सरस्वती टीके एक हाइपर रियलिस्टिक आर्टिस्ट हैं। उनकी पैदाइश चेन्नई में हुई। पॉन्डिचेरी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने शादी की और वे यूएई चली गईं। उसके बाद लगभग दस साल तक वे सिंगापुर रहीं और फिर न्यूजर्सी में सेटल हुईं।
हाइपर रियलिस्टिक फूड आर्ट में विशेष योग्यता रखने वाली इस आर्टिस्ट की राह बिल्कुल आसान नहीं थी। कई जगह से रिजेक्ट होने के बाद उसने कैसे ये मुकाम हासिल किया, जानिए उन्हीं की जुबानी :
मेरा विश्वास कभी भी ट्रेडिशनल जॉब करने में नहीं रहा। कंप्यूटर इंजीनियरिंग करने के बाद मैंने कुछ समय तक जॉब की। लेकिन जल्दी ही मैं एक जैसे रुटीन से बोर हो गई। 2007 और 2008 के बीच जब मैंने पेरिस के प्रतिष्ठित म्युजियम और सिंगापुर की आर्ट एग्जीबिशन के दौरान कई पेंटर्स की ड्राइंग देखी तो मेरी रुचि इस विषय में हुई। उन्हीं दिनों मैंने पेंटिंग को अपना करिअर बनाने का फैसला किया।
अपने काम की शुरुआत में मैंने स्केचिंग सीखी। एक दिन इंटरनेट पर ड्राइंग्स के ट्यूटोरियल्स सर्च करते हुए मेरी नजर अचानक ही पेंटिंग के कुछ वीडियोज पर गई। तब मैंने कैनवास पर ऑइल पेंटिंग करना शुरू किया।
जल्दी ही मैंने पेंटिंग की गई विधाओं को सीख लिया।
मैं लैंडस्केप और एब्सट्रैक्ट पेंटिंग करने लगी। लेकिन फिर ये लगने लगा कि मेरे लिए अपने पैशन को पाना अभी भी बाकी है। तभी मुझे अपनी एग्जीबिशन लगाने का मौका मिला।
हालांकि कई एग्जीबिशन लगाने के बाद भी मुझे वो पहचान नहीं मिली जो मैं चाहती थी। 2012 में मैंने ‘स्टील लाइफ’ जेनर के तहत पेंटिंग की। मेरे इस आर्ट वर्क को एफोर्डेबल आर्ट फेयर, सिंगापुर में स्थान मिला।
उसके बाद मैंने जेसिका ब्राउन की स्टील लाइफ रियलिस्टिक पेंटिंग देखी। मुझे ये पेंटिंग बहुत पसंद आई। इसकी क्वालिटी और आर्ट वर्क तारीफ के काबिल था। उन्हीं दिनों मैंने हाइपर रियलिज्म के 1000 वीडियोज देखे। उसके बाद मैंने हाइपर रियलिज्म वर्क की शुरुआत की। मेरे शुरुआती काम को आर्ट एक्सपो, न्यूयॉर्क में सराहा गया।
यही से मुझे हाइपर रियलिज्म पेंटिंग बनाने का आत्मविश्वास मिला। लेकिन कई बार मेरे काम को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि इसका विषय अच्छा नहीं है या इसमें यूनिकनेस की कमी है।
2015 के बाद मैंने इसी यूनिकनेस की तलाश शुरू की। मेरी तलाश डच पेंटर जाफ स्पार्नासी की मेगा रियलिस्टिक फूड पेंटिंग देखकर खत्म हुई। उन्होंने अपनी पेटिंग में बर्गर और फ्रेंच फ्राइज को खूबसूरती के साथ दर्शाया है। जेसिका ब्राउन की पेंटिंग की तरह इन पेंटिंग्स का कलर और टेक्सचर भी देखने के लायक था।
मैं ये जानने के लिए उत्सुक थी कि क्या भारत में हाइपर रियलिस्टिक या मेगा रियलिस्टिक पेंटिंग करने वाला कोई पेंटर है। मेरे इस सवाल का जवाब मुझे ना में मिला। तब मैंने इसी आर्ट वर्क को अपना करिअर बना लिया।
इंडियन फूड में हाइपर रियलिस्टिक वर्क करने के लिए मैंने सबसे पहले इडली, सांभर और नारियल चटनी को चुना। इस पेंटिंग को बनाते हुए मेरे बचपन की कई यादें ताजा हो गईं। मुझे इस पेंटिंग को लोगों के सामने लाने का मौका कल्चरल हेरिटेज शो डब्ल्यूडब्ल्यूएसी, न्यूजर्सी में मिला। उसके कुछ समय बाद मैंने न्यूजर्सी की मोनमाउथ म्युजियम में एग्जीबिशन लगाई।
विदेशियों के बीच अपने देश की एक से बढ़कर एक डिशेज की पेंटिंग मेरे लिए गर्व की बात थी। यहां हर कोई इन व्यंजनों के बारे में जानना चाहता था। मेरी दूसरी पेंटिंग में डोसा और सांभर को दर्शाया गया। मेरी तीसरी पेंटिंग में समोसा, इमली और हरे धनिए की चटनी को दिखाया गया। इसे अमेरिका की प्रतिष्ठित मैगजीन ”अमेरिकन आर्ट कलेक्टर” में जगह मिली।
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फिलहाल सोशल मीडिया के माध्यम से मैं अपने आर्ट पीसेस फूड लवर्स और कला के कद्रदानों तक पहुंचा रही हूं। कुछ समय पहले मेरे डोसा और सांभर पर बने वीडियो को 135,000 व्यूज मिले। इंस्टाग्राम पर मेरी पेंटिंग को मिलने वाली तारीफ यकीनन हर दिन मेरा हौसला बढ़ाती है।