फारूक बोले- भाजपा वाले खुद पाकिस्तानी:सत्ता में बैठे, फिर भी आतंकवाद; JK मुस्लिम बहुल राज्य, इसलिए टुकड़े कर दिए

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘भाजपा वाले हमें बार-बार पाकिस्तानी बोलते हैं। ये खुद पाकिस्तानी हैं। भाजपा कहती है राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला के बीच गठबंधन पाकिस्तान के समर्थन से बना है। हमें पाकिस्तान से क्या लेना-देना? भाजपा कहती है आर्टिकल 370 आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है, लेकिन अब वे सत्ता में हैं- क्या आतंकवाद खत्म हो गया है? इन्होंने तो (जम्मू और कश्मीर) को भी टुकड़ों में बांट दिया, क्योंकि यह एक मुस्लिम बहुल राज्य है।’ अब जानिए जम्मू-कश्मीर चुनाव में कहां से आया पाकिस्तान… पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ 18 सितंबर को पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो न्यूज से चर्चा कर रहे थे। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने ख्वाजा से आर्टिकल 370 पर एक सवाल किया। इस पर ख्वाजा ने कहा- हम भी कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की तरह जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली चाहते हैं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने यह भी दावा किया कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आता है तो आर्टिकल 370 वापस आ सकता है। ख्वाजा ने कहा- मुझे लगता है कि यह संभव है। वर्तमान में, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का वहां बहुत दबदबा है। घाटी की आबादी इस मुद्दे पर संवेदनशील है और संभावना है कि कॉन्फ्रेंस (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सत्ता में आएगी। मोदी और शाह के 2 जवाब… 19 सितंबर: मोदी बोले- कांग्रेस-NC के घोषणापत्र से पाकिस्तान खुश पाकिस्तान को लेकर PM मोदी ने जम्मू-कश्मीर के कटरा में रैली में कहा था कि पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ने इन दोनों पार्टियों का खुलकर समर्थन किया है। उनका कहना है कि आर्टिकल 370 और 35A को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का जो एजेंडा है, वही एजेंडा पाकिस्तान का है। ये वहां के मंत्री बोल रहे हैं। यानी कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का एजेंडा लागू करना चाहते हैं। इनके घोषणापत्र से पड़ोसी देश बहुत खुश है। 19 सितंबर: अमित शाह बोले- पाकिस्तान और कांग्रेस का एजेंडा एक ही है गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का आर्टिकल 370 और 35A पर कांग्रेस और JKNC के समर्थन की बात ने एक बार फिर कांग्रेस को एक्सपोज कर दिया। इस बयान ने फिर एक बार यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी। पिछले कुछ वर्षों से राहुल गांधी देशवासियों की भावनाओं को आहत करते हुए भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े रहे हैं। राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान के सुर हमेशा एक रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस, PDP के घोषणा पत्र में 370 की बहाली का वादा जम्मू-कश्मीर चुनाव में आर्टिकल 370 मुद्दा क्यों… 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। नई सरकार का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल का होगा
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया था। राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। चुनाव के बाद नई सरकार का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल का होगा। जम्मू-कश्मीर की 90 सीटें, परिसीमन में 7 जुड़ीं
जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें थीं, जिनमें से 4 लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने पर 83 सीटें बची थीं। बाद में परिसीमन के बाद 7 नई सीटें जोड़ी गईं। उनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर में हैं। अब कुल 90 सीटों पर चुनाव हो रहा है। इनमें 43 जम्मू, 47 कश्मीर संभाग में हैं। 7 सीटें SC (अनुसूचित जाति) और 9 सीटें ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए रिजर्व हैं। ये खबर भी पढ़ें… जम्मू-कश्मीर में पहले फेज में NC-कांग्रेस भारी: अलायंस को 24 में से 12-13, BJP को 4-6 सीट, PDP जीत सकती है 4-5 सीटें जम्मू-कश्मीर की लोकल पार्टियों के लिए चुनाव में बेरोजगारी नहीं, बल्कि आर्टिकल-370 को वापस कराना सबसे बड़ा मुद्दा है। बेरोजगारी दूसरे नंबर पर है। हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो आर्टिकल-370 बेशक कश्मीर के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। पर इसकी वापसी का रोडमैप क्या होगा, इस पर बात नहीं हो रही है। यहां हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने पॉलिटिकल पार्टियों, एक्सपर्ट्स और लोकल लोगों से बात की। पूरी खबर पढ़ें…