रोज रामायण का पाठ करने और इसके सूत्रों को जीवन में अपनाने से धर्म लाभ मिलता है, साथ ही मन भी शांत होता है और विचारों की नकारात्मकता दूर होती है। रामायण काफी बड़ा ग्रंथ है, इसका पाठ रोज कर पाना मुश्किल है, इसीलिए काफी लोग अपने समय के अनुसार रामायण का थोड़ा-थोड़ा पाठ रोज करते हैं। अगर पूरी रामायण पढ़ने का समय नहीं है तो एक श्लोकी रामायण का जाप कर सकते हैं। ये सिर्फ एक श्लोक की रामायण है। इसका पाठ करने से भी पूरी रामायण के पाठ करने का पुण्य मिल सकता है।
एक श्लोक में बताई है पूरी रामकथा
रामायण का सार बताने वाला एक मंत्र काफी प्रचलित है। जो लोग इस मंत्र का पाठ रोज करते हैं, उन्हें रामायण पढ़ने के बराबर पुण्य मिलता है। इसे एक श्लोकी रामायण कहते हैं। रोज सुबह घर के मंदिर में दीपक जलाकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ये है मंत्र
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननम्, ऐतद्धि रामायणम्।।
ये इस श्लोक का अर्थ
श्रीराम वनवास गए, वहां स्वर्ण मृग का का वध किया। वैदेही यानी सीताजी का रावण ने हरण कर लिया, रावण के हाथों जटायु ने अपने प्राण गंवा दिए। श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। बालि का वध किया। समुद्र पार किया। लंकापुरी का दहन किया। इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध किया। ये रामायण का सार है।
रोज सुबह घर के मंदिर में करें इस श्लोक का जाप
रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद घर के मंदिर में पूजा करें। श्रीराम दरबार के सामने धूप-दीप जलाएं। श्रीराम दरबार में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान मुख्य रूप से रखना चाहिए। भगवान को भोग लगाएं। पूजन के बाद श्रीराम का ध्यान करते हुए इस श्लोक का जाप करें। जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ज्यादा समय न हो तो 11 या 21 बार भी मंत्र जाप कर सकते हैं।