रिलेशनशिप- फरहान की शादी पर शिबानी को कहा ‘गोल्ड डिगर’:दिमाग पर हावी न होने दें जजमेंट, आपको सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं

‘वो ऐसा कैसे कर सकती है, इसने जरूर अपने मतलब के लिए ही ऐसा किया होगा,’ ‘उसे इस लड़की के साथ शादी नहीं करनी चाहिए थी,’ ‘मुझे नहीं लगता ये कभी सीख पाएगा,’ ऐसे ही कई कमेंट्स हम आए दिन अपने या किसी और के लिए सुन रहे होते हैं। इसे ही ‘जज करना’ कहा जाता है, जो दूसरों या कभी-कभी अपनों द्वारा भी किया जाता है। बड़ी हस्तियां आए दिन इसका शिकार होती हैं। हाल ही में एक्ट्रेस शिबानी दांडेकर ने एक पॉडकास्ट में बताया कि कैसे उन्होंने फरहान अख्तर के साथ अपने रिश्ते पर लोगों के जजमेंट्स झेले। अभिनेता के साथ शादी के लिए उन्हें ‘गोल्ड डिगर’ कहा गया और उन पर ‘लव जिहाद’ जैसे लेबल लगाए गए। आए दिन बहुत से लोग अपनी जिंदगी में ऐसे ही कमेंट्स झेल रहे होते हैं, जिनका बुरा असर उनके दिल और दिमाग पर पड़ता है। इससे उबरना बहुत जरूरी है। इसलिए आज रिलेशनशिप कॉलम में बात करेंगे कि बाहरी जजमेंट का लोगों पर कितना प्रभाव पड़ता है और हम इससे कैसे डील कर सकते हैं। किसी को ‘जज करना’ क्या है? जब लोग दूसरों को लेकर अपनी राय, विचार और निर्णय रखते हैं, उसे ही अंग्रेजी में ‘जजमेंट’ कहते हैं। बाहरी जजमेंट लोग कई तरह से कर सकते हैं। जैसेकि कमेंट्स करके, आलोचना करके या किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिक्रिया देकर। इसे बेहतर तरीके से जानने के लिए नीचे ग्राफिक देखें- दूसरे को आंकना आसान होता है दूसरे को आंकना, उसके बारे में बुरा बोलना या आलोचना करना आसान होता है। यह काम कोई भी कर सकता है, लेकिन अगर कोई हमें आंकता है तो वही चीज हमें बुरी लगती है। सच तो यह है कि जब हम दूसरों को आंकते हैं तो इससे हमें कोई फायदा नहीं होता। किसी के बारे में बुरा बोलने या आलोचना करने से हम उनसे प्यार करना और उनकी सराहना करना भूल जाते हैं। किसी के द्वारा जज होने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है हर कोई चाहता है कि उसे लोग पंसद करें, स्वीकार करें और उसे सम्मान मिले। आखिर यह किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन जब आपको आंका जाता है, आपको पसंद नहीं किया जाता, समझा नहीं जाता, सम्मान नहीं दिया जाता तो यह आपके आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है। इसका असर हमारे दिल व दिमाग दोनों पर पड़ता है और अगर यह तनाव पैदा कर दे तो कई मानसिक समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। जजमेंट से लगता है डर इस विषय पर लेखक नवल फगीर ने किताब लिखी है- ‘द फियर ऑफ जजमेंट’। इस किताब में उन्होंने आलोचनाओं और आंकलन से डील करने के 8 तरीके बताए हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि लोग क्या सोचते हैं, इसकी चिंता बंद कर दो। इसके अलावा उन्होंने अपनी किताब में जीवन जीने का सबसे अच्छा तरीका ये बताया है कि दूसरों की आलोचना को व्यक्तिगत रूप से अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए। बाहरी जजमेंट से कैसे डील करें? दूसरों द्वारा किए गए जजमेंट के डर पर काबू पाना बहुत जरूरी है। अक्सर हम यह सोचते हैं कि अगर मैंने ऐसा किया तो लोग क्या कहेंगे या फिर यही सोचते रहते हैं कि उसने मुझे बुरा बोला, मेरे काम की आलोचना की, मेरे कैरेक्टर को लेकर ये कहा वो कहा, वगैरह-वगैरह। इसका असर हमारे दिमाग पर न हो इसके लिए हमें इससे उबरना जरूरी है। जब ​​हम आंकलन के अपने डर पर काबू पा लेते हैं तो हमारे ऊपर लोगों की बातों का कोई असर नहीं पड़ता है। इसे कैसे किया जा सकता है, नीचे ग्राफिक में काउंसलर द्वारा बताए गए सुझाव को देखें- क्या आप आलोचना से डरते हैं हम में से कुछ लोग हैं, जिन्हें यह डर लगा रहता है कि लोग क्या कहेंगे, कहीं वे मेरी आलोचना न कर दें। क्या आप भी अपने बारे में सोचने के बजाय दूसरों के विचारों पर ध्यान देते हैं और दूसरों की राय को लेकर हमेशा चिंता करते हैं। इसको लेकर आप खुद से पूछें कि जो आपकी आलोचना कर रहे हैं वे आपके कौन लगते हैं, आपके जीवन में कितना महत्व रखते हैं। शायद आपको आपका जवाब मिल जाए, लेकिन कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल होता है, तो आप नीचे पॉइंटर्स में दी गई इन तीन बातों को याद रखें-