केरल के अनंतपुरा लेक मंदिर में है 70 से ज्यादा औषधियों से बनी मूर्तियां, झील के बीच में बना है ये देवालय

भारत की अनोखे तीर्थ स्थानों में केरल का अनंतपुरा लेक मंदिर भी शामिल है। कासरगोड जिले के अनंतपुर गांव में बना ये मंदिर अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये झील में बना इस राज्य का एकमात्र मंदिर है। ये झील के बीच में बना हुआ है। ये झील लगभग 302 वर्ग किमी में फैली है, जिसके चारों तरफ घने पेड़ हैं। इस झील के पास देखने लायक एक गुफा है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु पांच फन फैलाए नागों के ऊपर विराजमान हैं।

9वीं शताब्दी में बना है मंदिर
करीब 9वीं शताब्दी में बने भगवान विष्णु के इस मंदिर को अनंत-पद्मनाभस्वामी भी कहा जाता है। मंदिर की संरचना काफी आकर्षक है। बाहरी संरचना से अधिक ध्यान यहां का गर्भगृह खींचता है। यहां जितनी भी मूर्तियां मौजूद हैं वे किसी धातु या पत्थर से नहीं बनी हैं बल्कि, इनका निर्माण 70 से ज्यादा विशेष औषधियों के मिश्रण से हुआ है, जिन्हें कादुशर्करा योगं कहा जाता है।अंकित है दस अवतारों की कहानी इस मंदिर में लकड़ी की नक्काशियों की उत्तम छवि देखने को मिलती है जो मंदिर के मंडप की छत पर की गई है। ये नक्काशियां भगवान विष्णु के दस अवतारों की कथा को दर्शाती है। इनमें से कुछ को रंगा गया है। गर्भगृह की दोनों ओर की लकड़ियों में द्वार-पालक (जय और विजय) की खूबसूरत नक्काशी की गई है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु साक्षात रूप से पधारे थे और गुफा मार्ग से तिरुवनंतपुरम गए थे। माना जाता है कि इसी स्थान पर कभी दिवाकर मुनी विल्वा मंगलम ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी।

भगवान का संदेशवाहक मगरमच्छ
इस मंदिर की रक्षा एक शाकाहारी मगरमच्छ करता है, जो बिलकुल भी मांस का सेवन नहीं करता बल्कि श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए प्रसाद को ही ग्रहण करता है। अभी तक इस जीव ने किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया है। भक्त इस झील में स्नान भी करते हैं। यह मगरमच्छ बाबिआ के नाम से जाना जाता है। बाबिआ यहां का स्थानीय रक्षक और भगवान का संदेशवाहक भी माना जाता है। इसे चावल का बना विशेष भोजन परोसा जाता है।

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Anantpura Lake Temple in Kerala: This Temple is 1000 year Old, Sculptures Are Made More Than 70 Medicines