जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के 6 सहयोगी गिरफ्तार किए:इनके पास से हथियार-बारूद बरामद; युवाओं को टेररिस्ट एक्टिविटी के लिए ट्रेंड करते थे

जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा में शुक्रवार को आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ। पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के 6 आतंकी सहयोगियों को गिरफ्तार कियाI पुलिस को इनके पास से 5 आईईडी, 30 डेटोनेटर, आईईडी की 17 बैटरी, 2 पिस्टल, 3 मैगजीन, 25 राउंड, 4 हैंड ग्रेनेड और 20 हजार कैश बरामद हुआ है। पुलिस ने बताया- जानकारी मिली थी कि एक आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के लिए ऐसे युवाओं की तलाश कर रहा था, जिन्हें आतंकी संगठन में शामिल किया जा सके। उनका ब्रेन वॉश कर टेररिस्ट एक्टिवटी के लिए हथियार और गोला-बारूद दिए जा सकें। जिससे वे हमलों को अंजाम देते। पुलिस ने कहा, पाकिस्तान के आतंकी हैंडलर ने इन युवाओं की मदद से आईईडी लगाने के लिए कुछ जगहों को सिलेक्ट भी कर लिया था। हैंडलर और आईईडी बनाने के लिए उन युवाओं को पैसे भी दिए थे, जिससे वे इसके लिए सामान ला सकें। इससे पहले 12 अगस्त को सुरक्षाबलों ने चरवाहा मॉड्यूल के 9 लोगों को पकड़ा था। ये सभी आतंकियों को घाटी में मिट्‌टी के घर में रुकने-खाने और जंगलों में छिपने की ट्रेनिंग देते थे। ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से कई युवाओं से संपर्क किया
पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान इस मॉड्यूल का हिस्सा रहे युवाओं की पहचान की गई। यह भी पता चला कि पाकिस्तान के आतंकवादी ने जेल में बंद एक ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से कई युवाओं से संपर्क किया, जिन्हें अवंतीपोरा और कुलगाम जिले के त्राल क्षेत्र में आतंकी रैंक में शामिल होने के लिए उकसाया गया था। युवाओं को आतंकी रैंक में शामिल होने में आसानी के लिए पिस्तौल, ग्रेनेड, आईईडी दी गई थी। युवाओं को आतंकी रैंक में शामिल करने से पहले टारगेट किलिंग, SF, सार्वजनिक जगहों, गैर कश्मीरी मजदूरों पर ग्रेनेड फेंकने और आईईडी ब्लास्ट करने जैसी टेररिस्ट एक्टिविटी का निर्देश दिया गया था। 12 अगस्त: सेना ने चरवाहा मॉड्यूल के 9 लोगों को पकड़ा
सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक मॉड्यूल पकड़ा था, जिसमें 9 सदस्य थे। ये लोग ऊंचे पर्वतीय इलाकों में ढोंक (मिट्‌टी के झोपड़े) बनाकर रहते थे। ये लोग सांबा और कठुआ बॉर्डर से घुसपैठ करने वाले आतंकियों को ढोंक में रुकने-खाने और पहाड़ों-जंगलों में छिपने की ट्रेनिंग देते थे। इन्हीं के बताए रास्तों पर चलकर आतंकी डोडा, किश्तवाड़, रियासी और उधमपुर तक पहुंचे। पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में रहते थे मददगार, एक आतंकी से 50 हजार रुपए लेते थे
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था कि इन 9 मददगारों में एक शख्स है हाजी मोहम्मद लतीफ। 60 साल का लतीफ कठुआ के अंबेनाल में आतंक का नेटवर्क चला रहा था। 11-12 जून को हीरानगर के सैडा सोहल में मुठभेड़ के बाद लतीफ का नाम सामने आया था। मॉड्यूल में उसका बेटा लियाकत और भाई नूरानी भी है। लतीफ ने ही इन आतंकियों को सांबा से कठुआ में एंट्री कराने और कैलाश कुंड के पास सुरक्षित पहुंचाने में मदद की। वह पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों से सीधे जुड़ा था। इसके बदले एक आतंकी से 50 हजार रुपए लेता था। 20 आतंकियों की घुसपैठ कराकर 15 लाख रुपए कमा चुका है। इसी पैसे से उसने आतंक का ओवरग्राउंड नेटवर्क तैयार किया। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट पर सेना ने पुलिस को चरवाहों की जानकारी दी, क्योंकि आतंकी चरवाहों के रूट का ही घुसपैठ में उपयोग कर रहे थे। पुलिस ने ढोंक में रह रहे 50 चरवाहों को हिरासत में लिया। इन्होंने सख्ती के बाद मुंह खोल दिया। घाटी के 169 ‘आतंकी’ जम्मू शिफ्ट
सेना को पता चला है कि कश्मीर में एक्टिव रहे 169 आतंकी बीते महीनों में जम्मू शिफ्ट हुए हैं। ये मूलत: किश्तवाड़, रामबन, डोडा, उधमपुर, राजौरी, पुंछ के हैं। जम्मू में इनका हिस्ट्री रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं है, इसलिए ये खुले घूम रहे थे। इन्हीं में से एक शख्स की बीते दिनों गिरफ्तारी हुई। तब बाकी का पता चला।