कोविड-19 के कारण ज्यादातर स्टार्टअप इस समय आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। इस समय देश में 50 प्रतिशत स्टार्टअप आर्थिक दिक्कतों से गुजर रहे हैं। जबकि 38 प्रतिशत स्टार्टअप के पास इस समय फंड नहीं है। 12 प्रतिशत के पास एक माह से कम का फंड है। हालांकि दूसरी तरफ कुछ स्टार्टअप ऐसे हैं जिनकी वैल्यूएशन टॉप पर है। पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशन 1.20 लाख करोड़ रुपए के साथ सबसे मूल्यवान स्टार्टअप बना हुआ है।
30 प्रतिशत स्टार्टअप के पास 3 महीने से भी कम पैसे हैं
लोकल सर्किल रिपोर्ट के मुताबिक, 30 प्रतिशत स्टार्टअप ने कहा कि उनके पास एक से तीन माह तक चलाने के लिए फंड है जबकि 16 प्रतिशत के पास 3-6 माह तक के लिए फंड है। इसी तरह 4 प्रतिशत स्टार्टअप पूरी तरह से बंद हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, आधा से ज्यादा स्टार्टअप कोविड-19 की वजह से इस समय भारी मुश्किल में हैं। वहीं, सीबी इनसाइट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पेटीएम माल की पैरेंट कंपनी वन97 देश में सबसे मूल्यवान स्टार्टअप के रूप में जगह पाया है। जून 2020 में इसकी वैल्यू 16 अरब डॉलर आंकी गई है।
लिस्ट में फूड डिलिवरी, राइड शेयरिंग स्टार्टअप भी
CB insites के मुताबिक दूसरे नंबर पर सबसे मूल्यवान स्टार्टअप ऑन लाइन शिक्षा देने वाली कंपनी बायूज है जबकि तीसरे नंबर पर ओयो है। इस लिस्ट में फूड डिलिवरी और राइड शेयरिंग यानी ट्रैवलिंग स्टार्टअप भी हैं। इसमें वैश्विक स्तर की कंपनियों का निवेश है। अलीबाबा ने पेटीएम और जोमैटो में पैसा लगाया है तो जापानी सॉफ्ट बैंक ने ओयो और पेटीएम माल में पैसा लगाया है।
21 यूनिकॉर्न में से 8 स्टार्टअप भारत में हैं
चार्ट के मुताबिक, 21 यूनिकॉर्न में से 8 स्टार्टअप भारत में हैं। यूनिकॉर्न का मतलब जिसकी वैल्यू एक अरब डॉलर हो। भारत में सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न बंगलुरू में हैं। सात यूनिकॉर्न यहां पर हैं। इसके बाद दिल्ली, मुंबई, नोएडा, पुणे, गुड़गांव में स्टार्टअप हैं।
ये हैं भारत के टाॅप मोस्ट मूल्यवान स्टार्टअप-
स्टार्टअप | वैल्यूएशन |
वन97 कम्युनिकेशन | 1.20 लाख करोड़ रुपए |
बायजू | 78750 करोड़ रुपए |
ओयो | 75000 करोड़ |
स्नैपडील | 52500 करोड़ रुपए |
ओला | 47,350 करोड़ रुपए |
स्विगी | 27000 करोड़ रुपए |
जोमैटो | 24750 करोड़ रुपए |
उड़ान | 17250 करोड़ रुपए |
कोविड-19 के कारण आधे से ज्यादा भारतीय स्टार्टअप्स संकट में
लोकल सर्किल के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के कारण 38 फीसदी भारतीय स्टार्टअप आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। इनमें कई छोटे और मध्यम उद्यम भी शामिल हैं। 12 प्रतिशत ने कहा कि आर्थिक संकट के कारण एक महीने से भी कम समय में वे इंडस्ट्री से बाहर हो सकते हैं। अप्रैल में, 27 प्रतिशत स्टार्टअप्स ने कहा था कि उनके पास अब धन नहीं हैं। जबकि 20 प्रतिशत का कहना है कि उनके पास एक महीने से कम का नकदी भंडार है।
कई बंद कर चुके हैं कारोबार
सर्वेक्षण में शामिल 4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपना कारोबार बंद कर दिया है। बता दें कि भारतीय स्टार्टअप और एसएमई के लिए स्थिति वास्तव में बिगड़ रही है।
सरकारी सहायता का फायदा नहीं मिला
सर्वे में शामिल लगभग दो तिहाई कंपनियों ने कहा कि संकट के कारण वे लागत में कटौती कर रहे थे। साथ ही वे मार्केटिंग में कटौती, हय्मून रिसोर्स और ऑपरेटिंग बजट के साथ-साथ कर भुगतान को समाप्त कर रहे थे। उनका कहना है कि उन्हें अब तक सरकारी सहायता पैकेजों से कोई फायदा नहीं हुआ है।