कोलकाता रेप-मर्डर केस, बंगाल सरकार बोली-डॉक्टर्स काम नहीं कर रहे:सुप्रीम कोर्ट में डॉक्टर्स ने जवाब दिया- सभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाएं चल रही हैं

कोलकाता में 8-9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बंगाल सरकार ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर्स इन पेशेंट डिपार्टमेंट और आउट पेशेंट डिपार्टमेंट में काम नहीं कर रहे हैं। इसके जवाब में डॉक्टर्स के वकील ने कहा कि सभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाओं में डॉक्टर काम कर रहे हैं। सुनवाई की शुरुआत में पीड़ित के वकील ने कहा कि सोशल मीडिया पर पीड़ित की तस्वीरें और नाम उजागर करने वाले पोस्ट अब तक मौजूद हैं। इसे लेकर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने पिछली सुनवाई में कहा था कि कोई भी पीड़ित का नाम और फोटो नहीं प्रकाशित कर सकता है। अब यह कानूनी संस्थाओं का काम है कि वे इस ऑर्डर को लागू करवाएं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार के उस आदेश पर भी नाराजगी जाहिर की, जिसमें सरकार ने कहा था कि महिला डॉक्टर्स को नाइट ड्यूटी में न लगाया जाए। मौजूदा केस में डॉक्टर्स की सेफ्टी को देखते हुए यह फैसला लिया गया था। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। इस दिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को नेशनल टास्क फोर्स की जांच पर रिपोर्ट पेश करनी होगी। कोर्ट रूम लाइव… पीड़ित के वकील- क्या केंद्र कोई अफसर या ई-मेल आईडी उपलब्ध करा सकता है, जो कानून ऐसी पोस्ट को हटाए। जिस तरह की तस्वीरें पोस्ट की जा रही हैं, वो चौंकाने वाली हैं।
डॉक्टर्स की ओर से वकील- हिंदी गानों पर रील्स बनाई जा रही हैं।
CJI- पश्चिम बंगाल सरकार सभी मीडिया पोस्ट करने वालों से संपर्क करे।
सॉलिसिटर जनरल- हम इसके लिए एक नंबर मुहैया कराएंगे।
पीड़ित का परिवार- एक यूट्यूब मूवी है, जो कल रिलीज होने जा रही है। बताया जा रहा है कि यह पीड़िता की कहानी पर आधारित है।
CJI- अगर आप फिल्म को रोकना चाहते हैं तो कानूनी कदम उठाइए। CJI: पीड़ित का परिवार सोशल मीडिया पर रील्स और फोटोज से परेशान है। इन क्लिप्स के अलावा वीडियो भी बढ़ रहे हैं। पहले के आदेश में साफ कर दिया गया था कि किसी को भी पीड़ित का नाम या फोटो उजागर करने की इजाजत नहीं है।
पीड़ित का परिवार (जेठ मलानी)- उस इंस्पेक्टर के खिलाफ कोई FIR नहीं की गई है, जिसने पीड़ित का नाम उजागर किया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इसे देखेगा। हड़ताल दोबारा शुरू करने का फैसला ले सकते हैं डॉक्टर्स
जूनियर डॉक्टर्स आज फैसला लेंगे कि वे हड़ताल दोबारा शुरू करेंगे या नहीं। दरअसल डॉक्टर्स वर्कप्लेस पर सेफ्टी और सिक्योरिटी को लेकर राज्य सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे थे। डॉक्टर्स ने कहा था कि अगर वे राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए, तो वे दोबारा हड़ताल शुरू करेंगे। इससे पहले डॉक्टर्स से 10 अगस्त से 21 सितंबर के बीच 42 दिन तक हड़ताल की थी। दरअसल, कोलकाता के सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 27 सितंबर को एक मरीज की मौत के बाद 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया था। इसी घटना से जूनियर डॉक्टर्स नाराज हैं। डॉक्टर्स ने अस्पताल में प्रदर्शन भी किया। इस मामले में 4 प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है। डॉक्टर्स की मांग है कि उन्हें अस्पतालों में सुरक्षा मुहैया कराई जाई, ताकि वे बिना डर के ड्यूटी कर सकें। डॉक्टर बोले- सरकार के साथ हमारी बैठक को गंभीरता से नहीं लिया गया
शनिवार को एक डॉक्टर ने कहा कि राज्य सरकार हमें सुरक्षा देने पूरी तरह से विफल रही है। इसलिए शुक्रवार को सगोर दत्ता हॉस्पिटल में हमला हुआ। हम ममता सरकार को कुछ समय दे रहे हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद शाम 5 बजे हम फैसला लेंगे। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ हमारी बैठकों को गंभीरता से नहीं लिया गया। मरीजों के परिवार के सदस्य हमारी एक महिला सहकर्मी को धमका रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आरजी कर अस्पताल में जो हुआ, वही दोहराएंगे। ये लोग ऐसी धमकी कैसे दे सकते हैं। ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन टकराव चला
डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें। डॉक्टरों की मांग पर बंगाल सरकार ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटा दिया था। उनकी जगह मनोज वर्मा ने पद संभाला। स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए। 19 सितंबर को डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमारी मांग पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर को हटाया गया है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया है। हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने और अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की हमारी मांग अभी भी जारी है।