केनरा बैंक (Canara Bank) ने 2 करोड़ रुपए से कम की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में कटौती की है। बदलाव के बाद, 7-45 दिनों की मैच्योरिटी पीरियड के टर्म डिपॉजिट पर केनरा बैंक 3 फीसदी ब्याज दर की पेशकश करेगा। वहीं 1 साल की FD पर 5.40 फीसदी ब्याज मिलेगा। नई ब्याज दरें 10 अगस्त से लागू हो गई हैं।
अब FD पर कितना मिलेगा ब्याज
अवधि | ब्याज दर (%) | सीनियर सिटीजन (%) |
7 से 45 दिन | 3.00 | 3.00 |
46 से 90 दिन | 4.00 | 4.00 |
91 से 179 दिन | 4.05 | 4.05 |
180 से 1 साल से कम | 4.50 | 5.00 |
1 साल | 5.40 | 5.90 |
1 से अधिक और 2 साल से कम | 5.35 | 5.85 |
2 से अधिक और 3 साल से कम | 5.35 | 5.85 |
3 से अधिक और 5 साल से कम | 5.30 | 5.80 |
5 से अधिक और 10 साल से कम | 5.30 | 5.80 |
पहले FD पर कितना मिलता था ब्याज
अवधि | ब्याज दर (%) | सीनियर सिटीजन (%) |
7 से 45 दिन | 3.50 | 3.50 |
46 से 90 दिन | 4.30 | 4.30 |
91 से 179 दिन | 4.30 | 4.30 |
180 से 1 साल से कम | 4.85 | 5.35 |
1 साल | 5.50 | 6.00 |
1 से अधिक और 2 साल से कम | 5.50 | 6.00 |
2 से अधिक और 3 साल से कम | 5.50 | 6.00 |
3 से अधिक और 5 साल से कम | 5.50 | 6.00 |
5 से अधिक और 10 साल से कम | 5.45 | 5.95 |
ब्याज दर घटने से आपको कितना नुकसान होगा
पहले : पहले 1 लाख रुपए का निवेश 1 साल के लिए करने पर आपको 5.50 फीसदी की ब्याज दर से एक साल बाद करीब 105,640 रुपए मिलते।
अब : अब अगर आप 1 लाख रुपए का निवेश 1 साल के लिए करते हैं तो अब आपको 5.40 फीसदी की ब्याज दर से एक साल बाद करीब 105,535 रुपए मिलेंगे।
केनरा बैंक ने MCLR घटाई
केनरा बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए लोन को सस्ता बना दिया है। बैंक ने विभिन्न लोन अवधियों के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिग रेट्स (MCLR) में 0.30 फीसदी तक की कटौती की है। नई लोन दरें 7 अगस्त से लागू हो चुकीं हैं। ये हैं नई दरें…
अवधि | नई दर (%) |
ओवरनाइट | 7.00 |
1 महीना | 7.00 |
3 महीना | 7.15 |
6 महीना | 7.40 |
1 साल | 7.45 |
MCLR क्या है?
बैंक 2016 से मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिग रेट्स (MCLR) के आधार पर कर्ज दे रहे हैं। जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है। इसी आधार दर की जगह पर अब बैंक MCLR का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी गणना बैंक के संचालन खर्च और नकदी भंडार अनुपात को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है। बाद में इस गणना के आधार पर लोन दिया जाता है। यह आधार दर से सस्ता होता है।