वर्तमान में भारतीयता की पुनर्स्थापना आवश्यक: प्रो. सच्चिदानंद जोशी

भारतीय शिक्षण मंडल एवं जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से वर्तमान युग में भारतीयता की पुनर्स्थापना विषय पर आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हो गया। इसमें मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद जोशी थे। उन्होंने कहा कि हमें अपने अंदर झांकने की जरूरत है। हमें आत्ममंथन और राष्ट्रहित में चिंतन करने की जरूरत है। काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहम ने हमें जकड़ लिया है। जिसने इन पर काबू कर लिया वह साधु है और जिसने इनका अंत किया वह संत कहलाता है। इसी प्रकार जिसने इनको काबू कर इनको जानकर स्वयं विकास और तरक्की को आगे बढ़ाया है वह सामर्थ्य कहलाता है। हमें अपने सामर्थ्य को विकसित करने की जरूरत है।

भारत में परिवार एवं संबंधों को विशेष महत्व देने की परंपरा है तथा अतिथि देवो भव: के सिद्धांत पर अतिथि को देवता के रूप में माना जाता है, उसका आतिथ्य किया जाता है। संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है। हमारी संस्कृति, सभ्यता एवं परंपराओं में भारतीयता समाई है। भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का शिष्टाचार प्राचीनकाल से ही है। उन्होंने कहा हम आचार, व्यवहार, उपचार, परिवार, संचार, विचार और संस्कार जीवन के इन सात मूल तत्वों को अपनाकर एवं चिंतन कर भारतीयता की पुनर्स्थापना कर सकते हैं।

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फरीदाबाद. बीट रिवाइज करने को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक करते सीपी ओपी सिंह।