रिलेशनशिप- 3 साल की बच्ची के साथ रेप:बच्चों को कैसे सिखाएं गुड टच-बैड टच, कुछ गलत हो तो क्या करें, चाइल्ड काउंसलर की 10 सलाह

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जहां एक प्राइवेट स्कूल के टीचर ने 3 साल की बच्ची के साथ रेप किया। उसके बाद बच्ची को यह बात किसी से न बताने के लिए डराया और टॉफी का लालच दिया। पुलिस की जानकारी के मुताबिक, आरोपी बच्ची की निगरानी कर रहा था, उसके आने-जाने के टाइम और वॉशरूम जाने के समय पर भी नजर रख रहा था। इस घटना की जानकारी खुद बच्ची ने अपनी कॉन्सटेबल मां को दी। उसने बताया कि टीचर ने उसे बैड टच किया। बहुत कम बच्चे हैं, जिन्हें गुड टच और बैड टच को लेकर जानकारी होती है। इस विषय पर बात करना बहुत जरूरी है ताकि बच्चे ऐसी घटनाओं से बच सकें। आजकल बच्चों के साथ जिस प्रकार सेक्शुअल अपराध बढ़ते जा रहे हैं, उसे देखते हुए माता-पिता और स्कूल, सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2020 की रिपोर्ट कहती है कि भारत में बच्चों के साथ यौन शोषण मामलों की दर जो वर्ष 2019 में 34.3% थी, वह 2020 में बढ़कर 44.8% हो गई। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 50% बच्चे अपने जीवन में कभी-न-कभी शारीरिक या मानसिक हिंसा का सामना करते हैं। इन सब चीजों को देखते हुए बच्चों को गुड टच और बैड टच का अंतर समझाना बहुत जरूरी है। इससे बच्चों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। तो आज ‘रिलेशनशिप’ में हम बात करेंगे कि कैसे बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाया जाए। साथ ही जानेंगे कुछ जरूरी बातें, जो हर पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ जरूर शेयर करनी चाहिए। बच्चों को सेफ टच के बारे में बताना बेहद जरूरी है। जैसे मां-बाप या फिर उनके डॉक्टर जिस तरह से बच्चों का छूते हैं, वो गुड टच है। इसके अलावा कोई भी टच बैड टच हो सकता है। बच्चों के अंदर फीलिंग तो होती है, जब कोई उन्हें गलत तरीके से छूता है तो उन्हें असहज, बुरा या डरावना महसूस भी होता है, लेकिन इस फीलिंग को व्यक्त करने के लिए उनके पास भाषा नहीं होती। साथ ही यह समझ भी नहीं होती कि यह क्यों गलत है। यहां माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका अहम हो जाती है। उन्हें बच्चों को इन चीजों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। साथ ही बच्चों को यह सिखाना कि वह हमेशा खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त करें। नीचे ग्राफिक में देखें कैसे बच्चों को सिखाएं गुड-टच और बैड टच। बच्चे को सिखाएं सही-गलत का फर्क बच्चों के सामने सबसे बड़ी मुसीबत होती है कि उन्हें सही गलत में फर्क नहीं पता होता है। वे इतने सरल और सच्चे होते हैं कि सबको अपना मान लेते हैं। अगर कोई प्यार से बात कर ले या टॉफी दे तो मना नहीं करते। इसलिए यह पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि वे उन्हें समझाएं कि सही क्या है और गलत क्या। नीचे ग्राफिक में देखें और अपने बच्चों की परवरिश करते हुए इन सारी बातों का ख्याल रखें। अगर बच्चे को कोई बैड टच करता है तो उसे क्या करना चाहिए सबसे जरूरी है बच्चे को यह सिखाना कि जब भी घर में, स्कूल में, किसी रिश्तेदार के घर में या कहीं पर भी उन्हें कोई गलत तरीके से छुए या उन्हें अच्छा महसूस न हो तो उन्हें तुरंत क्या करना चाहिए। बच्चों को सिर्फ गुड टच, बैड टच की परिभाषा सिखाने से हमारी जिम्मेदारी नहीं खत्म हो जाती। हमें उन्हें स्टेप बाय स्टेप हरेक एक्शन बताना है कि जब भी कुछ गलत महसूस हो तो बच्चे को तुरंत क्या करना चाहिए। नीचे ग्राफिक में देखिए– बच्चों को सुरक्षा के बारे में बताना स्कूल की भी जिम्मेदारी अपने माता-पिता से अलग जब तक बच्चे स्कूल में होते हैं, उनकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल की ही होती है। ऐसे में ये स्कूलों का भी ये दायित्व होता है कि वो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखें। साथ ही बच्चों को उनकी सुरक्षा के बारे में सिखाएं। नीचे ग्राफिक में देखिए कि इस संबंध में स्कूलों को क्या करना चाहिए। ऊपर दी गई जरूरी बातों के अलावा इन चीजों का भी हमेशा ध्यान रखें– माता-पिता बच्चों के इशारों को समझें