जिस तरह हमारे शरीर को डिटॉक्स की जरूरत होती है, उसी तरह हमारे माइंड को भी समय-समय पर डिटॉक्स करते रहना जरूरी है। दिन भर के कामों के बाद थकान, तनाव और कुछ नकारात्मक विचार हमारे दिमाग पर हावी हो जाते हैं। इससे दिमाग थका हुआ महसूस करता है। लेकिन हम इसे मामूली सिरदर्द या थकान समझकर इग्नोर कर देते हैं। ऐसे में माइंड डिटॉक्स के बारे में तो हम दूर-दूर तक सोच भी नहीं पाते हैं। जैसा कि ‘वर्ल्ड मेंटल हेल्थ मंथ’ चल रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य बेहतर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और लोगों को इसके बारे में शिक्षित करना है। इस मौके पर हम बात करते हैं कि कैसे हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं। मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने में माइंड डिटॉक्स एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर माइंड डिटॉक्स के पारपंरिक तरीकों की बात करें तो आज पूरी दुनिया में सबसे पॉपुलर जापानी तकनीक हैं। यह वो तरीके हैं, जो प्राचीन पारंपरिक दार्शनिक सोच से उपजे हैं। जापानी फिलॉसफी की शुरुआत कुछ 1400 साल पहले हुई, जिस पर विदेशी विचारों और पारंपरिक सोच दोनों का मिला-जुला प्रभाव रहा। पांचवी सदी में चीन के रास्ते जापान में बौद्ध दर्शन का आगमन हुआ। कुछ तो सामाजिक, ऐतिहासिक कारण रहे होंगे कि जापानियों के लिए आज भी जीवन को संजोना, प्रकृति के साथ जुड़ना, एक मामूली घास, फूल-पत्ती और पेड़ को भी परिवार के सदस्य की तरह संजोकर रखना बहुत जरूरी है। आज जापानी फिलॉसफी और माइंड डिटॉक्स की उनकी तकनीक पूरी दुनिया में पॉपुलर है। जापान में लोग माइंड डिटॉक्स को बहुत महत्व देते हैं। यही कारण है कि वे और देशों के लोगों के मुकाबले लंबा और खुशहार जीवन जीते हैं। वे जीवन, पेड़, हवा, पानी को भी महत्व देते हैं क्योंकि जापान संभवत: दुनिया के उन चंद अपवाद देशों में से एक है, जहां हैवी इंडस्ट्रियलाइजेशन के बावजूद हवा साफ है, नदी का पानी साफ है और पेड़, प्रकृति, जंगल सुरक्षित हैं। इसीलिए यहां के लोग बुढ़ापे तक स्वस्थ रहते हैं। इसका एक कारण बॉडी और माइंड का संतुलन भी है। तो आज रिलेशनशिप कॉलम में बात करेंगे माइंड को डिटॉक्स करने वाली जापानी तकनीकों की। माइंड-बॉडी बैलेंस की जापानी फिलॉसफी क्या है जापान में लोगों की लाइफस्टाइल बहुत हेल्दी है। यहां लोग स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीते हैं। जापान के लोग माइंड डिटॉक्स की बहुत सी तकनीक प्रैक्टिस करते हैं। हर तकनीक के पीछे एक गहरी दार्शनिक समझ और विचार है। जब डिटॉक्स की बात आती है तो यह केवल शरीर को शुद्ध करने, शुद्ध आहार लेने के बारे में नहीं है। इसके गहरे आध्यात्मिक अर्थ भी हैं। जैसेकि- शिनरिन-योकू (फॉरेस्ट बाथिंग) शिनरिन-योकू या फॉरेस्ट बाथिंग जापान की सबसे प्रसिद्ध मेंटल डिटॉक्स तकनीकों में से एक है। इसका अर्थ है कि पेड़ों, जंगलों के बीच प्रकृति में समय बिताना। अध्ययनों से पता चलता है कि जंगल में घूमने से स्ट्रेस हॉर्मोन कम हो सकता है, मूड बेहतर हो सकता है और एकाग्रता बढ़ सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश स्टडी के मुताबिक, शिनरिन-योकू पर जापान के 24 जंगलों में प्रयोग किया गया। इसमें लोगों को अलग-अलग जगहों पर भेजा गया और उसके बाद उनका ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और