टीवी शो ‘अलादीन – नाम तो सुना होगा’ और ‘हमारी बहू सिल्क’ जैसी टीवी शोज में काम कर चुकी एक्ट्रेस चाहत पांडे अब ‘बिग बॉस 18’ में कंटेस्टेंट बनी हैं। बिग बॉस के घर में जाने से पहले चाहत ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने अपनी तैयारी, उम्मीदें और शो में खुद को कैसे पेश करेंगी, इस पर खुलकर बात की। चाहत ने कहा, ‘अब तक जितने भी शोज मैंने किए हैं, उन सभी में मैं किरदार निभा रही थी। चाहे वो कृष्णा का रोल हो या महुआ का, ऑडियंस ने उन्हें पसंद किया। लेकिन इस बार ऑडियंस को असली चाहत पांडे देखने को मिलेगी। ऑडियंस जान पाएंगे कि मैं असल में कैसी हूं और क्या सोचती हूं। इस जर्नी के लिए मैं बहुत उत्सुक हूं।’ एक्ट्रेस ने बताया कि ‘बिग बॉस’ के घर में टिकने के लिए कई गुण होना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘यहां केवल एक गुण से काम नहीं चलेगा। आपको धैर्य रखना आना चाहिए, अपने लिए खड़े रहना चाहिए, थोड़ी हिम्मत भी दिखानी चाहिए और इमोशंस को कंट्रोल करना आना चाहिए। इसके साथ ही, आपको अपने इमोशंस को सही तरीके से बताने की जरूरत होगी। इसलिए, इस घर में रहने के लिए सभी गुणों का सही बैलेंस होना चाहिए।’ शो में अक्सर कंटेस्टेंट्स के बीच झगड़े हो जाते हैं। ऐसे हालत में वे कैसे रियेक्ट करेंगी? इस बारे में चाहत ने कहा, ‘मेरा रिएक्शन उस झगड़े पर निर्भर करेगी। अगर सामने वाला प्यार से मुझसे सवाल पूछता है, तो मैं भी उसी तरह जवाब दूंगी। लेकिन अगर झगड़ा बड़ा है, तो मैं सोच-समझकर अपनी बात रखूंगी। ऐसे में झगड़े से भागने की बजाय सही तरीके से अपनी बात रखना ज्यादा जरूरी है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर आप गलत नहीं हैं, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। झगड़े सभी की जिंदगी में होते हैं, चाहे वो परिवार में हों या दोस्तों के बीच। अगर कभी ऐसी स्थिति बनती है, तो मैं अपना पक्ष साफ-साफ रखूंगी। सचाई बताना जरूरी है, ताकि लोग समझ सकें कि सच्चाई क्या है।’ बता दें, चाहत ने पिछले साल राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई थी। मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाई थीं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनका राजनीतिक एक्सपीरियंस ‘बिग बॉस’ के घर में मदद करेगा, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मेरे राजनीतिक अनुभव का यहां कोई फायदा होगा। ये दोनों बिल्कुल अलग हैं। बिग बॉस का घर पूरी तरह से अलग है, और इसमें रहने का अनुभव राजनीति से बहुत अलग है। इसलिए, मैं दोनों की तुलना नहीं कर सकती।’