पति-पत्नी के बीच तालमेल बना रहता है तो जीवन में प्रेम और सुख बना रहता है। जब तालमेल बिगड़ने लगता है तो वाद-विवाद होने लगते हैं। मानसिक तनाव बढ़ता है और जीवन से शांति खत्म हो जाती है। पति-पत्नी से संबंधित एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक संत अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक घर में पति-पत्नी गुस्सा कर रहे थे और जोर-जोर से चिल्ला रहे थे।
संत ने पति-पत्नी को लड़ते हुए देखा तो उन्होंने शिष्यों से पूछा, क्रोध में लोग एक-दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं?
सभी शिष्य कुछ देर सोचते रहे, इसके बाद एक शिष्य ने जवाब दिया कि जब हम क्रोध में होते हैं तो शांति खो देते हैं। इस वजह से जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं।
गुरु ने कहा कि जब दूसरा व्यक्ति हमारे ठीक सामने ही खड़ा है तो चिल्लाने की जरूरत क्यों होती है? जो कहना है हम धीमी आवाज में भी बोल सकते हैं। सामने खड़ा व्यक्ति हमारी बात आसानी से सुन सकता है।
शिष्य गुरु के इस प्रश्न उत्तर नहीं दे सके। इसके बाद संत ने शिष्यों को समझाया कि जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक-दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं। इस अवस्था में वे एक-दूसरे को बिना जोर से बोले सुन नहीं सकते। लोग जितना ज्यादा गुस्से में होंगे, उनके बीच की दूरी उतनी ही ज्यादा हो जाती है और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा। तब ही वे एक-दूसरे की बातें सुन पाते हैं।
संत आगे कहा कि जब पति-पत्नी या दो लोग प्रेम में होते हैं, तब वे चिल्लाते नहीं हैं, बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं, क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं। उनके बीच दूरी नहीं होती है। संत ने शिष्यों को समझाया कि जब पति-पत्नी एक-दूसरे को बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं तो वे बोलते भी नहीं, वे सिर्फ एक-दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं।
प्रसंग की सीख
इस प्रसंग की सीख यह है कि पति-पत्नी को हर हाल में शांति बनाए रखनी चाहिए। क्रोध से बचना चाहिए। क्रोध को काबू करने के लिए मेडिटेशन करना चाहिए। क्रोध से बचेंगे तो वाद-विवाद की स्थितियां नहीं बनेंगी और पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहेगा। प्रेम से ही वैवाहिक जीवन सुखी और शांत रह सकता है।