भाद्रपद महीने में नहीं खानी चाहिए पत्तेदार सब्जियां, इस महीने लकड़ी के पलंग पर बिना गद्दे के सोने का भी विधान है

हिंदू कैलेंडर का छठा महीना भाद्रपद है। ये महीना 4 अगस्त से 2 सितंबर तक रहेगा। इस महीने में कई खास तीज-त्योहार आते हैं। इस महीने के देवता चंद्रमा है। इस महीने में भगवान विष्णु की हृषिकेश रूप में पूजा की जाती है। तीज-त्योहार और महत्वपूर्ण पर्व भाद्रपद महीने में ही आते हैं। ये चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में दूसरा महीना भी है। पवित्र चातुर्मास के दौरान आने से ग्रंथों के अनुसार इस महीने में कुछ खास नियमों का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।

इस महीने क्या करें और क्या नहीं
1. शारीरिक शुद्धि के लिए पंचगव्य पीना चाहिए। पंचगव्य गाय के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर को मिलाकर बनाया जाता है। इससे लक्ष्मीजी खुश होती हैं और पाप भी खत्म होते हैं।
2. एक समय खाना खाया जाता है। इससे पाप खत्म होते हैं और पुण्य भी बढ़ते हैं।
3. अयाचित यानी बिना मांगा भोजन करना चाहिए। इसके अलावा उपवास भी किए जाते हैं।
4. इस महीने में लकड़ी के पलंग पर बिना गद्दे के सोना चाहिए।
5. तामसिक भोजन यानी लहसुन, प्याज और मांसाहार से बचना चाहिए।
6. हर तरह के नशे से बचना चाहिए।

क्या नहीं करें
1. भाद्रपद महीने में गुड़ और शहद नहीं खाना चाहिए।
2. तेल मालिश नहीं करना चाहिए।
3. तले-गला खाना नहीं खाना चाहिए।
4. पत्तेदार सब्जियां, मूली एवं बैंगन नहीं खाना चाहिए।
5. दही और चावल नहीं खाना चाहिए।

महत्व: उल्लास और उमंग के साथ जीवन को सुखी बनाने वाला महीना
भाद्रपद में हिन्दू धर्म के बड़े व्रत, पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं। इस महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हरतालिका तीज, गणेशोत्सव, ऋषि पंचमी, डोल ग्यारस और अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार आते हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने भाद्रपद में इन त्योहारों से कर्म और बुद्धि के संतुलन को बताया है। इस साधना से जीवन में सफलता पाने का संदेश दिया है।

  • भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा महीना है। चातुर्मास धार्मिक और व्यावहारिक नजरिए से जीवनशैली में संयम और अनुशासन अपनाने का समय है। इस तरह भाद्रपद उल्लास और उमंग के साथ जीवन को सुखी बनाने वाला महीना है।

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