प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए गंदगी भारत छोड़ो अभियान के तहत दिल्ली में गंदगी मुक्त अभियान को शुरू किया है। इस संबंध में उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश, दक्षिणी दिल्ली की महापौर अनामिका मिथिलेश और पूर्वी दिल्ली के महापौर निर्मल जैन ने सोमवार को संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा कि अभियान में हर क्षेत्र के सफाई व्यवस्था का बारीकी से जायजा लिया जाएगा। जय प्रकाश ने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम प्रति दिन 4500 मीट्रिक टन कूड़ा उठाती है, जिसमें से 2300 मीट्रिक टन कूड़ा नरेला बवाना संयंत्र में भेजा जाता। निगम के अंतर्गत 550 डलाव है जिस में से 303 डलावो को बंद करके 61 कॉम्पेक्टर मशीनें लगाई गई हैं। उन्होंने बताया कि निगम कूड़ा निष्पादित के लिए निगम 55 कॉम्पेक्टर मशीनें और 6 मोबाइल कॉम्पेक्टर मशीनें लगाएगी।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम 15 ट्रॉम्मेलिंग मशीनों के माध्यम से भलस्वा लैंड-फिल साइट पर 2000 मीट्रिक टन कूड़े का निपटान कर रही हैं। वहीं अनामिका ने कहा कि निगम भी अपने सभी 104 वार्ड में स्थानीय पार्षदों, आरडब्ल्यूए, मार्किट एसोसिएशन, धार्मिक और सामजिक संगठनों के सहयोग से व्यापक स्तर पर ऐसे सफाई अभियान चलाएगा। उन्होंने कहा कि वे स्वयं हर ज़ोन में जाकर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करेंगी और इस कार्य में आयुक्त से लेकर सफाई कर्मचारी तक की सहभागिता आवश्यक है। निर्मल जैन ने कहा कि हम कूड़े के बेहतर निष्पादन के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा एक-एक टन क्षमता के 9 कम्पोस्ट प्लांट लगाए जा चुके हैं और ऐसे अन्य प्लांट लगाने का काम जारी है।
लैंडफिल साइट की उंचाई हो रही कम
दिल्ली के सभी लैंड-फिल साइट की ऊंचाई घट रही है। अनामिका ने बताया कि आईआईटी दिल्ली की सलाह पर लैंड-फिल उंचाई कम करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। निर्मल जैन सांसद की मेहनत से हमने गाजीपुर लैंड-फिल साइट की उंचाई कम करने में भी सफलता हासिल की है। वहीं जयप्रकाश ने कहा कि लैंड-फिल साइट पर प्रति दिन 4500 टन कचरे का निपटान हो रहा है, जिससे लैंड-फिल साइट की ऊंचाई घट रही है। अनामिका ने कहा कि पिछले दो वर्ष में चारों ज़ोन में लगभग 7000 नीले और हरे कूड़ेदान लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कूड़े के उचित निष्पादन के लिए अभी तक चार बायोमीथेनेशन प्लांट और चार आईटीपीसी ड्रम कंपोस्टर प्लांट लगाए गए हैं, जिसके द्वारा जैविक कचरे को प्रोसेस करके बिजली, खाद और कंपोस्टर बनाया जा रहा है।