खेड़ला गांव के परीक्षित खटाना ने रोजाना दस घंटे पढ़ाई कर यूपीएससी में 184वां रैंक किया हासिल

सोहना स्थित खेड़ला गांव के परीक्षित खटाना ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में 184वीं रैंक प्राप्त की है। 24 साल के परीक्षित ने दूसरी बार में ही शानदार प्रदर्शन करते हुए अव्वल स्थान दर्ज किया है। पिछले 4 सालों से वह इसकी तैयारी में जुटे थे। परीक्षित का कहना है कि उनकी पोस्टिंग कहीं भी हो वे सोशल जस्टिस और समाज में समानता को लेकर कार्य को हमेशा प्राथमिकता देंगे।

परीक्षित ने बताया कि उसके केवल चार दोस्त हैं, जिनके टच में वे रहते हैं। उनसे भी कई महीनों से नहीं मिले हैं। कभी-कभार जब पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाते, तो अपने दोस्तों से बात कर लिया करते थे। उनका केवल सोशल मीडिया में फेसबुक अकाउंट है, वह भी उन्होंने मंगलवार को रिजल्ट आने के बाद कई सालों बाद दोबारा से शुरू किया। परीक्षित बताते हैं कि बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी से ही उन्होंने यह मुकाम दूसरे प्रयास में हासिल कर लिया।

उनके पिता कर्मराज पेशे से एडवोकेट हैं और मां मुकेश खटाना होममेकर हैं। लेकिन माता-पिता दोनों शिक्षित होने से बचपन से ही बेहतर मार्गदर्शन मिला। परीक्षित ने 2016 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। जिसके बाद से वह कड़ी मेहनत करके रोजाना 8 से 10 घंटे केवल पढ़ाई के लिए निकालते थे। न किसी समारोह में जाते थे न ही लोगों से मिलना-जुलना था। कभी पढ़ाई करते-करते थक जाते थे तो कविता लिखने का शौक पूरा कर लिया करते थे।

जॉब करते हुए रोजाना 8 घंटे पढ़कर विक्रम ने हासिल की 354वीं रैंक
सेक्टर-56 की अलकनंदा सोसायटी में रहने वाले विक्रम सिंह ने यूपीएससी परीक्षा में पांचवें प्रयास में सफलता हासिल की है। विक्रम दिल्ली के करोल बाग में एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग सेंटर में टीचर की जॉब करते थे। तीन से चार घंटे की कोचिंग क्लास के बाद वे रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करते जिससे उन्हें सफलता मिली। विक्रम ने बताया कि दो बार वे इंटरव्यू में फेल हो गए थे। लेकिन इस बार उन्होंने योग और मेडिटेशन का सहारा लिया और उन्हें सफलता मिली।

ज्योति यादव ने पांचवें प्रयास में हासिल की 437वीं रैंक
सिकंदरपुर गांव की ज्योति यादव ने यूपीएससी कि में 437वां स्थान प्राप्त किया है। 27 साल की ज्योति ने पांचवें प्रयास में परीक्षा पास की है। ज्योति ने बताया कि वह मेंटल हेल्थ और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं। पिता राजेंद्र यादव ने हमेशा उन्हें सपोर्ट किया और पिछले 5 वर्षों में उन्हें मोटिवेट करते रहे। उनके ही सहयोग से वह परीक्षा में एक बेहतर स्थान प्राप्त कर पाई हैं।

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परीक्षित खटाना परिवार के साथ।