क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? सोते समय अचानक लगे कि सांस नहीं आ रही है और नींद टूट जाए। ऐसा स्लीप एप्निया के कारण होता है। यह एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है। इसके कारण हमारे फेफड़ों और दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। दम घुटने लगता है। ऐसी स्थिति में दिमाग हमें किसी तरह जगाने की कोशिश करता है, जिसके कारण नींद टूट जाती है। माइल्ड स्लीप एप्निया में रात भर में 50 से 100 बार नींद खुलती है। यह समस्या जितनी बढ़ती जाती है, रात में नींद टूटने की फ्रीक्वेंसी भी बढ़ती जाती है। समस्या सीवियर होने पर एक रात में 250 से ज्यादा बार नींद खुलती है। इसके चलते नींद नहीं पूरी हो पाती और दिन भर थकान बनी रहती है। रात में बार-बार सांस रुकने के कारण ब्लड में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंग प्रभावित होते हैं। ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी से ब्रेन फंक्शनिंग, मेमोरी और फोकस कमजोर होने लगता है। सेक्शुअल डिस्फंक्शन होने लगता है। कई बार तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा कंडीशन भी बन सकती है। जाने-माने जर्नल ‘साइंस डायरेक्ट’ में पब्लिश एम्स की एक स्टडी के मुताबिक, भारत के 10.4 करोड़ युवा स्लीप एप्निया का सामना कर रहे हैं। इसका मतलब है कि लगभग 13% भारतीय युवाओं को स्लीप एप्निया है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे स्लीप एप्निया की। साथ ही जानेंगे कि- आर्टिकल विस्तार से पढ़ने से पहले एक घटना से समझिए कि स्लीप एप्निया को इग्नोर करना कितना भारी पड़ सकता है। स्लीप एप्निया के कारण दुनिया ने बड़ा दंश झेला साल 1986 का वसंत था, जब चेर्नोबिल पावर प्लांट में भयानक धमाका हुआ। इस हादसे में रूस, यूक्रेन और बेलारूस में 50 लाख से भी ज्यादा लोग रेडिएशन का शिकार हुए। अगले कई वर्षों तक इसके विकिरण से प्रभावित लोगों की कैंसर से मौत होती रही। इसके कारण सोवियत संघ का लाखों करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ। असर पूरी दुनिया पर पड़ा। इस हादसे की जांच हुई तो पता चला कि जो टेक्नीशियन स्विच को ऑन-ऑफ करने का काम संभाल रहे थे, वह स्लीप एप्निया के मरीज थे और 13 घंटे से सोए नहीं थे। उन्हें स्विच ऑफ करने से कुछ देर पहले तेज नींद आई और वह सोए रह गए। नतीजतन भयानक हादसा हो गया। इस हादसे के लिए नींद की कमी और स्लीप एप्निया बड़े कारण माने गए। हालांकि सोवियत संघ पर आरोप हैं कि उन्होंने हादसे को छिपाने के लिए इस तरह के बहाने बनाए। स्लीप एप्निया के क्या लक्षण होते हैं दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन विभाग के डायरेक्टर डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं कि स्लीप एप्निया को इग्नोर करना भारी पड़ सकता है। ज्यादातर लोग इसके लक्षण नहीं पहचानते हैं। इसलिए उन्हें जरूरी इलाज नहीं मिल पाता है। इसके क्या लक्षण होते हैं, ग्राफिक में देखिए। स्लीप एप्निया कितनी तरह का होता है? अमेरिकन नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, स्लीप एप्निया 3 तरह का होता है। इनमें सबसे कॉमन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया है। इसके अलावा सेंट्रल और कॉम्प्लेक्स स्लीप एप्निया होता है। डिटेल ग्राफिक में देखिए- स्लीप एप्निया के कारण बन सकती है जानलेवा स्थिति डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं कि स्लीप एप्निया शुरुआती दिनों में बहुत सामान्य हेल्थ कंडीशन लगती है। ज्यादातर लोग खर्राटों को बहुत बड़ी समस्या नहीं मानते हैं, लेकिन इसके कारण हमारे ब्लड में रोज रात में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ब्लड हमारे शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन की पूर्ति करता है। इसमें ऑक्सीजन की कमी के कारण शरीर के सभी अंगों की फंक्शनिंग प्रभावित होने लगती है। चूंकि हमारा ब्रेन जीवित रहने के लिए पूरी तरह ऑक्सीजन पर निर्भर है, इसलिए स्लीप एप्निया का सबसे अधिक असर भी इस पर ही पड़ता है। इसके कारण मेमोरी लॉस, डिप्रेशन, मेंटल कन्फ्यूजन की स्थिति बनने लगती है। स्लीप एप्निया के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है। इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थिति भी पैदा हो सकती है। स्लीप एप्निया के कारण और क्या स्थितियां बन सकती हैं, ग्राफिक में देखिए। स्लीप एप्निया के मरीजों को नहीं करनी चाहिए ड्राइविंग डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं कि स्लीप एप्निया के मरीजों को ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें कभी भी और कहीं भी नींद आ सकती है। ड्राइविंग करते समय कुछ सेकेंड की झपकी भी जान जोखिम में डाल सकती है। इसके अलावा डॉक्टर इसके मरीजों को हैवी मशीनरी के काम न करने की सलाह देते हैं। चेर्नोबिल पावर प्लांट में हुआ ब्लास्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। स्लीप एप्निया के मरीजों को कुकिंग के काम से भी बचना चाहिए क्योंकि किचेन में अचानक नींद आने से गर्म तेल या गर्म पानी से जलने का जोखिम हो सकता है। इसके अलावा इन्हें किन कामों से बचना चाहिए, ग्राफिक में देखिए। डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं कि स्लीप एप्निया के लक्षण दिखने पर किसी एक्सपर्ट की सलाह लेकर ट्रीटमेंट लेना जरूरी होता है। हालांकि हम घर पर कुछ उपाय करके इस कंडीशन के कारण पैदा होने वाली मुश्किलों को कम कर सकते हैं। ग्राफिक में देखिए। स्लीप एप्निया होने पर किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं कि इस कंडीशन में सबसे पहले हमें नींद की क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सोने और जागने का सही समय निर्धारित करें। सोने के कमरे में घुप अंधेरा होना चाहिए और कोशिश करें कि बेड इस पोजीशन में हो कि हमारे सिर की ओर का हिस्सा पैरों की अपेक्षा थोड़ा ऊपर उठा हुआ हो। रात में कोई घातक स्थिति न बने इसके लिए जरूरी है कि सोने से कम-से-कम दो घंटे पहले डिनर कर लें क्योंकि स्लीप एप्निया में सोते समय हमारे ब्लड में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। अगर हमने सोने से ठीक पहले ही खाना खाया है तो पाचन के लिए ब्लड का ज्यादातर फ्लो पेट के आसपास होगा। इससे शरीर के बाकी अंगों में ब्लड कम फ्लो होगा और ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। इससे घातक स्थिति बन सकती है। इसके अलावा हमें अपने खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। स्लीप एप्निया के मरीजों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, ग्राफिक में देखिए। …………………….
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