“अतीत की चिंता और भविष्य की आशंका को छोड़कर वर्तमान में रहना सीखें।” दलाई लामा के द्वारा कही गई ये बात हमें वर्तमान में पूरी तरह से रहने का महत्व बताती है। भविष्य और अतीत की चिंता न किए बगैर वर्तमान को पूरी तरह से जीने को ही ‘माइंडफुलनेस’ कहते हैं। लेकिन क्या वाकई हम अपने वर्तमान में जी रहे हैं। शायद नहीं क्योंकि कई बार हम शरीर से तो वर्तमान में मौजूद होते हैं, लेकिन हमारा दिल और दिमाग कहीं और ही होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम भविष्य की चिंताओं या अतीत की यादों में खोए रहते हैं। दिमाग में यही चल रहा होता है कि मुझे यह चाहिए, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, मेरे साथ सही नहीं हो रहा है, मेरा अच्छा समय कब आएगा। तमाम ऐसी बातें, जो हमारे दिमाग में चकरी की तरह घूमती रहती हैं। यही चिंताएं हमें वर्तमान में होने से भटका देती हैं। ऐसी स्थिति में ही काम आता है माइंडफुलनेस। जब हम मेंटल अवेयरनेस की बात करते हैं तो माइंडफुलनेस की बात तो होती ही है। वैसे यह कोई नया शब्द नहीं है। इसकी बात बरसों से होती आ रही है। इसके बारे में अरस्तू, कबीर, सुकरात, बुद्ध सबने बात की है। तो आज ‘रिलेशनशिप’ में बात करेंगे कि माइंडफुलनेस क्या है और इसका जीवन में क्या महत्व है। साथ ही जानेंगे- माइंडफुलनेस क्या है और जीवन में इसका क्या महत्व माइंडफुलनेस का मतलब है इंसान का पूरी तरह से वर्तमान में मौजूद रहना। माइंडफुलनेस जीवन जीने की कलाओं में से एक है। कहा गया है कि वर्तमान क्षण आनंद और खुशी से भरा हुआ होता है। यदि आप चौकस हैं तो आप यह देखेंगे। अगर हम चाय पी रहे हैं तो हमें सुकून से वो 4-5 मिनट चाय के कप, उसका स्वाद, उसकी महक को ही इंजॉय करना चाहिए। अगर कुछ लिख रहे हैं तो जो टॉपिक है, उसी के बारे में सोचना चाहिए। मन को इधर-उधर न भटकाना और एक जगह लगाना ही माइंडफुलनेस है। रिश्तों में माइंडफुलनेस का सकारात्मक प्रभाव माइंडफुलनेस न केवल हमें खुशी देता है, यह हमारे रिश्तों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। रिश्तों में खुशहाली के लिए माइंडफुलनेस का मतलब बिना सोचे-समझे एक-दूसरे की भावनाओं और जरूरतों को स्वीकार करना और उनका सम्मान करना है। यह हम तब ही सीख सकते हैं, जब हमारा दिमाग अलर्ट मोड में रहे, हमेशा वर्तमान में उपस्थित रहे। अपने वेलबीइंग को बेहतर बनाने के लिए ग्राफिक में दिए माइंडफुलनेस के तरीकों को विस्तार से जानिए- 1. सांस लेने से शुरुआत करें जीवन में वेलबीइंग के लिए माइंडफुलनेस की शुरुआत हम ब्रीदिंग से कर सकते हैं। जब हम लंबी गहरी सांसें लेते हैं तो हमारा पूरा ध्यान उस पर होता है और यह हमें वर्तमान क्षण में रहने के लिए मदद कर सकता है। 2. माइंडफुल ईटिंग वेलबीइंग के लिए माइंडफुलनेस को अपनाने का बेस्ट तरीका है- माइंडफुल ईटिंग। माइंडफुल ईटिंग का मतलब है मन लगाकर भोजन करना। अक्सर हम भोजन को जल्दबाजी में बस 10-15 मिनट में खत्म कर खानापूर्ती कर लेते हैं। इसके बजाय अगर हम खाने की खुशबू, बनावट और उसके स्वाद को आनंद लेकर खाएं, उसे खाकर हम खुशी तो महसूस करेंगे ही, साथ ही वर्तमान क्षण पर भी ध्यान लगा सकेंगे। 