मदरसों में सिर्फ 12वीं पास नौकरी लायक पढ़ाई होती है:यूपी सरकार ने SC में कहा- 8वीं के बाद नहीं पढ़ाए जाते मेनस्ट्रीम सब्जेक्ट्स

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मदरसे से पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ 10वीं-12वीं की योग्यता वाली नौकरियों के लायक हैं। ये प्रदेश सरकार ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था पर चल रही सुनवाई के दौरान कहा है। दरअसल, 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को खारिज कर दिया था। इसके बाद कई मदरसे और टीचर्स इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है। सिर्फ 8वीं तक पढ़ाएं जाते हैं मेनस्ट्रीम सब्जेक्ट्स
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सिलेबस के अनुसार मदरसों में मेनस्ट्रीम सब्जेक्टस सिर्फ 8वीं तक पढ़ाएं जाते हैं। 9वीं और 10वीं में मेनस्ट्रीम सब्जेक्ट्स पढ़ना कंपलसरी नहीं है। स्टूडेंट्स को मैथ्स, होम साइंस (केवल लड़कियों के लिए), लॉजिक एंड फिलॉसफी, सोशल साइंस, साइंस और टिब (ट्रेडिशनल मेडिकल साइंस) में से सिर्फ एक सब्जेक्ट चुनना होता है। वहीं, UG और PG लेवल पर यूपी मदरसा बोर्ड कामिल और फाजिल की डिग्री देता है जिसे राज्य या केंद्र सरकार की किसी भी यूनिवर्सिटी की डिग्रियों के बराबर नहीं मना गया है। यही वजह है कि मदरसों से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को उन्हीं नौकरियों के लिए एलिजिबल माना जाएगा जिनमें 10वीं-12वीं पास की एलिजिबिलिटी मांगी गई हो। क्या है पूरा मामला…. साल 2004- यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 को मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लाया गया था। इस कानून के तहत मदरसों के लिए बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी तय किए गए थे। बोर्ड मदरसों के लिए सिलेबस तैयार करने, टीचिंग मटेरियल और टीचर्स को ट्रेनिंग देने का काम करता था। साल 2012- मदरसा एक्ट के खिलाफ सबसे पहले 2012 में दारुल उलूम वासिया मदरसा के मैनेजर सिराजुल हक ने याचिका दाखिल की थी। फिर 2014 में माइनॉरिटी वेलफेयर लखनऊ के सेक्रेटरी अब्दुल अजीज और 2019 में लखनऊ के मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर की थी। इसके बाद 2020 में रैजुल मुस्तफा ने दो याचिकाएं दाखिल की थीं। 2023 में अंशुमान सिंह राठौर ने याचिका दायर की। सभी मामलों को नेचर एक था। इसलिए हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को मर्ज कर दिया। साल 2022- यूपी सरकार को सामाजिक संगठनों और सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट मिले थे कि अवैध तरीके से मदरसों का संचालन किया जा रहा है। इस आधार पर उत्तर प्रदेश परिषद और अल्पसंख्यक मंत्री ने सर्वे कराने का फैसला लिया था। इसके बाद हर जिले में 5 सदस्यीय टीम बनाई गई। इसमें जिला अल्पसंख्यक अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक शामिल थे। 10 सितंबर 2022 से 15 नवंबर 2022 तक मदरसों का सर्वे कराया गया था। इस टाइम लिमिट को बाद में 30 नवंबर तक बढ़ाया गया। इस सर्वे में प्रदेश में करीब 8441 मदरसे ऐसे मिले थे, जिनकी मान्यता नहीं थी। सरकार के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल 15 हजार 613 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने मदरसों की जांच के लिए SIT का गठन किया था। SIT मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है। मार्च 2024- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। 22 मार्च को कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि उत्तर प्रदेश का मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 ,15 (समानता का अधिकार) और 21-A (शिक्षा का अधिकार) के खिलाफ है। इसके बाद कोर्ट ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर करने का आदेश भी दिया है। बच्चों को मदरसा की शिक्षा तक नहीं रोकना चाहिए
धार्मिक तर्ज पर बने शिक्षा संस्थानों के जरिए मदरसा बोर्ड ने बच्चों की शिक्षा को लेकर भेदभाव किया है। हाई कोर्ट ने कहा कि जब सभी धर्मों के बच्चों को हर सब्जेक्ट में मॉडर्न एजुकेशन मिल रही है, तो विशेष धर्म के बच्चों को मदरसे की शिक्षा तक नहीं रोका जाना चाहिए। ये संविधान के आर्टिकल 21-A (6 से 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा) और 21 (जीवन का अधिकार) के खिलाफ है। सरकारी स्कूलों में होगा मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों में ट्रांसफर
हाई कोर्ट के फैसले के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मान्यता प्राप्त स्कूलों में ट्रांसफर करने के लिए योजना बनाने के निर्देश भी दिए थे। कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर स्कूलों की सीटें बढ़ाई जाएं और प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड या हाई स्कूल इंटरमीडिएट एजुकेशन बोर्ड के साथ इन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। मदरसा एक्ट को सेक्यूलरिज्म के खिलाफ कहना गलत- SC
​​​​​​​हालांकि मार्च में ही सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इसके साथ ही केंद्र और यूपी सरकार से जवाब भी मांगा। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है। बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट प्रथमदृष्टया सही नहीं है। ये कहना गलत होगा कि यह मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है।