हैरानी की बात-ब्लड डोनेशन में फरीदाबाद प्रदेश में टॉप पर लेकिन थैलीसीमिया के मरीजों को खून नहीं मिल रहा

ब्लड डोनेशन के मामले में फरीदाबाद प्रदेश में टॉप पर है लेकिन जानकर हैरानी होगी कि यहां 300 थैलीसीमिया के मरीजों को खून नहीं मिल पा रहा है। गुरुवार को ये मामला हरियाणा विधानसभा की शिक्षा एवं स्वास्थ्य कमेटी की चेयरपर्सन सीमा त्रिखा और डीजी अतुल कुमार द्विवेदी द्वारा बुलाई गई बैठक में उठा। मरीजों और उनके परिजनों ने इस समस्या को पुरजोर ढंग से उठाया और सवाल खड़ा किया कि आए दिन लगने वाले ब्लड डोनेशन कैंप में एकत्र होने वाला खून आखिर जा कहां रहा है?

परिजनों और मरीजों की बात सुनकर चेयरपर्सन और डीजी आयुष भी हैरान हो गए। आखिर में चेयरपर्सन ने इस पूरे मामले की जांच कराने का भरोसा दिया और कैंप में एकत्र होने वाले ब्लड की ट्रैकिंग के लिए एक पूरा मैकेनिज्म तैयार करने को कहा। यही नहीं परिजनों ने दवाइयों का भी रोना रोया। इस पर डीजी आयुष ने सीएमओ को एक डिमांड बनाकर मुख्यालय भेजने को कहा ताकि पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध कराई जा सके। चेयरपर्सन ने माना कि ब्लड डोनेशन कैंप में कहीं न कहीं गड़बड़ी हो रही है। इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए।

पहली बार बुलाई गई थी बैठक
बताया जाता है कि इस तरह की कमेटी की यह पहली बैठक हुई जिसमें थैलीसीमिया व हीमोफीलिया के मरीजों और उनके परिवार को बुलाकर समस्याएं जानी। इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा इन मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की समीक्षा की गई। परिजनों ने यहां होने वाली गड़बड़ी को प्रमुखता से उठाया और कहा कि कई बार उनके मरीजों को खून तक नहीं मिल पाता।

किसी तरह बाहर से खून मंगाकर चढ़वाना पड़ता है। परिजनों ने यहां तक कहा कि फरीदाबाद में थैलीसीमिया के नाम पर आए दिन ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जाते हैं। हर एक कैंप में सैकंडों यूनिट रक्त एकत्र होता है फिर भी उनके मरीजों को समय पर खून नहीं मिलता। आखिर कहां गड़बड़ी हो रही है। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा लोगों ने थैलेसीमिया और हिमोफिलिया से जुड़े टेस्ट को लेकर लैब और स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की पोस्टिंग की मांग की। कई मरीजों ने सरकारी मदद न मिलने की शिकायतें भी की। मरीजों को सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन मिलने में आ रही समस्याओं को भी प्रमुखता से रखा।

मरीज 300, दवाइयां मिल रही सिर्फ 126 को
बैठक में ये बात भी सामने आयी कि फरीदाबाद में थैलीसीमिया मरीजों की संख्या 300 है लेकिन महज 126 लोगों को ही दवाइयां उपलब्ध हो रही है। बाकी लोगों के लिए दिल्ली से या फिर पैसे से खरीदकर दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है। यही नहीं इन मरीजों के लिए डे केयर सेंटर भी नहीं है।

2019 में 42 हजार यूनिट ब्लड एकत्र हुए थे
जिला रेडक्रास अधिकारियों की मानें तो वर्स 2019 में 42000 यूनिट ब्लड विभिन्न ब्लड कैंपों में एकत्र किए गए थे। जबकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते अब तक करीब 5000 यूनिट रक्त एकत्र हो चुका है। लेकिन ये रक्त कहां और किसके पास है ये किसी को पता नहीं है।

एकत्र होने वाले ब्लड की ट्रैकिंग तक नहीं
करीब 24 लाख की आबादी वाले इस शहर में आए दिन ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित किए जाते हैं। हर कैंप में 100 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र हो जाता है। सालाना 42 हजार यूनिट रक्त एकत्र होने के बाद भी इसके ट्रैकिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। एकत्र होने वाला रक्त कहां और किस ब्लड बैंक के पास जा रहा है इसकी भी स्वास्थ्य विभाग अथवा रेडक्रास विभाग को कोई जानकारी नहीं है।

चार संस्थाएं और हर एक अस्पतालों में है ब्लड बैंक
जिला रेडक्रास सोसाइटी के सचिव विकास कुमार ने बताया कि फरीदाबाद में बीके अस्पताल, रोट्ररी क्लब, डिवाइन ब्लड बैंक और संतो का गुरुद्वारा ब्लड बैंक है। इसके अलावा सभी निजी अस्पतालों में भी ब्लड बैंक बने हुए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जिस ब्लड बैंक का दांव लगा रहा है वही कैंप लगाकर रक्त एकत्र करने में लगा है। जल्द ही सीएमओ से बात कर सभी ब्लड बैंकों को नोटिस जारी किया जाएगा कि वह कैंप आयोजित करने से पहले रेडक्रास ओर स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दें।

हरियाणा विधानसभा शिक्षा एवं स्वास्थ्य कमेटी चेयरमैन सीमा त्रिखा का कहना है कि इस तरह की ये पहली बैठक हुई है जिसमें मरीजों और उनके परिजनों ने कई समस्याएं बताई है। कैंपों में एकत्र होने वाले खून की मॉनीटरिंग के लिए एक सिस्टम तैयार किया जाएगा ताकि ये पता चल सके कि कितना रक्त किसने एकत्र किया और उसका उपयोग कहां किया गया। इसके लिए मुख्यमंत्री से बात की जाएगी।

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फरीदाबाद में बैठक के दौरान अपनी समस्या रखते हुए लोग।