बुलडोजर एक्शन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार का पक्ष रखा। साथ ही कहा कि एक समुदाय विशेष के खिलाफ बुलडोजर एक्शन किए जाने के आरोप लगे हैं। मुझे यही बात परेशान कर रही है। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। हम जो भी निर्धारित कर रहे हैं वह पूरे देश के लिए होगा। चाहे वह मंदिर हो, दरगाह हो, उसे हटाना ही सही होगा, क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सबसे पहले है। 17 सितंबर को कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक के लिए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा था कि अगली सुनवाई तक देश में कहीं भी बुलडोजर एक्शन नहीं हो। सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण पर एक्शन को अलग रखा था। केंद्र के सवाल उठाने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं। इस पर बेंच ने कहा था- अगर कार्रवाई दो हफ्ते रोक दी तो आसमान नहीं फट पड़ेगा। जब मैं बॉम्बे हाईकोर्ट में था, तो मैंने खुद फुटपाथों पर अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया था। हम अदालतों को ऐसे मामलों से निपटने में सावधानी बरतने का निर्देश देंगे। जस्टिस बीआर गवई, सुप्रीम कोर्ट जज बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट LIVE सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- मैं उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की ओर से पेश हुआ हूं। लेकिन बेंच ने कहा है कि गाइडलाइन पूरे देश के लिए होगी इसलिए मेरे कुछ सुझाव हैं। बहुत सारी चीजों पर ध्यान दिया गया है। अगर कोई आदमी किसी अपराध में दोषी है तो यह बुलडोजर एक्शन का आधार नहीं है। जस्टिस गवई- अगर वो दोषी है, तो क्या यह बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है? SG- नहीं। आपने कहा था कि नोटिस इश्यू किया जाना चाहिए। ज्यादातर म्युनिसिपल कानूनों में केस के हिसाब से नोटिस जारी करने की व्यवस्था होती है। आप देख सकते हैं कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजा गया है। नोटिस में जिक्र होना चाहिए कि किस कानून का उल्लंघन किया गया है। जस्टिस गवई- हां एक राज्य में भी अलग-अलग कानून हो सकते हैं। जस्टिस विश्वनाथन- इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इसे डिजिटलाइज कीजिए। अफसर भी सेफ रहेगा। नोटिस भेजने और सर्विस की स्थिति भी पोर्टल पर रहेगी। SG- एक चीज मुझे परेशान कर रही है, आरोप लग रहे हैं कि एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। जस्टिस गवई- हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम जो भी गाइडलाइन बनाएंगे वह पूरे देश के लिए होगी। SG- अवैध अतिक्रमण के मामले में कुछ कानून हैं… जस्टिस गवई- हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पब्लिक रोड, वाटर बॉडीज, रेलवे लाइन, चाहे मंदिर हो या दरगाह, अवैध अतिक्रमण को हटाया जाएगा। जनता की सुरक्षा सबसे आगे है। जस्टिस विश्वनाथन- अगर 2 स्ट्रक्चर हैं और आप केवल एक के खिलाफ एक्शन लेते हैं। आपको एक मामले में क्रिमिनल बैकग्राउंड मिलता है। इसके लिए कुछ तो उपाय ढूंढना पड़ेगा। SG- आप ऐसे मामलों को छोड़ दीजिए जिन्हें मीडिया में बढ़ाचढ़ाकर बताया गया है। अदालत इस समय जनरल गाइडलाइन पर विचार कर रही है। कोर्ट धारणाओं से प्रभावित नहीं होता, लेकिन हम साफ कर रहे हैं कि हम किसी भी अवैध अतिक्रमण के बीच नहीं आएंगे, लेकिन अधिकारी जज नहीं बन सकते। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में पिछली 3 सुनवाई में क्या हुआ तीन राज्य जहां पिछले 3 महीने में बुलडोजर एक्शन हुआ ये खबर भी पढ़ें… एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन, कमलनाथ ने किया ट्रायल, शिवराज ने स्पीड दी मोहन भी इसी राह पर क्यों एमपी में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। उस समय बुलडोजर विकास का प्रतीक था। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। साल 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। यूपी के इस मॉडल को 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने अपनाया। जब एमपी में शिवराज सरकार की वापसी हुई तो बुलडोजर की स्पीड बढ़ गई। पढ़ें पूरी खबर…