोन्ड गेंदा के फूल कोलकाता से आए। भूमि पूजन स्थल और आसपास के मंदिरों को इनसे सजाया गया। इसके अलावा, साकेत पीजी कॉलेज से नया घाट तक 50 से ज्यादा स्थानों पर रंगोली बनाने में फूलों का इस्तेमाल किया गया।

राम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर शहर में भगवा ध्वज लगाए गए।
अयोध्या शहर में तैनात पुलिस फोर्स।

अयोध्या में स्नाइपर्स की तैनाती
अयोध्या में स्नाइपर्स तैनात किए गए हैं। तीन सुरक्षा घेरे में 3500 पुलिसकर्मी, 40 कंपनी पीएसी, 10 कंपनी सीआरपीएफ लगाई गई है। कोरोना संक्रमण के चलते सुरक्षा व्यवस्था में 45 साल से कम उम्र के सुरक्षाकर्मी ही तैनात किए गए हैं। शहर की सीमाएं सील कर दी गई हैं।

वीडियो में देखिए अयोध्या में भूमिपूजन की तैयारियां

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी। इसके बाद सभी ने हाथ उठाकर जयकारे लगाए।