3. वॉकिंग मेडिटेशन वॉकिंग मेडिटेशन के माध्यम से हम माइंडफुलनेस को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। कैसे? यह आप ऐसे कर सकते हैं, जैसेकि जब आप वॉक कर रहे हैं तो अपने पैरों पर, उसकी चाल पर ध्यान दें। अपने कदमों की लय के प्रति जागरूक रहें। यह आपको वर्तमान में होने के लिए मदद करेगा। 4. माइंडफुल लिसनिंग माइंडफुल लिसनिंग मतलब ध्यानपूर्वक सुनना। सामने वाले व्यक्ति की बातों को बीच में बिना काटे और उसकी बातों पर अपना पूरा ध्यान देकर हम इसे कर सकते हैं। किसी भी रिश्ते में ज्यादा सचेत रहने के लिए यह जरूरी है। इससे हमारे रिश्ते बेहतर और मजबूत हो सकते हैं। 5. सिंगल टास्किंग आज के दौर में लोग मल्टी-टास्किंग करने में लगे होते हैं। एक समय में एक ही काम को पूरा ध्यान लगाकर करने की बजाय कई कामों को एक साथ करने कोशिश करते हैं, जिससे समय की बचत हो सके। समय का बचना तो पता नहीं लेकिन हर काम में कुछ न कुछ कमी जरूर रह जाती है। मन भी कई जगह भटक जाता है। इसलिए एक बार में एक ही काम करना सही है जिससे वो काम पूरी तरह से परफेक्ट हो सके। 6.माइंडफुल ऑब्जर्वेशन कोई काम कर रहे हैं तो उससे अपना ध्यान भटकने न दें। जैसे किसी चीज को पहली बार देखकर अपने मन को शांत रखें। उस चीज को ऑबजर्ब करें, इससे आपकी ऑबर्जबेशन पॉवर बढ़ेगी। 7.माइंडफुल कम्युनिकेशन ध्यान से बोलें और ध्यान से सुनें। अगर आप पर्सनल और प्रोफशनल रिलेशन्स को बेहतर बनाए रखना चाहते हैं तो माइंडफुल कम्युनिकेशन जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि हम मीटिंग में बैठें हैं बॉस कुछ समझा रहे हैं पर ध्यान घर में लगा हुआ है। इससे कम्युनिकेशन खराब हो सकता है। 8. छोटे-छोटे ब्रेक लें जब हम एक ही जगह ज्यादा बैठने से थक जातें हैं, एक ही काम को करने से बोर हो जाते हैं तो हमारा ध्यान भटकने लगता है। इसके लिए आप छोटे ब्रेक ले सकते हैं। सीट से उठकर चाय पीने के लिए जाएं, किसी से बात करें, थोड़ा टहलकर आ जाएं। यह अभ्यास तनाव को दूर करने के लिए अच्छा है, साथ ही आपको वर्तमान में मौजूद रखेगा। इन तरीकों को जीवन में अपनाकर आप वेलबीइंग के लिए जागरूकता बढ़ा सकते हैं। माइंडफुलनेस और मेडिटेशन में क्या अंतर है कुछ लोग माइंडफुलनेस और मेडिटेशन को एक ही मानते हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर है। माइंडफुलनेस और मेडिटेशन लगते हैं एक जैसे हैं, पर काफी अलग हैं। मेडिटेशन का मतलब होता है ध्यान करना। इसके लिए व्यक्ति एक जगह पर बैठकर आंखें बंद करके ध्यान केंद्रित करता है। वहीं, माइंडफुलनेस का मतलब है आंखें खुली होने पर वर्तमान में पूरी तरह से मौजूद रहना। उस क्षण में जीना, अपना शरीर, मन-मस्तिष्क सब वहीं लगाकर रखना। नीचे ग्राफिक में विस्तार से जानें दोनों के बाच अंतर-