हार्ट रेट चेक की गईं। परिणाम शहरी वातावरण के मुकाबले बहुत बेहतर मिले। किंत्सुगी (गोल्डन जॉइनरी) यह जापानी आर्ट है, जिसमें कीमती धातुओं जैसे सोने, चांदी या प्लैटिनम के पाउडर से टूटे हुए बर्तनों की मरम्मत की जाती है। इसका मकसद दरारों को छिपाना नहीं बल्कि उन्हें रोशन करना है। यह बताता है कि आप कमियों को भी कितने सुदंर तरीके से स्वीकार कर सकते हैं। ताई ची यह एक चीनी कला है, जो कुछ खास तरह की व्यायाम तकनीकों से मिलकर बनी है। जापानियों का मानना है कि इससे मानसिक शांति मिलती है। ताई ची में यिन (कोमलता) और यांग (कठोरता) के तत्वों पर ध्यान दिया जाता है। इकिगाई जापान के लोग ‘इकिगाई’ की अवधारणा को बहुत मानते हैं। इसका मतलब है सुबह उत्साह के साथ जागना और जीवन को एक उद्देश्य के साथ जीना। यह जुनून, कौशल, और दुनिया की जरूरतों के साथ तालमेल बिठाकर जीने के बारे में है। इकिगाई को इन चीजों से समझा जा सकता है, जैसेकि आपको क्या पसंद है, आप किसमें अच्छे हैं, आप उसमें कैसे बेहतर कर सकते हैं। काइजेन काइजेन एक जापानी तकनीक है, जिसका मतलब है लगातार सुधार के लिए कोशिश करना और कभी हार न मानना। यह जापानी संस्कृति में बहुत जरूरी मानी जाती है और इसका उपयोग व्यवसाय, शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन में भी किया जाता है। शोडो जापानी तकनीक शोडो एक पारंपरिक जापानी कैलिग्राफी है, जिसमें ब्रश और स्याही का उपयोग करके सुंदर अक्षर बनाए जाते हैं। यह तकनीक न केवल कला का एक रूप है, बल्कि यह मानसिक शांति और एकाग्रता के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। जाजेन जाजेन एक जापानी मेडिटेशन तकनीक है, जिसका उद्देश्य शांति और एकाग्रता को पाना है। यह मेडिटेशन बैठकर किया जाता है, जिसमें व्यक्ति अपने मन और शरीर को शांत कर सकता है। यह आप जमीन पर या किसी कुर्सी पर भी बैठकर कर सकते हैं। इसमें आपको अपनी सांसों पर ध्यान रखना होता है। इसे आमतौर पर सुबह और शाम में ही किया जाता है। वाबी-साबी वाबी-साबी जापानी संस्कृति का एक हिस्सा है, जिसका मतलब है जीवन में छोटी-छोटी चीजों को स्वीकार करना और उसमें संतुष्ट रहना। यह हमें सिखाता है कि हमें परफेक्शन के पीछे नहीं भागना चाहिए। सिर्फ बेहतर करने पर ही ध्यान देना चाहिए। माइंड डिटॉक्स करने के क्या फायदे आज की तेज रफ्तार दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गया है, और कई लोग मन की शांति के लिए पुराने मूल्यों और परंपराओं की तरफ लौट रहे हैं। कोई ध्यान, योग, साधना कर रहा है तो कुछ लोग प्राकृतिक खूबसूरती के बीच बेहतर जिंदगी जीने के लिए गांवों का रुख कर रहे हैं। जापान की इन हीलिंग टेकनीक की भी सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ये प्राचीन परपंराओं, मूल्यों, दर्शन और विचारों का ही एक आधुनिक संस्करण हैं। उन्होंने पुराने को छोड़ा नहीं है। इसलिए पुराने की तरफ लौटने और उस जीवन शैली को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतारने के बहुत फायदे भी हैं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है और मन शांत रहता है। यदि आप भी जापानियों की तरह बेहतर और ज्यादा सफल जीवन जीना चाहते हैं तो ऊपर दी इन तकनीकों को अपनाकर आप अपने माइंड को डिटॉक्स कर सकते हैं और एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।