अमेरिका में संक्रमण के मामले 50 लाख के पार हो गए हैं। यहां जून तक संक्रमितों का आंकड़ा 25 लाख था, जो डेढ़ महीने में 25 लाख बढ़कर 50 लाख हो गया। जुलाई महीना अमेरिका के लिए सबसे खतरनाक साबित हुआ। इस महीने में यहां 19 लाख से ज्यादा मामले सामने आए। हालांकि, राहत की बात है कि देश में संक्रमण से मरने वालों की संख्या कम हुई है। रिकवरी रेट बढ़ कर 97% तक हो गया है। अब तक यहां 25 लाख 52 हजार 161 लोग ठीक हो चुके हैं।
जुलाई में 4 और 5 तारीख को छोड़कर बाकी सभी दिन 50 हजार से ज्यादा पॉजिटिव केस मिले। 24 जुलाई को सबसे ज्यादा 78 हजार 446 केस सामने आए थे। यह महामारी शुरू होने के बाद देश में 24 घंटे के भीतर मिले संक्रमितों का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
मार्च के बाद संक्रमण ने रफ्तार पकड़ी
अमेरिका में संक्रमण ने मार्च के बाद रफ्तार पकड़ी। 31 मार्च तक देश में महज 1 लाख 94 हजार 114 मामले थे, जो 30 अप्रैल में बढ़कर 11 लाख 305 हो गए। 31 मई तक यह संख्या 18 लाख 55 हजार 278 था। वहीं, 30 जून तक यहां मामले 27 लाख 29 हजार 470 हो गए। जुलाई में सारे रिकॉर्ड पीछे छूट गए और 31 जुलाई तक संक्रमितों का आंकड़ा 47 लाख 7 हजार 99 हो गया। वहीं, अगस्त महीने में पांच दिन में देश में 3 लाख 30 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए।
लॉकडाउन हटाने के बाद नए इलाके में फैला संक्रमण
अमेरिका में मार्च और अप्रैल तक संक्रमण न्यूयॉर्क सिटी, न्यू जर्सी और इसके आसपास के राज्यों तक ही ज्यादा असर दिखा रहा था। 17 अप्रैल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाबंदियों में राहत का ऐलान किया। इसके बाद यह नए इलाकों में फैलने लगा। मई तक देश के उत्तर पूर्वी राज्यों मिशिगन और लुसियाना में मामले बढ़ने लगे। जून तक फ्लोरिडा, टेक्सास और जॉर्जिया जैसे इलाकों में भी संक्रमण तेजी से फैलने लगा।
संक्रमण में तेजी आने की पांच अहम वजहें:
- 22 मार्च को ट्रम्प ने कोरोना महामारी को आपदा घोषित किया। इसके बावजूद पूरे देश में लोगों पर पाबंदियां लागू नहीं हुईं। दूसरे देशों से आने-जाने वाली उड़ानें रद्द नहीं की गईं।
- अमेरिका में महामारी से लड़ने की शुरुआती तैयारी कमजोर रही। देश में फरवरी और मार्च महीने में वेंटिलेटर और पीपीई की कमी रही। अपने यहां कमी होने के बावजूद इसने दूसरे देशों को महामारी से लड़ने के लिए जरूरी सामान देना जारी रखा।
- ट्रम्प और देश के कई राज्यों के गवर्नर के बीच महामारी की रोकथाम को लेकर मतभेद रहे। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क के गवर्नर क्यूमो समेत कई राज्यों के गवर्नर ने ट्रम्प पर महामारी को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप भी लगाया था।
- ट्रम्प ने देश के मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह को नजरअंदाज किया। कोरोना टास्क फोर्स के डायरेक्टर डॉ. एंथनी फौसी के कई सुझावों को उन्होंने सिरे से नकार दिया। लॉकडाउन में राहत न देने की बार-बार चेतावनी दिए जाने के बाद देश में इससे लोगों को राहत दी गई।
- अमेरिका के मिनेपोलिस पुलिस के हाथों अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की 25 मई को मौत हुई थी। इसके बाद वॉशिंगटन समेत देश में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन हुए। इनमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया। बिना कोई सावधानी का ध्यान रखे किए गए इस तरह के प्रदर्शनों ने देश में संक्रमण के मामलों को बढ़ाने का काम किया।
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